मार्च - अप्रैल २०१४
भारतीय जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री एतिहासिक तौर पर सबसे प्राचीन और सदियों पुराना है। भारत के राजा महाराजाओं के जमाने से ज्वैलरी की परंपरा हमारे देश में है। सोना और डायमंड्स के खानों से भी हमारा देश समृद्ध है। भारत के आभूषणों पर पर्सियन, ग्रीक, मुगल, यूरोपियन और पूर्तगीजों का अमिट छाप है जो यहां के लोगों की पसंद और स्वाद में झलकता है। भारतीय जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री अनेक परिवर्तन के दौर से गुजरा है। खनन से लेकर क्राफ्टिंग तक और आज इसी समृद्ध अनुभव के बल पर वल्र्ड का ९० प्रतिशत से अधिक डायमंड स्टोन की भारत में कटिंग एवं पॉलिशिंग होती है। इसके अलावा कुशल कारीगरी और डिजाइनिंग के चलते मेटल के नगों जैसे सोने की ज्वैलरी में वल्र्ड के बेस्ट कारीगरों और क्राफ्टमेन को समाहित किया है। आज भारत के जेम्स एवं ज्वैलरी सेक्टर बड़े पैमाने पर निर्यात कर रहा है और यहां की अर्थव्यवस्था के लिए मुख्य राजस्व अर्जित करने वाला सेक्टर बना है। यद्यपि इस इंडस्ट्री को विभिन्न परिवर्तनों के दौर से गुजरना पड़ा है। इसके लिए दि गोल्ड एक्ट एक टेस्ट आफ टाइम है। सोने पर आयात शुल्क का थोपना, सूरत के डायमंड इंडस्ट्री के कर्मचारियों की छंटनी आदि अनेक मुद्दे हैं जिनसे इस इंडस्ट्री को जुझना पड़ा है और इसमें विजेता बनकर उभरा है। भारत में ज्वैलरों की बढती संख्या भी इस बात की सबूत है कि कैसे भी दिन आए भारत के व्यापार वैश्विक स्तर पर हमेशा आगे रहेगा। भारत के मैन्युफैक्चरर्स और एक्सपोर्टर्स अमेरिका और यूरोप में वहां के आयात के लिए मशहूर हैं। भारतीय ज्वैलरों की डिजाइन एवं सेवाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर की हैं और इस सबका श्रेय इंडस्ट्री के सदस्यों और गहनता और एजुकेशन को जाता है। शैक्षणिक संस्थाएं भी ट्रेड के सदस्यों को इंफोरमेशन और नॉलेज उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हाल के समय में भारत जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री के लिए एजुकेशनल हब बन कर उभरा है। भारत सरकार ने भी शैक्षणिक संस्थानों को प्रोत्साहित किया है जिससे वे ट्रेडरों और उपभोक्ताओं में नॉलेज शेयर कर सकें। ज्वैलरी इंडस्ट्री में शिक्षा एवं शिक्षण के लिए अनेक निजी संस्थाएं भी शहर-शहर में पनपने लगी हैं। इंटरनेशनल प्रतिष्ठानों से अकेमेडियंस और टेक्नोलोजी ट्रांसफर के बल पर भारतीय जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री से संबंधित एजुकेशन देश में एक नया बिजनेस हो चला है।

अग्रणी सर्टिफिकेशन एवं ग्रेडिंग कंपनियां भी एजुकेशन में निवेश कर रही हैं और इंडस्ट्री में कॅरियर बनाने वाले विद्यार्थियों के लिए उपयोगी कोर्सेस शुरु कर रही हैं। दि न्यू ज्वैलर हिन्दी इनमें एक ऐसी ही ट्रेड पत्रिका है जिसने महत्वपूर्ण विषयों को सामयिक उठाया है जिससे कि जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री की पारदर्शिता में और निखार आए। दि न्यू ज्वैलर हिन्दी के इस विशेष अंक में संपादकीय टीम ने संबंधित कंपनियों के साथ मिलकर गहन रिसर्च के आधार पर एजुकेशन पर प्रकाश डाला है। इस अंक में विभिन्न संस्थानों के विशेष रिपोर्टस, इंटरव्यूज, प्रोफाइल, कोर्सेस आदि के बारे में विस्तार से बताया है। इस विशेष रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे इस मुख्य प्रोफेशन ने भारत के जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री को हर साल ग्रोथ में सहायता की है।


मार्च - अप्रैल २०१४
इंडियन डायमंड इंस्टिट्यूट
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार (जीजेईपीसी की एक परियोजना)
(रत्न एवं आभूषण के क्षेत्र में एक अग्रणी संस्थान)
आगम संघवी
चेअरमन- इंडियन डायमंड इंस्टिट्यूट

इंडियन डायमंड इंस्टीच्यूट (आईडीआई) की स्थापना १९७८ में सोसाइटी रिजस्ट्रेशन एक्ट १८६० के तहत एक रजिस्टर्ड सोसाइटी के रूप में की गई थी। साथ ही यह संस्थान बंबई पब्लिक ट्रस्ट एक्ट १९५० के तहत भी आता है। यह रत्न एवं आभूषण निर्यात संवद्र्धन परिषद की एक परियोजना है जो कि हीरे, रत्न एवं आभूषण के क्षेत्र में प्रशिक्षण उपलब्ध कराता है। संस्थान पिछले ३६ वर्षों से जुनून, तकनीक और नव प्रवर्तन के साथ रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को अपनी समर्पित सेवाएं प्रदान कर रहा है। इसने दुनिया के बड़े हीरा निर्माण केन्द्र सूरत को अपना केन्द्र बनाया जहां इसका शैक्षिक एवं जेमोलोजिकल प्रयोगशाला है। सूरत में ही इसकी दो शाखाएं चल रही हैं जो कि करीब एक लाख वर्ग फुट बिल्ट अप क्षेत्र में फैला है। आईडीआई के प्रमुख श्री अगम संघवी हैं जो कि भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा नियुक्त किये गए हैं। इस संस्थान में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और रत्न एवं आभूषण कारोबारियों का भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। चाहे आईडीआई के गवर्निंग बोर्ड की बात करें या फिर इसके कार्यकलाप की, सबसे में उद्योग जगत की झलक साफ दिखती है। आईडीआई को घोषित किया गया है।

  • गुजरात सरकार ने इसे सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में घोषित किया है।


  • गुजरात सरकार के इंडस्ट्री कमिश्नर ने इसे एंकर इंस्टीच्यूट फोर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर के रूप में प्रोमोट किया है।


  • भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीक विभाग के विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान संगठन (एसआईआरओ) ने इसे रिसर्च एवं डेवलपमेंट इंस्टीच्यूट के रूप में मान्यता दी है।


  • भारत सरकार के विदेश व्यापार महानिदेशालय ने इस संस्थान को हीरे के ग्रेडिंग और सर्टिफिकेशन के लिए आथराइज्ड लेबोरेटरी घोषित किया है। (एफटीपी २००९-१४)

शैक्षणिक गतिविधियां

आईडीआई ने अभी तक अपने परिसर में २८,००० से भी ज्यादा विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दे चुका है। इनमें से ३००० से भी ज्यादा प्रशिक्षु सुपरवाइजर या मैनेजर स्तर के हैं जो सूरत, मुंबई और अहमदाबाद आदि के हीरा उत्पादन केन्द्रों में काम करते हैं। इसके अलावा संस्थान ने देश भर के २००० ज्वैलर्स और केन्द्रीय सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क विभाग के २२५ अधीक्षक, अप्रेजर स्तर के अधिकारियों को भी डायमंउ ग्रेडिंग, गोल्ड अपराइजिंग, रफ डायमंड सार्टिंग और इसके वैल्यूएशन के बारे में प्रशिक्षित कर चुका है। आईडीआई ने अभी तक ६५ विदेशी प्रशिक्षुओं को भी अपने कैम्पस में प्रशिक्षण दे चुका है। ये प्रशिक्षु रूस, नामीबिया, तंजानियां, कांगो, यूनाइटेड किंगडम आदि देशों के हैं। आईडीआई कई वेराइटी के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन करती है जिसमें हीरा निर्माण, हीरा ग्रेडिंग, ज्वैलरी डिजाइनिंग, ज्वैलरी मैन्यूफैक्चरिंग, सोने के आभूषणों और जेमोलोजी का असेइंग आदि की संपूर्ण प्रशिक्षण सुविधा है। आईडीआई के शैक्षिक कार्यक्रमों को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है जो कि प्रशिक्षित कार्मिकों के मांग को पूरा कर सके। प्रशिक्षण के दौरान संस्थान का जोर ज्यादातर प्रैक्टिल पर होता है। इस क्षेत्र में प्रशिक्षण दे रहे अन्य संस्थानों से तुलना करें तो पाएंगे कि आईडीआई का विस्तार तो ज्यादा है लेकिन अन्य संस्थानों की तुलना में इसका शुल्क बेहद कम है। आईडीआई का यह अनूठी सुविधा छात्रों के एक्सपोजर में सहायक होता है। देश में ज्वैलरी और डायमंड क्षेत्र में काम कर रही कंपनियां नियमित तौर पर संस्थान से कैम्पस रिक्रूटमेंट करती है। संस्थान का प्रशिक्षण कार्यक्र म विद्यार्थियों को अपना काम शुरू करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है। संपूर्ण रूप से देखें तो आईडीआई में जिस तरह से विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए लगता है कि यह शीघ्र ही जेम्स एंड ज्वैलरी क्षेत्र में शिक्षा का यह वैश्विक हब बन जाएगा।



जेमोलोजिकल लेबोरेटरी सेवा

आईडीआई के कतरग्राम स्थित मुख्य परिसर में चार प्रयोगशाला है जो कि आईडीआई-जीटीएल, आईडीआई- जीडीएल, आईडीआई-एमटीएल, आईडीआई-जीटीएल के नाम से जाना जाता है। इन प्रयोगशालाओं में डायमंड ग्रेडिंग रिपोर्ट, डायमंड ज्वैलरी क्वालिटी रिपोर्ट, जेम स्टोन टेस्टिंग रिपोर्ट, गोल्ड प्यूरिटी एलालिसिस रिपोर्ट, आभूषणों पर लेजर मार्किंग, स्टार और मिली साइज हीरों के लिए पॉकेट लॉट सर्टिफिकेशन की सुविधाएं मिलती हैं। आईडीआई जेमोलोजिकल लेबोरेटरी से जारी रिपोर्ट काफी साख रखते हैं।

आईडीआई ने हाल ही में सीएडी-सीएएम सुविधा भी शुरू की है जिसका उद्योग एवं व्यापार ने तहे दिल से स्वागत किया है। आईडीआई की प्रयोगशाला सुविधाएं आम लोगों के लिए खुली हैं। चाहे कोई आम आदमी हो या कोई इसी उद्योग से जुड़ा व्यक्ति हो। इसकी प्रयोगशालाओं में स्टेट आफ दि आर्ट इक्विपमेंट हैं जो कि बेहतर टेस्ट रिपोर्ट देने में सहायक हैं। इसके साथ ही प्रयोगशाला में उच्च प्रशिक्षित फै कल्टी को नियुक्त किया गया है ताकि यहां वल्र्ड क्लास सुविधा मिल सके। तभी तो प्रयोगशाला से निर्गत प्रमाणपत्रों को दुनिया भर में बड़े ही सम्मानपूर्वक ढंग से देखा जाता है। सबसे अच्छी बात यह है कि ये सब वल्र्ड क्लास सटिफिकेशन सर्विस बेहद रिजनेबल मूल्य पर उपलब्ध है। अन्य प्रयोगशालाओं से तुलना करें तो यह काफी प्रतिस्पर्धात्मक लगेगा। एक तरह से कहें कि आईडीआई रत्न एवं आभूषण उद्योग की सेवा नो प्रोफिट नो लॉस तरीके से कर रहा है।


मार्च - अप्रैल २०१४
इंडियन इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी, जयपुर
रत्न एवं आभूषण उद्योग का एक पायनियर संस्थान
प्रमोद अग्रवाल
चेअरमन- इंडियन इंस्टीच्यूट आफ
जेम्स एंड ज्वैलरी, जयपुर

इंडियन इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी (आईआईजीजे), जयपुर, भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की एक परियोजना है जिसे राजस्थान सरकार का भी सहयोग मिला हुआ है। यह रत्न एवं आभूषण उद्योग का एक पायनियर संस्थान है जिसका डिजाइन, तकनीक और प्रबंध पर फोकस है। जयपुर के कुछ मशहूर ज्वैलर्स के सामजिक दायित्व कार्यक्रम के तहत मिले अनुदान और काउंसिल के सहयोग से स्थापित यह संस्थान आज की तारीख एक महत्वपूर्ण संस्थान का रूप धारण कर लिया है। स्टेट आफ दि आर्ट इंस्टीच्यूट में आधुनिक तकनीक से लैस उपकरण, मशीनरी गजटों की भरमार और उच्च प्रशिक्षित एवं बेहद अनुभवी संकाय सदस्यों का मेल है। यही वजह है कि यह संस्थान ज्वैलरी कारोबारियों एवं समाज के बीच बेहद प्रशंसनीय स्थान बना चुका है। रत्न एवं आभूषण उद्योग में जो प्रशिक्षित कामगारों की कमी हो रही है, उस परिस्थिति से निपटने के लिए यह संस्थान पूरी तरह से तैयार है। इसका अनुसंधान एवं विकास केन्द्र रूबी और सफायर के ट्रीटमेंट के लिए तो भारत भर में ख्यात है। आईआईजीजे जयपुर राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के साथ ट्रेनिंग पार्टनर बनने वाला पहला संस्थान है जिसने रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के कौशल को सिखाने का बीड़ा उठाया। इंडियन इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी, जयपुर का औपचारिक उद्घाटन राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने १३ दिसंबर २०१० में किया था। तभी से यह संस्थान उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। उन्होंने १८ अगस्त २०१२ को बालक एवं बालिकाओं के लिए छात्रावास के लिए भी शिलान्यास किया था। छात्रावास का डिजाइन तैयार हो चुका है और इसका निर्माण कार्य भी शीघ्र ही शुरू हो जाएगा। छात्रावास में ३०० विद्यार्थियों के रहने की व्यवस्था होगी। आईआईजीजे जयपुर की डिग्री मेवाड़ विेशविद्यालय से संबद्ध है।

हाल ही में आईआईजीजे ने मेवाड़ विेशविद्यालय के साथ डिग्री संबद्धता कार्यक्रम के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया, जिससे रत्न एवं आभूषण के क्षेत्र में विशेषज्ञता बनाने वाले छात्रों को मदद मिलेगी। अब संस्थान में बीटेक, मास्टर्स और इंटीग्रेटेड प्रोग्राम के साथ साथ विभिन्न विषयों में पीएचडी के कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं।


इस समय संस्थान निम्र प्रोफेशनल कार्यक्रमों का संचालन कर रहा है।

डिजाइन प्रोग्राम
  • ज्वैलरी डिजाइन में ३ वर्षीय डिप्लोमा

  • ज्वैलरी डिजाइन में २ वर्षीय डिप्लोमा

  • ज्वैलरी डिजाइन में १ वर्षीय प्रोफेशनल सर्टिफिकेट

जेमोलोजी प्रोग्राम
  • जेम आईडेंटिफिकेकशन में ८ महीने का डिप्लोमा कार्यक्रम

  • सीएडी प्रोग्राम में ३ महीने में प्रोफेशनल सर्टिफिकेट

  • ३डी सीएडी (राइनोसोरस) में ३ महीने का प्रोफेशनल सर्टिफिकेट

मैन्यूफैक्चरिंग प्रोग्राम
  • ४ माह का माडल मेकिंग

  • २ महीने का मेटल सेटिंग

रत्न एवं आभूषण उद्योग में विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के तहत कार्मिकों को प्रशिक्षित करने के लिए विशेष कार्यक्रम
  • फाइलिंग एंड प्री पालिशिंग

  • स्टोन एंड वैक्स सेटिंग

  • माडल मेकिंग

  • सरफेस ओर्नामेंटेशन एवं फिनिशिंग टेक्रीक

  • बीडवर्क, पुवई, पटवा

  • जेम कटिंग एंड पालिशिंग

  • सर्टिफिकेट इन जेम आइडेंटिफिकेशन

इन योजनाओं के तहत हम मूक एवं वधिर बच्चों को भी प्रशिक्षित करते हैं और प्रशिक्षण के पश्चता उन्हें नौकरी दिलवाने में भी मदद करते हैं। भारत सरकार के सीमा एवं उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारियों के लिए भी संस्थान ने रत्न पहचान में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी संचालन किया।

इंडियन इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी जयपुर का अफगानिस्तान के साथ प्रोजेक्ट

इंडियन इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी जयपुर ने यूनाइटेड किंगडम के एक एनजीओ फ्यूचर ब्रिलियेंस अफगानिस्तान आर्गनाइजेशन (एफबीएओ) के साथ मिल कर जेमस्टोन एंड ज्वैलरी बिजनेस डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर काम किया। इसके तहत जनवरी से जुलाई २०१३ के दौरान ३६ अफगानी नागरिकों को जेम कटर्स एंड ज्वैलर्स का ६ माह का प्रशिक्षण दिया गया। एफबीएओ को अमेरिकी रक्षा विभाग के टास्क फोर्स फोर स्टेबिलिटी आपरेशन (टीएफबीएसओ) से यह दायित्व मिला था जो कि पार्टनर आफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट के तहत काम करती है।

इन्हें निम्र विषयों में प्रशिक्षण दिया गया
  • जेम कटिंग एंड पालिशिंग

  • डिप्लोमा इन जेमोलोजी

  • ज्वैलरी प्रोडक्शन

  • बीड मेकिंग एंड बीड वर्क

इंडियन इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी जयपुर का स्टेंडर्ड ट्रेनिंग असेसमेंट एंड रिवार्ड (स्टार स्कीम) प्रोजेक्ट

इस योजना का उद्येश्य युवाओं को कुछ वजीफा देकर कौशल विकास की ओर अग्रसर करना है। हालांकि वजीफा तभी दिया जाता है जबकि कार्यक्रम पूरा हो जाता है।

इस योजना का उद्येश्य है-
  • युवाओं के बीच कौशल के विकास के लिए मानकीकरण को बढ़ावा देना साथ ही सर्टिफिकेशन प्रक्रिया को भी बढ़ावा देना।

  • इस क्षेत्र में काम करने वालों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उनकी आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण कायक्रम विकसित करना ताकि देश में उत्पादन बढ़ सके।

  • युवाओं को इस क्षेत्र में प्रशिक्षण हासिल करने के लिए प्रोत्साहन के तौर पर वजीफे का इंतजाम करना।

  • किसी अधिकृत संस्थान की तरफ से आए प्रशिक्षणार्थी को प्रति व्यक्ति दस हजार रुपये की मौद्रिक सहायता उपलब्ध कराना।

आईआईजीजे जयपुर स्टार योजना के तहत आफ कैम्पस प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराता है। इस समय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के विभिन्न कोर्सों में ३८४ विद्यार्थी इनरोल्ड हैं।

जेवेल्स आफ राजस्थान - अखिल भारतीय आभूषण डिजाइन प्रतियोगिता

आईआईजीजे जयपुर जेवेल्स आफ राजस्थान कार्यक्रम के तहत अनूठे क्रिएटिव प्रतिस्पर्धा के लिए शिल्पियों को प्रोत्साहित करता है। इसमें पूरे भारत से शिल्पियों को आमंत्रित किया जाता है जो रत्न एवं आभूषण के क्षेत्र में अपनी क्रिएटिविटी प्रदर्शित करना चाहते हैं। यह प्रतिस्पर्धा युवाओं को प्रोत्साहित तो करती ही है, रत्न एवं आभूषण के क्षेत्र में उनका एक्सपोजर भी बढ़ाती है।

मार्च - अप्रैल २०१४
जेमोलोजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया
जीआईआई जेम इंडस्ट्री में वल्र्ड क्लास क्वालिटी ऐजुकेशन और सर्टिफिकेशन में प्रचलित नाम है
बकूल मेहता
चेअरमन - जेमोलोजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया

जब जेमस्टोन्स में विज्ञान की बात आती है और भारत में ऐसा कोई नाम हो जो डायमंड के वजन के मूल्यांकन में अग्रणी हो तब एक ही नाम जेमोलोजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (जीआईआई) का नाम उभर कर सामने आता है। जेमोलोजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया भारत के जेमस्टोन्स और डायमंड क्षेत्र में शीर्षस्थ प्रभूत्व है। जीआईआई जेम इंडस्टड्ढी में वल्र्ड क्लास क्वालिटी ऐजुकेशन और सर्टिफिकेशन में प्रचलित नाम है। यहां नैचुरल, सिंथेटिक और ट्रीटेड जेमस्टोन्स के बीच अंतर पहचानने का पाठ सिखाया जाता है।

जीआईआई भारत में एक अग्रणी स्वतंत्र एवं इंर्पाशियल इंस्टिट्यूट है। इसकी स्थापना जेम ट्रेड एंड इंडस्ट्री द्वारा १९७१ में एक गैर-लाभकारी संस्था के तौर पर पब्लिक चैरिटेबल टड्ढस्ट के रुप में भारत में जेमोलोजी के प्रोत्साहन एवं डेवलपमेंट के लिए हुई थी। आज यह भारत में अत्यंत प्रोग्रेसिव एवं विश्वसनीय इंस्टिट्यूट है। इसकी विश्वसनीयता इतनी बेजोड़ है कि डायमंड ग्रेडर्स जीआईआई के डायमंड ग्रेडिंग रिपोर्टस को बेंचमार्क मानते हैं। भारतीय जेम एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री में जरुरत महसूस करते हुए इंडियन जेम इंडस्ट्री के अग्रणी संस्थानों दि जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल, भारत डायमंड बुर्स, डायमंड एक्सपोर्टस एसोसिएशन लि, जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्टस एसोसिएशन और मुंबई डायमंड मर्चेंट्स एसोसिएशन ने मिलकर इसकी स्थापना की और मुंबई में डायमंड एवं जेमस्टोन्स के लिए नैशनल इंस्टिट्यूट आरंभ किया।




उपलब्धियां

जीआईआई ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं जो निम्नांकित हैं:-
  • यह पहला इंस्टिट्यूट है जिसने भारत में जेमोलोजी एवं डायमंड ग्रेडिंग में डिप्लोमा कोर्सेस के माध्यम से अबतक हजारों विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया है।

  • भारत में पत्राचार के माध्यम से जेमोलोजी में कोर्स शुरु करने वाला पहला इंस्टिट्यूट बना।

  • जेम की पहचान और डायमंड की ग्रेडिंग में शोर्ट टर्म कोर्सेस का संचालन

  • भारत में सबसे बढिया जेमोलोजिकल लाइब्रेरी विकसित किया

  • जीआईआई एक अलाइट टीचिंग सेंटर (एटीसी) भी है जहां एफजीए (लंदन) की परीक्षा भारत में होती है। लंदन बेस्ड फेलोशिप (एफजीए) की परीक्षाओं के लिए जेमोलोजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ ब्रिटेन ने भारत में शुरु से ही मान्यता प्राप्त सेंटर खोला है।

  • जीआईआई के डिप्लोमा धारकों को जीआईआई और जेम ए के बीच हुए एक विशेष करार के तहत पहले साल की परीक्षा की छूट दी गई है। इसके चलते जीआईआई डिप्लोमा के विद्यार्थी जेम ए की एफजीए डिप्लोमा परीक्षा में सीधे भाग ले सकते हैं।

  • पूरी दुनिया के विद्यार्थी इस इंस्टिट्यूट के कोर्सेस करने के लिए नामांकन करते हैं।

  • भारत में जेमोलोजी पर वैज्ञानिक पत्रिका इंडियन जेमोलोजिस्ट का एकमात्र प्रकाशन। इसमें जीजेईए बुलेटिन और फोरम आफ इंडियन जेमोलोजिस्ट एंड जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्टस एसोसिएसन का संयुक्त प्रयास है।

  • जेमस्टोन्स और डायमंड्स के क्षेत्र में पोस्ट ग्रैज्युएट और पीएचडी स्टडीज के लिए विभिन्न युनिवर्सिटीज द्वारा एक मात्र मान्यता प्राप्त रिसर्च स्टडी सेंटर

  • सॉफिस्टिकेटेड उपकरणों जैसे रमण स्पेक्ट्रोस्कोप, एफटीआईआर, यूवी विजिबल स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, ईडीएक्सआरएफ, एलआईबीएस, डायमंड व्यू आदि का एडवांस्ड ट्रेनिंग कोर्सेस में उपयोग किया जाता है।


जीआईआई में शिक्षा

साल १९७१ में स्थापित जेमोलोजिकल इंस्टिट्यूट आफ इंडिया देश का अग्रणी संस्थान है जिसने भारत में पहली बार जेमोलोजी का बीज बोया और आज जीआईआई को यह कहते हुए गर्व होता है कि उसके द्वारा आफर किए जाने वाले कोर्सेस दुनिया में उपलब्ध कोर्सेस से उत्तम हैं। जेमोलोजी अथवा जेम की पहचान का कोर्स एक संपूर्ण अध्ययन है जिसमें जमीन से निकाले गए जेमस्टोन्स में उसका क्रिस्टल सिस्टम, फिजिकल, आप्टिकल और केमिकल गुणों, सभी तरह के जेमस्टोन्स की पहचान, विभिन्न जेमस्टोन्स का सिंथेसीस और उनकी नैचुरल जेमस्टोन्स से पहचान आदि का समावेश है। जेम एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री में आपके सफल कॅरियर का शुभारंभ जीआईआई से होता है।

जीआईआई में उपलब्ध सारे कोर्सेस को जानने के लिए लॉगइन करें- www.giionline.com


मार्च - अप्रैल २०१४
आईआईजीजे ताड़देव, मुंबई
‘एक अच्छी डिजाइन मैन्युफैक्टचर, डिजाइनर, रिटेलर और कस्टमर के बीच अटूट बंधन है'
नमिता पांड्या
संयोजक - आईआईजीजे ताड़देव

टीएनजे ब्यूरो ने सुश्री नमिता पंड्या से डिजाइनर ज्वैलरी के महत्व पर बातचीत की और उन से ज्वैलरी के नग की डिजाइन करते समय एक डिजाइनर को किन किन बातों का खास ध्यान देना चाहिए, के विषय में विस्तार से जाना। पेश है उस इंटरव्यू के कुछ अंशः

डिजाइन

डिजाइन विभिन्न कार्यों के लिए अलग अलग होता है। यह एक ऐसी शैली है जो एक विचार को ज्वैलरी के नग में तब्दील करती है। एक अच्छी डिजाइन मैन्युफैक्टचर, डिजाइनर, रिटेलर और कस्टमर के बीच अटूट बंधन है। यह एक टीम का कार्य है जो ट्रेंड सेट करता है। जैसे कि एक शेफ जो खाना बनाने में अपने सारे मसालों का सटीक इस्तेमाल करता है और उसे परोसता है, वैसे ही डिजाइनर अपने ज्वैलरी के पीस में इमोशंस और कांसेप्ट को शामिल करता है। वेस्टर्न वल्र्ड का एक ट्रेंड लीडर एशियाई बाजारों में ट्रेंड सेटर हो जाता है। भारत में टिकाउपन के साथ साथ समय का महत्व बढ़ता जाता है। भारतीय कार्यशैल में ट्रेंड अवश्य होनी चाहिए।

उपभोक्ता संबंध

डिजाइनर ज्वैलरी को बेचते समय ग्राहकों के साथ संबंध बडा महत्वपूर्ण होता है। इन उत्पादों के पीछे की कहानी को गढ़ कर ग्राहकों के भरोसे एवं मन को जीता जा सकता है। और भी अनेक घटक हैं जो डिजाइनर ज्वैलरी को बनाते समय ध्यान में रखे जाते हैं।

जागरुकताः  एक डिजाइनर को नए पसंदों एवं उत्पादों से अवगत होना चाहिए। उन कारकों को भी ध्यान में रखना चाहिए जो ग्राहकों को प्रभावित करते हैं। उसे ग्राहकों की पसंद के मुताबिक नग में बदलाव करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

पौराणिक कलाओं में परिवर्तनः  ग्राहकों की पसंद और पौराणिक कलाओं में हर दिन परिवर्तन होने लगे हैं। ऐसे में भारत जो विविधताओं में एकता वाला देश है, जहां की संस्कृति एवं परंपरा में विविधता है, डिजाइनरों को इनकी पौराणिक पंसदों से अवगत रहना चाहिए।

स्टाइल एवं भावनाः   स्टाइल एवं भावना डिजाइन के मामले में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यहां डिजाइनर को नग तैयार करते समय स्टाइल और भावना पर खास जोर देना चाहिए।

डिजाइन इन्नोवेशनः  उत्कृष्टता के लिए इन्नोवेशन अत्यंत जरुरी है और प्रत्येक डिजाइनर को इन्नोवेटिव होना चाहिए और हर तरह के प्रयोग के लिए तैयार रहना चाहिए। इससे उनकी डिजाइन में श्रेष्ठता आती है।

आर्थिक बाधाएं:-  ज्वैलरी बनाते समय एक डिजाइनर के सामने अनेक आर्थिक बाधाएं आती हैं। डिजाइनर ग्राहकों की पसंद के मुताबिक बेहतरीन ज्वैलरी नग बनाने का प्रयास करता है। इस डिजाइन का मूल्य भी ग्राहकों के लिए मायन रखता है। डिजाइनर ज्वैलरी के मूल्य की बात करें तो आपको बता दूं कि पश्चिमी बाजारों में इसका विशेष महत्व रहता है। मैक्रो मार्केट के प्रभाव का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है जिसे डिजाइनरों को ध्यान में रखना चाहिए। डिजाइनरों को नग के वजन पर ध्यान देना चाहिए कि उसमें गोल्ड एवं डायमंड के परिमाण क्या हैं और उसे परफेक्ट मैच के लिए आवश्यक सामग्रियों से भी अवगत रहना चाहिए।



भारत के विद्यार्थियों जो जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री में अपने करियर को चुनना चाहते हैं, उनको तीन महत्वपूर्ण घटकों पर खास ध्यान देना चाहिएः
  • ऑब्सर्व

  • बसोर्ब

  • इवोल्व
नमिता पांड्या ज्वैलरी डिजाइन में बेहद सक्रि य हैं और उन्होंने अपने डिजाइनों के लिए डी बीयर्स और वल्र्ड गोल्ड काउंसिल से कई पुरस्कार भी हासिल किया है। वह अपने फेमिली बिजनेस में कंसेप्चुलाइजिंग, डिजाइनिंग और मर्केडाइजिंग के लिए पूर्ण रूप से कार्य करती हैं। ज्वैलरी डिजाइनिंग के क्षेत्र में आयोजित कई प्रतियोगिता के लिए उन्होंने जज का भी कार्य किया है। उदाहरण के लिए डी बीयर्स मिलेनियम कंटेस्ट आदि। इस समय वह रत्न एवं आभूषण निर्यात प्रोत्साहन परिषद के ज्वैलरी डेवलपमेंट और प्रोडक्शन सेंटर की कन्वेनर हैं। सामाजिक तौर पर भी वह बेहद सक्रिय हैं। इस समय वह फेंड्स आफ ट्राइबल सोसाइटी की वाइस प्रेसिडेंट हैं। वह फ्रेंड्स आफ ट्राइबल सोसाइटी के लिए पिछले २५ वर्षों से कार्य कर रही हैं और पिछले १५ वर्षों से ग्रामीण विकास समिति-चंद्रपुर की ट्रस्टी भी हैं। इन दोनों संगठनों में वह अंडर प्रिविलेज्ड, खास कर बच्चों के शिक्षा के लिए कार्य कर रही हैं।

इन सब के अलावा वह फिल्म सेंसर बोर्ड की रिवाइजिंग कमेटी के सदस्य के रूप में भी १९९९ से २००० के बीच काम कर चुकी हैं।

आईआईजीजे ताड़देव के बारे में जानकारी

इंडियन इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी (आईआईजीजे) ताड़देव (पहले जेपीडीसी) रत्न एवं आभूषण के क्षेत्र में एक प्रीमियर ट्रेनिंग सेंटर है, जिसकी स्थापना १९८५ में की गई थी। इसकी एक शाखा (दक्षिण मुंबई परिसर) आईआईजीजे मुंबई भी है। भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा संपोषित रत्न एवं आभूषण निर्यात परिषद की एक शैक्षिक परियोजना है आईआईजीजे मुंबई। भारत में तेजी से बढ़ रहे रत्न एवं आभूषण उद्योग में निरंतर बढ़ रहे मानव संसाधन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आईआईजीजे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आईआईजीजे ताड़देव की कन्वेनर श्रीमती नमिता पांड्या भारत के रत्न एवं आभूषण उद्योग की एक सम्मानजक हस्ती हैं। वह ख्यात कंपनी रेवाशंकर जेम्स की निदेशक हैं और उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिल चुके हैं। यही नहीं, वह सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में भी समर्पित महिला हैं। आईआईजीजे ताड़देव को मार्च २०११ में पूरी तरह से नया रूप दिया गया था। उसके बाद इसे नए सत्र से चालू किया गया। आईआईजीजे ताड़देव से अभी तक ३००० से भी ज्यादा विद्यार्थी प्रशिक्षण पा चुके हैं और इस समय देश-विदेश में काम कर रहे हैं। इस संस्थान में स्टेट आफ दि आर्ट सुविधाएं हैं जैसे वातानुकूलित कक्षाएं, अनुभवी और विदेशों में प्रशिक्षण प्राप्त संकाय सदस्य और इस क्षेत्र की पुस्तकों से भरपूर पुस्तकालय। यह मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन और दक्षिण मुंबई के केन्द्रीय बिजनेस डिस्ट्रीक से पैदल दूरी पर अवस्थित है। इस संस्थान में ज्वैलरी डिजाइन के क्षेत्र में पार्ट टाइम (सुबह और सांध्यकालीन), क्रेश और वेकेशन बैच चलाये जा रहे हैं जिनमें बेसिक, एडवांस, कंप्यूटर एडेड ज्वैलरी डिजाइन, उद्योग के अनुरू प डिजाइन, आभूषणों और लक्जरी सामानों की खुदरा बिक्री आदि की जानकारी दी जाती है। इन कोर्सों में किसी भी आयु के महिला-पुरूष दाखिला ले सकते हैं। हर कोर्स में सीमित संख्या में सीटें होती हैं जो कि पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर भरी जाती हैं। शीघ्र ही आईआईजीजे ताड़देव में पालिश्ड डायमंड एसोर्टमेंट पर एक नया कोर्स शुरू हो रहा है। इस संस्थान से पास किये हुए विद्यार्थियों के लिए १०० फीसदी प्लेसमेंट की भी सहायता उपलब्ध करायी जाती है। संस्थान की तरफ से आवधिक नि:शुल्क संगोष्ठि का भी आयोजन किया जाता है जिसमें रत्न एवं आभूषण उद्योग के नामचीन लोग अपना अनुभव बांटते हैं।

आईआईजीजे ताड़देव में पढने वालों को विभिन्न कैरिअर फेयर में भी जाने का मौका मिलता है। इसके अलावा इंटरनेशनल ज्वैलरी शो जैसे अति लोकप्रिय कार्यक्रम में भी शिरकत करते हैं। संस्थान सभी विद्यार्थियों को प्रतिस्पर्धा और प्रदर्शनी के लिए प्रोत्साहित करते रहता है। हाल ही में संस्थान की एक छात्रा सुश्री निकिता लोढ़ा का चयन वरूणा जानी के वो इनिशिएटिव के लिए हुआ। इसके अलावा १५ छात्रों ने आल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के राष्ट्रीय आभूषण पुरस्कार २०१४ में भाग लिया। सुश्री उन्नति त्रिवेदी तो दूसरे राउंड के लिए भी चुनी गईं। संस्थान के दो विद्यार्थियों ने जे द्वारका प्रतिस्पर्धा में भी भाग लिया।

मार्च - अप्रैल २०१४
जीआईए
जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री में बीते ८ दशक का अटूट विेशास
श्रीमती निरूपा भट्ट
प्रबंध निदेशक - जीआईए, इंडिया

एशिया का जेम एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री पिछले एक दशक में मैन्युफैक्चरिंग एवं ट्रेडिंग के अलावा उपभोक्ता मार्केट में तेजी से बढ़ा है। भारत और चीन इसमें सबसे आगे हैं। भारत पहले से ही डायमंड और एमराल्ड की कटिंग में अग्रणी रहा है। वैश्विक स्तर पर इंडियन जेम एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री ने २४ बिलियन अमेरिकी डालर के पालिश किए डायमंड्स और जेमस्टोन्स का निर्यात कर अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। जीआईए (जेमोलोजिकल इंस्टिट्यूट आफ अमेरिका) ने जेम एंड ज्वैलरी की खरीदारी में बीते आठ दशक से अपने जेमोलोजिकल रिसर्च, थर्ड पार्टी एनालिसिस आफ जेमस्टोन क्वालिटी और वैश्विक स्तरीय शिक्षण प्रोग्रामों के मार्फत लोगों का विेशास जीता है। पब्लिक की सेवा में चल रहा यह नानप्राफिट संस्थान जीआईए किसी भी रिटेलर, ट्रेडर, होलसेलर या मैन्युफैक्चरर के साथ नहीं जुड़ा है। इस मुख्य ध्येय पब्लिक के हित को सुरक्षा प्रदान करना है। जीआईए ने एशिया में गत तीस वर्षों से जापान, कोरिया, ताइवान, थाइलैंड, हांगकांग और चीन में अपनी उपस्थिति का विस्तार कर रहा है क्योंकि इन देशों में जेम्स एंड ज्वैलरी का बाजार बढ़ा है। साल २००४ में जीआईए ने मुंबई में अपना कैंपस शुरु किया और २००८ में मुंबई में अपने लैबोरेटरी की शुरुआत की। तब से जीआईए भारत में अपने ट्रेनिंग एवं सर्विस नेटवर्क को और बढ़ाने में जुटा है।

जीआईए का मुंबई लैबोरेटरी

जीआईए का मुंबई के बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स में भारत डायमंड बुर्स के पास अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त लैबोरेटरी है। इस लैबोरेटरी में ग्रेडर्स एवं जेमोलोजिस्ट, मैन्युफैक्चरों, ट्रेडर्स और देशभर के रिटेलरों के लिए लैबोरेटरी सेवाएं देने के लिए विशेषज्ञों की अनुभवी टीम है। इस लैबोरेटरी में डायमंड्स, कलर्ड स्टोन्स और सभी आकारों के पल्र्स ग्रेडिंग एवं आईडेंटिफिकेशन के लिए लाए जाते हैं। जीआईए का मुंबई लैबोरेटरी वैश्विक मानकों पर खरा है और यहां सारी अत्याधुनिक उपकरण हैं जो इसे खास बनाती हैं। जीआईए की रिपोर्ट जेमस्टोन की क्वालिटी के उत्कृष्ट पैमाना माना जाता है और सर्टिफिकेशन में इसे बेंचमार्क समझा जाता है। मुंबई की लैबोरेटरी में ग्राहकों के लिए सुविधाएं जैसे कि सूरत से जेमस्टोन की पिक अप और डिलीवरी जैसी सेवाएं भी दी जाती है। ग्राहक इसकी वेबसाइट माई जीआईए पर आनलाइन जा सकते हैं। इस साइट पर उनके स्टोन्स की मौजूदा स्थिति की जानकारी लैब से पाई जा सकती है।

भारत में जीआईए का शिक्षण कार्यक्रम

जेम एंड ज्वैलरी के एजुकेशन में एक वैश्विक लीडर होने के नाते जीआईए ने वल्र्ड के अनेक प्रख्यात जेमोलोजिस्ट्स, बिजनेस आनर्स, ज्वैलरी डिजाइनर्स और रिटेल प्रोफेशनल्स को प्रशिक्षित किया है। भारत में जीआईए मुंबई में अपने कैंपस से शिक्षण प्रोग्राम चलाता है। नई दिल्ली, जयपुर एवं सूरत में इसकी टिचिंग क्लासेस भी हैं। यह संस्थान शैक्षणिक कोर्स, सेमीनार और वर्कशाप देश के ६० से अधिक स्थानों में आयोजित कर चुका है। जीआईए ने अबतक भारत में १२,००० और पूरे विेश में ३२५००० प्रोफेशनलों को प्रशिक्षित किया है। जीआईए के कोर्स जेमोलोजी और डिजाइन से लेकर सेल्स एवं मर्चेंडाइजिंग तक हैं। इसकी डिजाइन व्यक्तिगत एवं कारोबारियों को उनके व्यैक्तिक एवं समुचित विकास के लिए तैयार किया गया है। जीआईए के जेमोलोजी करिकुलम फीचर्स में डायमंड्स, कलर्ड स्टोन्स एवं पल्र्स के विशेष कोर्सेस को शामिल होते हैं। जो अद्यतन जैसे सिमुलेंट्स, सिंथेटिक्स और ट्रीटमेंट्स जैसे वर्तमान एडवांसमेंट पर आधारित होते हैं। विद्यार्थियों को एक्चुअल जेमस्टोन्स और जेमोलोजिकल उपकरणों पर काम करने का अवसर दिया जाता है। टेक्निकल विषयों को स्थानीय भाषा में समझाया जाता है। पिछले सालों में जीआईए ने सूरत जयपुर, दिल्ली, बंगलूर और चेन्नई जैसे महत्वपूर्ण सेंटरों में अपने प्रतिष्ठित ग्रैज्युएट डायमंड्स डिप्लोमा आरंभ किया है। जीआईए के ज्वैलरी करिकुलम में विद्यार्थियों को एक्सटेंसिव एवं शार्टर-टर्म डिजाइन एवं मर्चेंडाइजिंग प्रोग्रमों के चयन का मौका दिया जाता है। ऐसे जो ज्वैलरी के रिटेल में हैं के लिए थिओरी और रोल प्लेइंग एक्सरसाइजेस का कोर्स दिया जाता है इससे उनका अनुभव बढ़ता है।

वैरायटी फार्मेट में भी जैसे डिप्लोमा प्रोग्राम्स, लैब क्लासेस, स्कील बिल्डिंग सेमीनार, कंपनियों के लिए कस्टोमाइज्ड प्रोग्राम्स, वर्कशाप और आनलाइन कोर्सेस उपलब्ध हैं जो विद्यार्थियों को उनकी पसंद एवं लाइफस्टाइल के मुताबिक शिक्षा ग्रहण करने का मौका देता है।

शैक्षणिक संस्थानों, टड्ढेड एसोसिएशनों एवं सरकारी निकायों के साथ कार्य

गत वर्षों में जीआईए ने शैक्षणिक संस्थानों और ट्रेड एसोसिएसनों और सरकारी निकायों के साथ ग्रासरुट पर कार्य आरंभ किया है। इससे जीआईए को देशभर के ट्रेड कम्युनिटी के पास जाने का मौका मिला है और स्थानीय लोगों को उनकी भाषा में शिक्षित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। जीआईए दिल्ली, जयपुर, कोलकाता और मुंबई स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी में अपनी क्लासेस आर्गेनाइज करता है। जीआईए कर्नाटक के मणिपाल इंस्टिट्यूट आफ ज्वैलरी मैनेजमेंट के विद्यार्थियों के लिए जेमोलोजी एवं डिजाइन के क्लास भी करता है। इन कार्यों से जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री में प्रोफेनलों की तादाद बढ़ी है। जीआईए नैशनल ट्रेड एसोसिएशनों जैसे आल इंडिया फेडरेशन आफ जेम्स एंड ज्वैलरी (जीजेएफ) और सूरत, बंगलोर, चेन्नई, नागपुर, पुणे, रायपुर और चंडीगढ़ के लोकल ट्रेड बाडीज के साथ भी कार्य करता है। जीआईएफ लीडरशीप समिट, ट्रस्ट मार्क प्रोजेक्ट और जेम एंड ज्वैलरी स्कीर कोंसिल आफ इंडिया आदि ऐसे प्रोग्राम हैं जिनपर जीआईए इंडस्ट्री के साथ मिलकर मंच उपलब्ध कराता है। जीआईए का मानना है कि शिक्षा बिजनेस के गुणवत्ता को बने में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसी कारण इसके अनेक पहलों को अच्छा प्रतिसाद मिला है और अनेक जगहों पर पार्टनरशिप जारी है।

ट्रेड शो एवं सेमीनार

जीआईए पूरे देश में राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय ट्रेड शो को प्रमुखता देता है। इसमें मुंबई में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल ज्वैलरी शो, बंगलूर में साउथ इंडिया ज्वैलरी शो, जयपुर ज्वैलरी शो और सूरत में स्पार्कल ऐसे हैं जहां जीआईए की उपस्थिति प्रोत्साहन को बढ़ावा देती है। इन शो में इंस्टिट्यूट ट्रेड के सदस्यों को इंडस्ट्री के मुख्य विषयों से अवगत कराते हैं, प्रैक्टिकल सूचना देते हैं जिससे उनके दैनिका कारोबार में इजाफा हो।

बिजनेस के लिए कस्टोमाइज्ड प्रोग्राम्स

हर बिजनेस अनूठा होता है और हर संगठन में खामियां रहती हैं। बिजनेस की जरुरतों को पूरा करने, कर्मचारियों के अनुभव स्तर में सुधार, जाब प्रोफाइल्स और भाषा सभी बिजनेस को बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इसलिए कस्टोमाइज्ड ट्रेनिंग व्यक्तियों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। जीआईए मैन्युफैक्चरिंग एवं रिटेल कंपनियों के लिए कस्टोमाइज्ड प्रोग्राम्स तैयार करने में समय निवेश करता है। इसके टापिक्स जेम्स एवं सेल्स टेक्निक से लेकर जेमोलोजिकल एडवांसमेंट को आरंभ से समझने पर आधारित होते हैं। इस संस्थान ने तनिष्क, धर्मानंदन डायमंड्स, वीनस जेम्स, श्री रामकृष्ण एक्सपोट्र्स, सी. कृष्नैया चेट्टी आदि अग्रणी कंपनियों के लिए प्रोग्राम का आयोजन किया है।

नए टैलेंट का प्रोत्साहन

जीआईए जेम एंड ज्वैलरी इंडस्टड्ढी में नए टैलेंट को विकसित करने में मदद करता है और प्रोफेशनलों को कर्मचारियों से मिलाने का काम करता है। इंडस्ट्री में नई नियुक्तियों को बढ़ावा देने के लिए जीआईए ज्वैलरी करियर फेयर का आयोजन किया जाता है जिससे कि नौकरी के इच्छुकों को उनके अनुभव के मुताबिक नौकरी मिल सके। आज के दौर में नौकरी पाने के लिए इंडस्ट्री के नए ट्रेन्ड एवं अवसरों को जानना जरुरी होता है। इसके अलावा नए टैलेंट को कैरियर बनाने का मौका मिलता है। जीआईए ज्वैलरी कैरियर फेयर मुंबई, नई दिल्ली, बंगलोर और चेन्नई में आयोजित करता है और इस इवेंट को पूरे देश में फैलाने की इसकी योजना है।

अल्युमिनी के लिए अनूठा मंच

जीआईए के कार्य विद्यार्थियों के ग्रैज्युशन तक ही केवल सीमित नहीं रहता। जीआईए अल्युमिनी को भी सपोर्ट करता है और इसके लिए अनेक प्रोग्रामों का आयोजन करता है। उदाहरण के लिए जीआईए ने अपने अल्युमिनी के टैलेंट को दर्शाने के लिए इंटरनेशनल आडियेंस के सामने इंडिया ज्वैलरी वीक का आयोजन किया था। जीआईए ने अल्युमिनी में से १० सदस्यों को चुना और उन्हें व्यक्तिगत टैलेंट दिखाने का इंडिया ज्वैलरी वीक में मौका दिया। ऐसे कार्य में अल्युमिनी को उनके कार्य दुनियों को दिखलाने का मौका मिलता है। वैश्विक स्तर पर मीडिया और क्रेताओं के नेटवर्किंग होती है। इससे जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री में सफल करियर का मार्ग खुलता है।

जीआईए गुणवत्ता और कांसिसटेंसी का दूसरा नाम है और यह संस्थान भारत के ट्रेड कम्युनिटी को अपनी लैबोरेटरी के माध्यम से सेवाएं देने के लिए समर्पित है। अधिक जानकारी के लिए भारत में जीआईए की वेबसाइट www.giaindia.inदेखें और लैब के लिए lalabindia@gia.eduपर तथा एजुकेशन के लिए eduindia@gia.eduपर मेल करें या फोन करें 18001021566

मार्च - अप्रैल २०१४
गोल्डस्मिथ एकेडमी, मदुरै
बेहतरीन गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने में सफल
तिरूपति राजन
प्रबंध निदेशक - गोल्डस्मिथ एकेडमी

गोल्डस्मिथ अकादमी (जीएसए) को भारत का अनूठा एवं नंबर-१ स्थान पाने पर गर्व है। पारंपरिक स्वर्णकारों को आधुनिक तकनीक से परिचित कराने के लिए कौशलता से विकास कार्यक्रम शुरू करने वाला जीएसए पहला संस्थान है। हमारे यहां एस. तिरू पति राजन की अगुआई में उच्च प्रशिक्षित पेशेवरों की एक पूरी टीम है। श्री राजन अपनी गहन जानकारी और अनुभव से अपनी टीम को उनके कोआर्डिनेटर, फैसिलिटेटर्स, फैकल्टीज और स्टाफ को ग्राहकों के आराम और संपूर्ण संतुष्टि तक गाइड करते हैं। हमारे पास एक समर्पित टीम भी है जो कि २४ घंटे काम करती है और भागीदारों की उम्मीदों के मुताबिक बेस्ट क्वालिटी एजुकेशन उपलब्ध कराते हैं और हमारे टिचिंग स्टाफ की टीम बेहतरीन गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।




स्किल डेवलपमेंट कोर्सेस (१९९९ से)
  • ज्वैलरी डिजाइनिंग (बेसिक)

  • ज्वैलरी मैन्यूफैक्चरिंग टेक्निक्स

  • ज्वैलरी कास्टिंग टेक्निक्स

  • इलेक्ट्रोप्लेटिंग एंड पालिशिंग

  • स्टोन सेटिंग

  • रिफाइनिंग एंड एसेयिंग टेक्निक्स

  • सर्टिफाइड ज्वैलरी प्रोफेशनल

  • ज्वैलरी सेल्स मैनेजमेंट (महिलाओं के लिए)

  • जेमोलोजी

  • आईडेंटिफिकेशन आफ डायमंड

  • आईडेंटिफिकेशन आफ नवरत्न जेम्स
क्लस्टर डेवलपमेंट सेंटर (२००७ से)

गोल्डस्मिथ अकादमी प्राइवेट लिमिटेड फ्राइडे माइक्रो वेंचर्स (चेन्नई) के सहयोग से देश भर में क्लस्टर डेवलपमेंट कार्यकलापों का आयोजन करती है।
  • टेक्निकल पार्टनर, मदुरै ज्वैलरी मैन्यूफैक्चरर्स कंसोर्टियम प्राइवेट लिमिटेड के लिए (एमएसई-सीडीपी कार्यक्रम के तहत, एमएसएमई)

  • टेक्निकल रीजनल सेमिनार पार्टनर, मदुरै ज्वैलरी शो और ज्वैलरी इंडस्ट्री ट्रेड शो के लिए

  • एमएसएमई- त्रिसुर केरल में गोल्ड ज्वैलरी क्लस्टर के लिए ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग कार्यशालाओं का आयोजन किसी मान्य टेक्निकल स्कूल में आयोजित करना, २०० से अधिक कुशल कारीगर

  • ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड, दक्षिणी क्षेत्र के तत्वावधान में टेक्निकल इंस्टिट्यूट फार आर्टिजन टड्ढेनिंग प्रोग्राम का संचालन। अभी तक देश भर में इस तरह के २६ बैच चलाये जा चुके हैं जिसमें ८०० से भी ज्यादा शिल्पियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
अप्रेजल सेंटर (१९९९ से)

ज्वैलरी अप्रेजल कोर्स में हमने भारत का पहला अग्रणी संस्थान बनने की दिशा में काम कर के दिखाया है। अभी तक हम सफलतापूर्वक ५०,००० से भी ज्यादा भागीदारों को इस पाठ्यक्रम के तहत प्रशिक्षित कर चुके हैं।
  • स्वर्णकारों, कारोबारियों और बैंक अप्रेजर के लिए चार दिवसीय कोर्स

  • बैंक के अधिकारियों के लिए दो दिवसीय कोर्स

  • आम जनता के लिए १० दिवसीय कोर्स
उद्देश्य- हमारा उद्देश्य लोगों को वैसा कौशल प्रदान करना है ताकि वे असली और नकली गहनों में भेद करने में सक्षम हो सके।
  • यहां सीखने के लिए बेहतरीन अवसर है। आप यह जान सकते हैं कि असली गहने की क्या विशेषता होती है और नकली गहनों की किस तरह से पहचान होती है।

  • नकली गहनों की पहचान के लिए अप्रैजल वाले साजो सामान के बारे मे जानकारी दी जाती है और उसका उपयोग करना सिखाया जाता है।

  • गहनों के विजुअल अपियरेंस के बारे मे सीखना ताकि कोई निर्णय लेने की क्षमता विकसित हो

ज्वैलरी इंस्पेक्शन विंग (वर्ष २००४ से)

ज्वैलरी लोन के उद्देश्य से आए गहनों के री-अप्राइजल के लिए जीएसए सरकारी बैंकों, सहकारी बैंकों, और निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए एक अग्रणी जांच संस्थान है। यह देश भर के बैंकों को अपनी सेवाएं उपलब्ध कराता है। अभी तक संस्थान में पांच करोड़ रुपये के नकली गहने पकड़े जा चुके हैं।

मशीनरी टूल्स एवं कंज्यूमेबल्स (वर्ष १९९९ से)

ज्वैलरी उद्योग में काम आने वाले मशीनों, औजारों और अन्य साजो सामान के हम सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता हैं। हमारा कार्यक्षेत्र दक्षिण भारत के शहर है।

हमारे उत्पाद हैं-
  • मेल्टिंग मशीन (१ किलो क्षमता)

  • रिफाइनिंग मशीन (१ किलो एवं ३ किलो की क्षमता)

  • कास्टिंग मशीन, इक्विपमेंट टूल्स और कंज्यूमेबल्स

  • इलेक्ट्रो पालिशिंग यूनिट

  • इलेक्ट्रोप्लेटिंग यूनिट

  • ज्वैलरी वर्क बेंचेस

  • ज्वैलरी मैन्यूफैक्चरिंग टूल किट

  • ज्वैलरी अप्रेजल टूल किट

  • प्लायर्स एवं कटर्स इक्विपमेंट

  • ट्वीजर्स एवं फाइल्स इक्विपमेंट
करीब ५० से ज्यादा ग्राहक हमारे एक्वेरेजिया रिफाइनिंग सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं।

टेक्नोलोजी - एक्वारेजिया सिस्टम पोल्यूशन - हजार्डस धुआं वाटर ट्रीटमेंट के जरिये न्यूटड्ढलाइज हो जाता है।

सिस्टम नालेज आफ केमिस्ट्री - इसे करने के लिए इसका ज्ञान जरूरी नहीं है।

रिकवरी आफ गोल्ड फ्राम - हाई ग्रेड स्क्रैप जैसे ज्वैलरी कास्टिंग, मशीन स्पिल, फिलिंग, पालिशिंग, कारखाने में झाडू़ लगाने के बाद निकले कूड़े आदि से।

यूज आफ सिल्वर - रिफाइनिंग क्षमता की जरूरत नहीं -१ किलो और ३ किलो क्षमता का गोल्ड यिल्ड -९९.९० फीसदी रिफाइनिंग शुद्धता - ९९.९० फीसदी या इससे ज्यादा इलेक्टिड्ढकल कंजप्शन -२३० वोल्ट, ६०० वाट , ५० हर्टज (सिंगल फेज) रिफाइनिंग समय - अधिकतम तीन घंटे।

संपर्क का पता

कार्यालय- ओल्ड नंबर ३९/४०, न्यू नंबर १०९१/१११, चिन्नाकडाई स्ट्रीट, साउथगेट, मदुरै - ६२५००१, तमिलनाडु

इंस्टिट्यूट - १३७/५ बी२, अवानीयापुरम बाई पास रोड, अवानियापुरम, मदुरै ६२५०१२, तमिलनाडु

जानकारी के लिए संपर्क करें
goldsmithacademy2012@gmail.com(or) 09842195644,

मार्च - अप्रैल २०१४
श्रीजी राजेन्द्र डायमंड क्लासेज
एक उच्च प्रशिक्षित जेमोलोजिस्ट और डिजाइनरों की टीम है
राहुल देसाई
निदेशक - श्रीजी राजेन्द्र डायमंड क्लासेज

रत्न एवं आभूषण उद्योग निर्यात के जरिये राजस्व प्राप्त करने वाला कारोबार है। इस कारोबार की बारीकियां श्रीजी राजेन्द्र डायमंड क्लासेज (एसआरडीसी-इंडिया) से सीखी जा सकती है जिसकी स्थापना १९६५ में हुई है। यह संस्थान पेशेवरों के साथ साथ रत्न के क्षेत्र में ज्यादा जानकारी जुटाने वालों की भी जिज्ञासा की पूर्ति कर रहा है। एसआरडीसी से अभी तक ५०,००० से भी अधिक व्यक्ति प्रशिक्षित हो चुके हैं जिन्हें हीरा उद्योग की प्रसिद्ध कंपनियों ने नौकरी दी है। हीरो की खरीद और बिक्री में माहिर बनना हो या हीरा के ब्रोकरेज कारोबार में सिद्धहस्तता हासिल करनी हो या आभूषण निर्माण और इसके वैल्यूएशन से संबंधित तकनीक सीखनी हो, इस क्षेत्र में रोजगार की असीमित संभावनाएं हैं।

एसआरडीसी - इंडिया इस समय पालिश किये गए हीरे, खरड़, कीमती पत्थरों, हीरे और रत्न की कटिंग कोर्स में एक बेहतरीन प्रेक्टिकल अधारित शिक्षा प्रदान कर रहा है जहां उच्च प्रशिक्षित जेमोलोजिस्ट और डिजाइनरों की एक टीम है। इस टीम का उद्येश्य छात्रों को संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना है ताकि उनमें भी बेहद उच्च स्तर की योग्यता आ सके।

एसआरडीसी में निम्र कोर्स आफर किये जाते हैं:
  • पालिश्ड डायमंड ग्रेडिंग

  • एडवांस डायमंड ग्रेडिंग (माइक्रोस्कोप ग्रेडिंग)

  • रफ डायमंड एसोर्टमेंट

  • डायमंड मार्केटिंग एंड वैल्यूएशन (ब्रोकरेज, सेल परचेज, ज्वैलरी वैलूएशन)

  • जेमोलोजी प्रोग्राम (जेम आइडेंटिफिकेशन)

  • पर्ल आइडेंटिफिकेशन

  • ज्वैलरी डिजाइनिंग

  • कारपोरेट ट्रेनिंग एंड सेमिनार्स

  • होम ट्यूशन

  • पालिश्ड डायमंड ग्रेडिंग (पीडीजी)
    • फोरमेशन आफ डायमंड- इसके तत्व एवं विशेषताएं - हीरों के स्रोत।

    • नोइंग रफ डायमंड - खरड़ को कैसे हीरे में बदला जाता है, हीरे के बारे में संक्षिप्त जानकारी।

    • इस प्रक्रिया में उपयोग होने वाले उपकरणों की जानकारी

ग्रेडिंग के अंतरराष्ट्रीय तरीके की जानकारी: ४ सी: क्लियरिटी, कट, कलर और कैरेट वजन।

क क्लियरिटी- इंक्लूजन, ब्लेमिशेज और इसकी क्लियरिटी ग्रेडिंग के अन्य कारक।
क कट- हीरे में बेवजह लगाए जाने वले कट (इडल कट डायमंड) के बारे में जानकारी, प्रोपोर्शन एंउ सिमेट्री कारक।
क कलर- रंगों की ग्रेडिंग (शेडिंग) क केरेट, वजन- आकार के आधार पर बांटना, वजन का अनुमान, गेज और सिवे का उपयोग।
  • सिंगल कट- डबल कट हीरे और फैंसी कट हीरों की पहचान

  • पालिश किये गए ग्रेड के मुताबिक पूर्ण एसोर्टिंग, हीरों के सेलेक्शन-रिजेक्शन और पूर्णता के साथ एसोर्टमेंट फाइनल।

  • एसोर्टमेंट के तरीके और निर्यात।

  • असली हीरों की पहचाना और अमेरिकी डायमंड। नवीनतम सिमुलेंट्स और सिंथेटिक।

  • गेज और सिवे की जानकारी।

  • हीरों का उपयोग।


एडवांस डायमंड ग्रेडिंग (एडीजी)

४ सी का कैसे उपयोग करें: जीआईए के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय डायमंड ग्रेडिंग सिस्टम की जानकारी, ताकि हीरे का मूल्य बढ़ सके। ग्रेडिंग के बारे में वैसी सभी जानकारी जो कि एक अच्छे ग्रेर में होनी चाहिए। इसके साथ ही एक पेशेवर की तरह हीरे की खरीद बिक्री में सिद्धहस्त बनाने के लिए सारी जानकारी।

डी से जेड रंग के २०० से भी ज्यादा हीरों के साथ सीखने का अवसर। इनमें आईएफ-आई३ ग्रेड के भी हीरे हैं।

कट, कलर और क्लियरिटी के आधार पर हीरों का एसोर्टमेंट।

सेलेक्शन-रिजेक्शन, ट्राइपाड के साथ।

सिंथेटिक हीरों की पहचान, स्टिमुलेंट्स ट्रीटमेंट्र और फ्रेक्चर्ड- फील्ड हीरे।

हर्ट और ऐरो कट

हीरों का वैल्यूएशन और ज्वैलरी वैल्यूएशन एवं बजटिंग।

ज्वैलरी क्वालिटी कंट्रोल (क्यूसी)

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में ट्रेडिंग के गुर।

रफ डायमंड एसोर्टमेंट (आरडीए)
  • फार्मेशन आफ रफ डायमंड- खान से निकालने से लेकर सोर्सिंग और लोकेशन की जानकारी।

  • खरड़ के विभिन्न प्रकार- सिंडिकेट, आस्ट्रेलियन, कोटेड, ब्राजा, क्लिवेज आदि। खरड़ के शेप और कट- कांस्टेंट ओर करेक्टिस्टिक्स।

  • निर्माण के तरीके: डीटीसी, आई-आईडीसी, बेल्जियम, इजरायल या फिर स्थानीय- बंधा (मतलब बेटर-मीडियम-वीक) पार्सल को किस तरह से तराशा जाए।

  • फैक्ट्री में पालिश करने के तरीके- घाट (ब्रटिंग), ब्लाकिंग, बाटम, टाप, टेबल, राउंडिंग, इस्टिमेटेड यील्ड और प्रोपोर्शन।

  • उद्योग में उपयोग होने वाली मशीनों की जानकारी- ब्रटिंग, सेविंग मशीन, लेजर तकनीक, लेजर क्रेफिंग- सेविंग आदि।

  • रफ डायमंड शेडिंग- कलर ग्रेडिंग एलबी-एलसी-व्हाइट-फैंसी।

  • रफ एसोर्टमेंट की जानकारी: मेकेबल-सेवेबल-क्लीवेबल-रीसेल- रिजेक्शन।

  • माडल एसोर्टमेंट एक्सपेक्टेड यील्ड- टेबल एंड कुलेट प्लानिंग - प्लानिंग के अलग अलग तरीके, क्लियरिटी के आधार पर प्लानिंग, वजन या एक्सपेक्टेड यील्ड के आधार पर प्लानिंग।

  • पालिश किये हुए हीरों के बारे में जानकारी- ग्रेडिंग, शेडिंग, एसोर्टमेंट फाइनल और एक्सपोर्ट।

  • रफ और यंग डायमंड की पहचान, असली और नकली (सिंथेटिक) खरड़ की पहचान।

  • रफ डायमंड (खरड़) का उपयोग।

  • बाजार में चल रहे चलन के मुताबिक वैल्यूएशन- बाजार में जिन शब्दों का चलन है, उसके मुताबिक।
हाल ही में शुरू किये गए कोर्स
  • मास्टर इन डायमंड्स (आल इन वन कोर्स) कोर्स कंटेंट

  • रफ डायमंड एसोर्टमेंट (इंट्रोडक्शन)

  • पालिश्ड डायमंड ग्रेडिंग (पीडीजी)

  • एडवांस डायमंड ग्रेडिंग (एडीजी)

  • डायमंड मार्केटिंग एंड वैल्यूएशन
अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क स्थापित करें या वेबसाइट पर लाग इन करें -www.srdcindia.com

मार्च - अप्रैल २०१४
जेके इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी
गुणवत्तापूर्ण प्रेक्टिकल प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है
किर्ती अजमेरा
प्रेसिडेंट - जेके इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी

जेके इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी (जे के डी आई जी जे) भारतीय सोसाइटी कानून १८६० के तहत सरकार से पंजीकृत संस्थान है जो कि वर्ष १९८९ से ही गुणवत्तापूर्ण प्रेक्टिकल प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है। इस संस्थान में हीरे की परख करने के ७सी और ७एस और डबल ग्रेडिंग सिस्टम की जानकारी दी जाती है जो कि किसी अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के मुकाबले में है। साथ ही यहां किसी भी शेप, साइज, कलर या कट के हीरों के वैल्यूएशन के बारे में तथा गहनों के इस्टीमेशन के बारे में सिखाया जाता है।




संस्थान के एक कोर्स में इन सभी चीजों को सिखाया जाता है-
  • पालिश्ड डायमंड ग्रेडिंग- इंटरनेशनल इंस्टीच्यूट की तुलना में करीब दूना ग्रेड

  • डायमंड असोरमेंट एंड पैकेट बाइंग टेक्रीक्स

  • सेलेक्शन और रिजेक्शन

  • फैंसी शेप ग्रेडिंग

  • हर्ट एंड ऐरो के साथ दो नए प्रभावों की जानकारी

  • डायमंड आइडेंटिफिकेशन एंव इसके दो सिमुलेंट्स

  • वैल्यूएशन आफ डायमंड्स

  • ज्वैलरी इस्टिमेशन एवं मैन्युफैक्चरिंग

  • ज्वैलरी क्वालिटी कंक्ट्रोल

  • घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार के ट्रेडिंग के बारे में तथा अन्य जानकारी
जे के डायमंड्स इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी (जेकेडीआईजीजे) आपको कारोबार और नौकरी दिलाने से संबंधित कोर्स पूरा करने का अवसर उपलब्ध कराता है जैसे - पालिश्ड डायमंड ग्रेडिंग विद वैल्यूएशन, जेमोलोजी एंड ज्वैलरी डिजाइन सर्टिफाइड प्रोफेशनल डिप्लोमा कोर्स हमारे संस्थान में कराये जाते हैं जिसका ईमेल संलग्र है।

अपने हीरे, हीरे के गहने और रंगीन पत्थरों को अंतराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सर्टिफाइ करवायें (आथेंटिकेशन रिपोर्ट)

अधिक जानकारी के लिए आप इस नंबर पर काल करें- (+९१) ९८२०६८३३९० / ९८२०५ ०१६१८.

या फिर हमारे मुख्यालय में संपर्क करें-

जे के डायमंड्स इंस्टीच्यूट आफ जेम्स एंड ज्वैलरी, ५०६, पारीख मार्केट, ३९ केनेडी ब्रिज, ओपेरा हाउस जंक्शन, मुंबई ४००००४ भारत

www.jkdiamondsinstitute.com

मार्च - अप्रैल २०१४
अरिहंत डायमंड इंस्टिट्यूट
डायमंड के मूल्यांकन के लिए विशेष कोर्सेस उपलब्ध कराने वाला अग्रणी इंस्टिट्यूट
अल्पेश संघवी
चेअरमन- अरिहंत डायमंड इंस्टिट्यूट

कृणाल संघवी
निदेशक - अरिहंत डायमंड इंस्टिट्यूट

अरिहंत डायमंड इंस्टिट्यूट को १९९८ में श्री अल्पेश संघवी द्वारा शुरु किया गया। हमारा इंस्टिट्यूट अग्रणी इंस्टिट्यूट है जहां विद्यार्थियों को सफल प्रशिक्षण दिया जाता है और उन्हें डायमंड इंडस्ट्री के लिए तैयार किया जाता है, खासकर सूरत जहां यह इंडस्ट्री फलफूल रहा है। अरिहंत डायमंड इंस्टिट्यूट के शुभारंभ के समय केवल थोड़े ही इंस्टिट्यूट थे जो विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करते थे और बाकी विद्यार्थी जॉब करते करते ट्रेनिंग लेते थे। इसमें २-३ साल लग जाते थे, बदले में वे अपनी कंपनी के कार्य में प्रशिक्षण का लाभ दिलाते थे। नतीजन, डायमंड इंडस्ट्री में सतत प्रशिक्षित कर्मचारियों का अभाव रहता था। इसी अंतर को पूरा करने के लिए अरिहंत डायमंड इंस्टिट्यूट शुरु किया गया। बीते १६ साल में हमने १५००० से अधिक विद्यार्थियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है। हमारे ट्रैक रिकार्ड अत्यंत उत्कृष्ट है। हमारे विद्यार्थियों को डायमंड इंडस्ट्री में अच्छे रोजगार मिले हैं और कईयों ने तो अपना खुद का बिजनेस शुरु किया है।

उपलब्धियां:  अरिहंत डायमंड इंस्टिट्यूट साल १९९८ में केवल एक कोर्स पॉलिश डायमंड ग्रेडिंग से शुरु हुआ। हमने मार्केट में बिजनेस का अवसर देखा और साल २००० में एक और नया कोर्स पॉलिश्ड डायमंड वैल्यूएशन आरंभ किया। आज हम इन कोर्सेस में अग्रणी हो गए हैं। दूसरी उपलब्धि हमने २००३ में प्राप्त की जब हमने मुंबई के सिटी लाइट एरिया में नया ब्रांच खोला। प्रगति का हमारा क्रम जारी रहा और साल २००५ में हमने वाराचा में एक और ब्रांच खोला। साल २००६ में सरकार ने हमें पीडीजी कोर्सेस शुरु करने की अनुमति दी और तब हमने ज्वैलरी वैल्यूएशन नामक कोर्स आरंभ किया। और २००७ में हमने कातरगाम में १५ अलग अलग कोर्सेस के लिए नया ब्रांच खोला। साल २०१० में हमें आईएसओ ९००१-२००८ का प्रमाणपत्र मिला। साल २०१२ में हमने ट्रिपल ए क्स कट और २०१४ में मैगनस नामक नए कोर्स शुरु किए। मैगनस डायमंड की प्लानिंग और मार्किंग आधारित आपरेटिंग सिस्टम का कोर्स है और इसके लिए हमने सहजानंद टेक्नोलोजीस (प्रा.) लि. के साथ समझौता किया है।

रफ डायमंड कोर्सेस के बारे में:  हम विभिन्न प्रकार के रफ डायमंड के कोर्सेस चला रहे हैं। इसमें रफ डायमंड से लेकर रफ डायमंड के वैल्यूएशन तक की पहचान शामिल है। विस्तार में कहें तो हमारे इंस्टिट्यूट में रफ डायमंड के संदर्भ में अनेक कोर्सेस जैसे रफ डायमंड आईडेंटिफिकेशन, प्लाqनग, रफ डायमंड में मार्किंग, बॉल इंक्लूशन, आई-प्लोटिंग, गैलेक्सी क्यूसी, इंटरनेशनल कलर एंड प्यूरिटी, सारिन आपरेटिंग सिस्टम, रफ डायमंड वैल्यूएशन आदि हैं, जिसमें हम माहिर हैं।

पॉलिश्ड डायमंड कोर्सेस के बारे में:  पॉलिश्ड डायमंड के भी हम अनेक कोर्सेस चला रहे हैं। इसमें डायमंड की पहचान से लेकर पॉलिश्ड डायमंड के वैल्यूएशन के बारे में सिखाया जाता है। विस्तार में कहें तो पॉलिश्ड डायमंड के अनेक कोर्सेस हमारे इंस्टिट्यूट में हैं। पॉलिश्ड डायमंड ग्रेडिंग, इंटरनेशनल कलर एंड प्यूरिटी, डायमंड में डिफेक्ट्स, प्रैक्टिकल मार्केट अनुभव, पॉलिश्ड डायमंड वैल्यूएशन आदि इसमें सम्मिलित हैं।

ज्वैलरी कोर्सेस के बारे में:  हम ज्वैलरी कैड डिजाइनिंग कोर्सेस भी ऑफर कर रहे हैं। इसमें हम साफ्टवेयर आपरेटिंग, डिजाइन के बेसिक आकार और सभी तरह की ज्वैलरी डिजाइन आदि के बारे में सिखाते हैं।

सुविधाएं:  हम विशेष कोर्सेस के लिए आवश्यक सभी तरह के किट भी मुहैया कराते हैं। हमारे इंस्टिट्यूट में सभी तरह की मशीनें हैं जो कोर्सेस के लिए अत्यंत जरुरी होती हैं। कोर्स पूरा करने वाले विद्यार्थियों को हम प्रमाणपत्र से सम्मानित करते हैं। हमारे इंस्टिट्यूट में दूसरे राज्यों से आने वाले विद्यार्थियों के लिए हास्टेल की भी सुविधा दी गई है। कोर्स के पूरा करने के बाद हम अपने विद्यार्थियों को अपना बिजनेस शुरु करने के लिए सपोर्ट मुहैया कराते हैं। हम अपने विद्यार्थियों को जॉब दिलाने में भी मदद करते है। हम आर्डर मिलने पर ज्वैलरी भी तैयार करते हैं। हम उन विद्यार्थियों को खुदरा डायमंड भी उपलब्ध कराते हैं जो उसे खरीदना चाहते हैं। हमने सूरत से बाहर के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध कराया है।

हमारे दूसरे कार्यः  हम अपने विद्यार्थियों के प्रशिक्षण के लिए सारी सुविधाएं देते हैं। हम अपने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हैं। विद्यार्थियों के लिए हम आयात-निर्यात पर सेमिनार भी करते हैं और प्रमाण पत्र देने के लिए समारोह का भी आयोजन करते हैं।

मार्च - अप्रैल २०१४
डीजीएल और हरिसन्स दिल्ली जेम एंड ज्वैलरी इंस्टीट्यूट

अनिल कालरा
चेअरमन - डीजीएल हरिसन्स दिल्ली
जेम एंड ज्वैलरी इंस्टीट्यूट
आशिष कालरा
निदेशक - डीजीएल हरिसन्स दिल्ली
जेम एंड ज्वैलरी इंस्टीट्यूट

हरिसन्स दिल्ली जेम एंड ज्वैलरी इंस्टीट्यूट (डीजीएल) की स्थापना रत्न एवं आभूषण उद्योग से संबंधित व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने और उद्योग की सेवा के लिए किया गया है। इस संस्थान का उद्येश्य अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार रत्न एवं आभूषण उद्योग के विभिन्न क्षेत्र में पेशेवरों को प्रशिक्षित करना है ताकि इससे उद्योग को दीर्घकालिक स्थायित्व मिले। रत्न एवं आभूषण उद्योग से ३० से भी अधिक वर्षों से जुड़े होने की वजह से संस्थान की स्थापना करने वालों को महसूस होता है कि अब इस क्षेत्र के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। इसलिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है साथ ही इस क्षेत्र में अब अधिक से अधिक युवा कैरिअर बनाना चाहते हैं। इस समय बेहद कम ऐसे संस्थान हैं जो अपने छात्रों को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के मुताबिक प्रशिक्षित करते हैं। हमारा विचार एक ऐसे संस्थान का है जो आज के कारोबार को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दे। आज की तारीख में रत्न एवं आभूषणों का दुनिया भर में तेजी से कारोबार फैल रहा है। चाहे हम तकनीक की बात करें या डायनामिक की, सब ओर देख रहे हैं कि उद्योग में पेशेवरों की भूमिका बढ़ रही है। तेजी से बदल रहे उद्योग की इस गति के साथ चलने के लिए भारतीय उद्योग को भी तैयार होना पड़ेगा। इसी को ध्यान में रख कर हरिसन्स दिल्ली जेम एंड ज्वैलरी इंस्टीच्यूट (डीजीएल) ने दिल्ली के आभूषण बाजार के दिल माने जाने वाले करोल बाग के बैंक स्ट्रीट पर अपना संस्थान बनाया है।

कॅरिअर का विकल्प

हरिसन्स दिल्ली जेम एंड ज्वैलरी इंस्टीच्यूट के एक सफल उम्मीदवार को निम्रलिखित क्षेत्र में कैरिअर चुनने का अवसर है-
  • ज्वैलरी बिजनेस ऑनर

  • डायमंड ट्रेडर (रिटेल)

  • डायमंड ज्वैलरी ट्रेडर (रिटेल)

  • डायमंड ज्वैलरी मैन्यूफैक्चरर

  • एक्सपोर्टर, रिटेलर, होलसेलर

  • डायमंड ज्वैलरी अपरेजर

  • डायमंड कंसलटेंट

  • डायमंड एंड ज्वैलरी परचेज आफिसर

  • सेल्स स्टाफ अपरेजर

  • क्वालिटी कंट्रोल प्रोफेशनल

  • डायमंड एंउ डायमंड ज्वैरी बायर

  • लैब एंड रिसर्च प्रोफेशनल टीचिंग प्रोफेशन


डीजीएल की विशेषता

१. आईएसओ ९००१:२००८ सर्टिफाइड

२. इस कारोबार में ३२ से भी ज्यादा वर्षों का अनुभव

३. शिक्षण में १२ वर्षों से भी ज्यादा का अनुभव

४. १२०० से भी ज्यादा पूर्व छात्र

५. बेहद अनुभवी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग्य जेमोलोजिस्ट/आईजीआई और जीआईए से प्रशिक्षित फेकल्टी

६. अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण

७. आडियो विजुअल पढ़ायी

८. आधुनिक तकनीक के साथ बेहतर साजोसामान

९. वन टू वन इक्विपमेंट स्टूडेंट रेशियो

१०. ३५०० से भी ज्यादा रत्नों पर प्रेक्टिकल

११. प्रैक्टिकल और थ्योरी का हाइयेस्ट रेशियो

१२. छपा हुआ कोर्स मैटेरियल

१३. माइक्रो फोटोग्राफी का एक्सक्लूसिव कलेक्शन ताकि विभिन्न तरह के इंक्लूजन और सोर्स को समझा जा सके

१४. किताबों और पीरियोडिकल्स का शानदार कलेक्शन

१५. मुंबई, जयपुर, सूरत, दिल्ली आदि शहरों का आउटस्टेशन भ्रमण

१६. देश के बाहर हांगकांग, स्विटजरलैंड आदि का भ्रमण

१७. कारखाना का भ्रमण

१८. इस उद्योग के विशेषज्ञ द्वारा लेक्चर और सेमिनार

१९. कनाडा, अमेरिका, कोलंबिया, इंगलैंड, नाइजीरिया, बोस्तवाना, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, न्यूजीलैंड, थाइलैँड आदि देशों से विद्यार्थी आते हैं

२०. सभी पूर्व छात्रों के लिए जीवन भर तकनीकि सहायता

२१. एफआरआरओ रजिट्रेशन के लिए विदेशी छात्रों को सहायता और भी बहुत कुछ

डीजीएल अपने यहां निम्र कोर्स आफर करता है-
  • डायमंड ग्रेडिंग एंड आइडेंटिफिेशन कोर्स

  • कलर्ड जेमस्टोन आइडेंटिफिकेशन कोर्स

  • कंप्लीट जेमोलोजी

  • डायमंड सोर्टिंग

  • ज्वैलरी मैनेजमेंट

  • पर्ल ग्रेडिंग

  • आस्ट्रो जेम्स
निदेशक: श्री अनिल कालरा

संस्थान के संस्थापक एवं निदेशक श्री अनिल कालरा एक डायनामिक एवं इनोवेटिव एजुकेशननिस्ट हैं ओैर वह रत्न एवं आभूषण उद्योग से ३२ वर्षों से जुड़े हैं। उन्होंने १९८० के दशक के शुरूआत में ही मुंबई से गुरू धारण किया जहां उन्होंने हीरा के बारे में सीखा। उस समय देश में इस क्षेत्र में कोई खास संस्थान भी नहीं थे। इस संस्थान की स्थापना कारोबार से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित करने तथा कारोबार में पंख लगाने के उद्येश्य से की गई। वह समय समय पर कोर्स के अपग्रेडेशन में भी रूचि लेते हैं। इसके परिणामस्वरूप इंस्टीच्यूट ने रत्न एवं आभूषण उद्योग को सैकड़ों पेशेवर दिए हैं।

विभागाध्यक्ष

आशीष कालरा- चीफ जेमोलोजिस्ट (डीजी लेबोरेटरीज), विभागाध्यक्ष आरएंडडी, डायमंड एंड जेमोलोजी
डिप्लोमा इन जेमोलोजी (आईजीआई)
डी.जी. (आईजीआई, एंटवर्प)
जीआईए डायमंड ग्रेजुएट
एडवांस जेमोलोजी (जीआईए)
पर्ल ग्रेडिंग (जीआईए)
गोल्ड एपरेजर (एमएसएमई)
जीआरएसएस (वल्र्ड गोल्ड काउंसिल)

२१ वीं शताब्दी के इस जेमोलोजिस्ट ने अपना जेमोलोजी का कोर्स आईजीआई से किया है। डायमंड ग्रेडिंग का कोर्स आईजीआई (एंटवर्प, बेल्जियम) से किया है। वह जीआईए के डायमंड ग्रेजुएट हैं, एडवांस जेमोलोजी लैब जीआईए से किया है। जीआईए से ही उन्होंने पर्ल ग्रेडिंग लैब कोर्स किया है। उन्होंने अपना कैरिअर हरिसन ज्वैलर्स में चीफ जेमोलोजिस्ट के रूप में किया और इस समय हरिसन्स दिल्ली जेम एंउ ज्वैलरी इंस्टीच्यूट के चीफ जेमोलोजिस्ट एवं विभागाध्यक्ष (जेमोलोजी) हैं। वह संस्थान में जेमोलोजिकल लेबोरेटरी के भी हेड हैं। वह ज्वैलरी ट्रेड एंड कंज्यूमर वेलफेयर फोरम (जेटीसीडब्ल्यूएफ) के बोर्ड मेम्बर भी हैं। उन्हें वर्ष २००३ के दौरान वाणिज्य मंत्रालय द्वारा घोषित उत्तर भारत के जेमोलोजिस्ट में पहला स्थान मिला था। २००४ में भी उन्होंने यह सम्मान बरकरार रखा। वह जीआरएसएस के भी रैंक होल्डर हैं। वह भारत के पहले जेमोलोजिस्ट हैं जिन्होंने इसी वर्ष जीआईए से एडवांस जेमोलोजी लैब कोर्स पूरा किया है।

आल इंडिया फेडरेशन आफ आस्ट्रोलोजर्स सोसाइटी (एआईएफए) द्वारा जेमोलोजी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें ऋषि पराशर का पुरस्कार मार्च २००९ में मिला है। इसके अलावा उन्हें पर्लेस डि तहिती द्वारा उत्तर भारत के लिए समन्वयक नियुक्त किया गया है। श्री आशीष कालरा देश के विभन्न हिस्सों में जाकर लेक्चर देते हैं। जैसे दिल्ली जेम्स एंड ज्वैलरी इंस्टीच्यूट, लघु उद्योग मंत्रालय के एसआईएसआई दिल्ली, गुजरात, मुंबई आदि केन्द्र में भी जाकर लेक्चर देते हैं। उन्होंने राजकोट, गुजरात में श्री बी एम कियादा इंटरप्राइजेज लिमिटेड द्वारा स्थापित जेमोलोजी और डायमंड ग्रेडिंग संस्थान के लिए भी कंसलटेंसी दिया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के एक जेम रफ डीलर और कटर को जेम इक्विपमेंट हैंडलिंग क्षेत्र में कंसलटेंसी और आउटसोर्सिंग सुविधा दी है। लघु उद्योग मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली, गुजरात, मुंबई आदि शहरों में आयोजित सेमिनार, कार्यशाला, लेक्चर्स आदि में उन्होंने सहभागिता की है। ज्वैलरी वंडर, यूबीएम, गुजरात और मुंबई आदि में होने वाले ट्रेड सेमिनार, वर्कशोप, लेक्चर्स एवं बीटूबी ज्वैलरी शो आदि में भी उनकी सक्रिय भागीदारी रही है। उन्होंने पटियाला, पंजाब में एजुकेशन जेम लैब इनवायरामेंट क्लास के लिए डायमंड ग्रेडिंग कोर्स संचालित किया है। डायमंड ग्रेडिंग एंड ज्वैलरी मैनेजमेंट में अफगानिस्तान के टरक्वाइज माउंटेन इंस्टीच्यूट, अफगानिस्तान से आए प्रशिक्षु छात्रों को भी पढ़ाया है। संस्थान के छात्रों के लिए जयपुर, मुंबई आदि शहरों का शैक्षणिक भ्रमण आयोजित किया है। सीडब्ल्यूइआई द्वारा दिल्ली में आयोजित वूमेन इंटरप्रेनर आफ अफगानिस्तान बिजनेस मीट में डीजीएल का प्रतिनिधित्व किया। आनलाइन क्षेत्र के मुखिया ई बे के ईकामर्स से संबंधित कार्यशाला - ए वर्कशाप आन आनलाइन बिजनेस में भी प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है।

डीजीएल में उपलब्ध सारे कोर्सेस को जानने के लिए लॉगइन करें-
http://www.gemologyindia.com/

मार्च - अप्रैल २०१४
रत्न की दुनिया में आईजीआई का सर्वोच्च स्थान
कोई संयोग नहीं
टेहमास्प प्रिंटर
निदेशक (भारत) - इंटरनेशनल
जेमोलॉजिकल इंस्टीटयूट (आईजीआई)

अपनी तरह का सबसे बड़ा संगठन इंटरनेशनल जेमोलोजिकल इंस्टीच्यूट (आईजीआई) जिसके पास एंटवर्प, न्यूयार्क, हांगकांग, मुंबई, बैंकाक, टोक्यो, दुबई, तेल अवीव, टोरंटो, लास एंजिल्स, कोलकाता, नई दिल्ली, त्रिशूर, सूरत, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, चेन्नई, दुबई, रोमा, एस्कोलि पिकेनो, ट्रेकास्टांगी, केवेलीज, मर्सियानाइज एवं अन्य शहरों में प्रयोगशाला और कार्यालय है। इन स्थानों पर ग्राहकों और पेशेवरों को ध्यान में रख कर कई तरह की सेवाएं उपलब्ध करायी जाती हैं। यह एक परिणाम है पेशेवरों और ग्राहकों के हित में लगातार अनुसंधान और सहयोग का। दुनिया भर में आईजीआई सर्टिफिकेट विेशास का प्रतीक है। कोई भी ग्राहक आईजीआई सर्टिफिकेट देख कर हीरा, कीमती पत्थर, रत्न आदि की गुणवत्ता के प्रति निश्चिंत हो जाता है। ग्राहकों की आवश्यकता को समझने के प्रति पूर्ण समर्पण आईजीआई को उनके लिए नए नए प्रयोग करने और नई नई सुविधाएं ढूढने के लिए प्रोत्साहित करता है।

आईजीआई एक्सीलेंस का एक मानक है जिसे देख कर ग्राहक हीरे या रत्न की गुणवत्ता और उसकी प्रमाणिकता की बात भूल जाता है। हर वर्ष आईजीआई के स्कूल आफ जेमोलोजी में हजारों पेशेवर और ग्राहक नामांकित होते हैं। ये पाठ्यक्रम हीरा, कीमती पत्थर और आभूषण की दुनिया में अभिनव हैं। आप यदि अपना कैरिअर इस क्षेत्र में बनाना चाहते हैं तो आप आज ही आईजीआई के डायनामिक स्कूल आफ जेमोलोजी में दाखिला ले सकते हैं। यदि आप एक ऐसा ग्राहक बनना चाहते हैं जिसे हीरे, रत्न और आभूषणों की सही सही जानकारी हो तो आपको यह कोर्स करना चाहिए। यही नहीं, इस क्षेत्र में कैरिअर बनाने वालों के लिए डायमंड ग्रेडर, ज्वैलरी डिजाइनर, सेल्स प्रोफेशनल या फिर ग्रेजुएट जेमोलोजिस्ट का कोर्स भा सकता है। आईजीआई के दुनिया भर में फैले स्कूलों में इस तरह के पाठ्यक्रमों को संचालित किया जाता है। आप देखें तो रफ डायमंड ग्रेडिंग से लेकर कीमती पत्थर, मोती, प्रयोगशाला में होने वाले आधुनिक ट्रीटमेंट और कंप्यूटर की सहायता से हाने वाले ज्वैलरी डिजाइनों की जानकारी इन स्कूलों में दी जाती है। स्कूल के लोकप्रिय कोर्स में शामिल है ग्रेजुएट जेमोलोजिस्ट (आईजीआई, जीजी), डिप्लोमा, जो कि उद्योग का सर्वाधिक प्रशंसित डिग्री है। आईजीआई में बिक्री से संबंधित पाठ्यक्रम और संगोष्ठियों का भी आयोजन किया जाता है।

मार्च - अप्रैल २०१४
एचआर डी एंटवर्प
' एचआरडी एंटवर्प वैश्विक स्तर पर एक अत्यंत प्रतिष्ठित लैब है और भारतीय बाजारों में इसने डायमंड के शीर्ष मानक को बनाए रखा है '
सर्ज कोरेअर
सीईओ - एचआर डी एंटवर्प

कृपया एचआरडी एंटवर्प और उसके उद्देश्य के बारे में थोड़ा बताएं

एचआरडी एंटवर्प का उद्देश्य वैज्ञानिक आधार एवं अनुभव तथा सर्टिफिकेशन, एजुकेशन और अत्याधुनिक इक्विपमेंट के माध्यम से डायमंड एवं ज्वैलरी मार्केट के ग्राहकों के विश्वास को और उन्नत बनाना है। सन् १९७६ से एचआरडी एंटवर्प डायमंड इंडस्ट्री के भरोसे को अपनी हाई- क्वालिटी सोल्यूशंस, प्रतिष्ठित लैब, बड़े पैमाने पर इनहाउस निपुणता एवं ज्ञान के जरिए मजबूत बनाता आया है। एचआरडी एंटवर्प डायमंड एवं ज्वैलरी प्रोफेशनलों के अलावा डायमंड एवं ज्वैलरी के चाहकों के लिए विस्तृत सेवाएं एवं इक्विपमेंट मुहैया कराता है। एचआरडी एंटवर्प आईडीसी के नियमों के अनुसार इंटरनेशनल मानकों पर तराशे गए डायमंड्स की ग्रेडिंग करता है और इसे दो अग्रणी वैश्विक संस्थानों दि वल्र्ड फेडरेशन आफ डायमंड बुर्सेस (डब्ल्यूएफडीए) और इंटरनेशनल डायमंड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडीएमए) का समर्थन प्राप्त है। इनसे पारदर्शिता की गारंटी होती है। एचआरडी एंटवर्प यह सुनिश्चित करता है कि उसके डायमंड सर्टिफिकेट्स तकनीकी दृष्टि से बेहतरीन हों। सिंथेटिक एवं ट्रीटेड डायमंड्स की जांच को सुनिश्चित करने के लिए एचआरडी एंटवर्प अत्याधुनिक तक नीक और इक्विपमेंट को विकसित करता है और उसका उपयोग करता है। एचआरडी एंटवर्प सर्टिफिकेट की खास विशेषताओं में लाइन स्ट्रक्चर्स, वाटरमार्क, इंबोस्ड लोगो, फ्लूओमार्क और माइक्रो टेक्स्ट सम्मिलित हैं जो उक्त डायमंड सर्टिफिकेट को फोरजरी प्रूफ एवं टैंपर प्रूफ साबित करता है और यह इंडस्ट्री में एकदम अलग है तथा इससे मन को पूरी शांति मिलती है।

यह भारत में कार्य के वातावरण और जेमोलोजी के प्रति जागरुकता से कैसे भिन्न है?

डायमंड ग्रेडिंग मानकों का महत्व ग्राहकों में बढ़ने लगा है। ग्राहक अब जागरुक होने लगे हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात प्रयोगशालाओं के डायमंड के सर्टिफिकेटस की मांग करने लगे हैं। हमें लग रहा है कि खरीदारों के व्यवहार पूरे भारत में परिवर्तित होने लगा है और वे प्रतिष्ठित प्रमाणपत्रों की ओर ज्यादा आकषित होते हैं।

एचआरडी एंटवर्प भारत के दूसरे जेमोलोजी संस्थानों और प्रयोगशालाओं से किस तरह अलग हैं?

एचआरडी एंटवर्प वैश्विक स्तर पर एक अत्यंत प्रतिष्ठित लैब है और भारतीय बाजारों में इसने डायमंड के शीर्ष मानक को बनाए रखा है। मुंबई में आफिस खुलने के बाद एचआरडी एंटवर्प की भारत के बाजारों में निपुणता बढी है और यहां इसने बेल्जियन एक्सपर्ट ग्रेडर्स, अनुभवी ट्रेनर्स और कटिंज एज टेक्नोलोजी की शुरूआत की है। इसके अलावा, मुंबई आफिस से जारी सर्टिफिकेट्स गारंटी का संपूर्ण प्रमाण है। इसके उपरांत, एचआरडी एंटवर्प पहला अधिकृत डायमंड लैब है जिसे आईएसओ का लेबल (इंटरनेशनल स्टैंडर्ड एनबीएन ईएन आईएसओ-आईईसी १७०२५) मिला है। यह लेबल इस बात की गारंटी देता है कि डायमंड लैब में उपयोग की जा रही डायमंड की पद्धति बाह्य आडिट और स्वतंत्र तीसरी पार्टी द्वारा क्वालिटी की जांच की गई है। एचआरडी एंटवर्प का ग्रेड्स आईडीसी रुल्स के तहत होता है। एचआरडी एंटवर्प आईडीसी के नियमों के अनुसार इंटरनेशनल मानकों पर तराशे गए डायमंड्स की ग्रेडिंग करता है और इसे दो अग्रणी वैश्विक संस्थानों दि वल्र्ड फेडरेशन आफ डायमंड बुर्सेस (डब्ल्यूएफडीए) और इंटरनेशनल डायमंड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडीएमए) का समर्थन प्राप्त है। इूसे पारदर्शिता की गारंटी होती है।

अंततः  एचआरडी एंटवर्प का डायमंड सर्टिफिकेट पूरी तरह फोरजरी प्रूफ एवं टैंपर प्रूफ होता है और यह इंडस्ट्री से एकदम अलग है।



क्या आपने भारत में अपने परिचालन के मद्देनजर इंडिया सेंट्रिक सेवाएं शुरु की हैं?

भारतीय बाजारों की जरुरत को देखते हुए एचआरडी एंटवर्प ने हाल ही में नई सेवाएं शुरु की है। इसमें लेजर इंस्क्रिपशंस को हटाना, कंडिशन ग्रेडिंग (कस्टमर सिंगल या मल्टिपल स्टोन्स पूर्व निर्धारित कलर एवं क्लारिटी को चुन सकते हैं) और ट्रिटमेंट जांच के लिए डायमंड की स्क्रीनिंग सेवाएं शामिल हैं। इन सारी सेवाओं को डायमंड इंडस्ट्री में सकारात्मक प्रतिसाद मिल रहा है।

डायमंड इंडस्ट्री में भारत वैश्विक मानचित्र पर कहां है? और एचआरडी एंटवर्प भारत की स्थिति को मजबूत बनाने की दिशा में कितना मददगार साबित हो सकता है?

भारतीय बाजार सालाना १३ प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं। इसलिए यहां लोकल डायमंड लैब स्थापित करना अनिवार्य था। यहां के बाजारों के विकास को देखते हुए हमने अपने मुंबई लैबोरेटरी में अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करायी है। इसके अलावा हमारे सेक्युरिटी फीचर्स और ग्रेडिंग प्रोसिजर के प्रति काफी सख्त हैं। इसे हमारे डायमंड लैब में देखा जा सकता है। साल २०१२ में एचआरडी एंटवर्प पहला लैब था जो एंटवर्प से बाहर कार्य कर रहा था। एचआरडी एंटवर्प क्वालिटी सर्टिफिकेशन सेवाएं देता है जो एंटवर्प में प्रयुक्त होने वाला उच्चस्तरीय गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करता है। मुंबई और सूरत में डायमंड के बढ़ते कार्य और अग्रणी डायमंड ट्रेडिंग सेंटर को देखते हुए एचआरडी एंटवर्प ने भारत में अपनी ग्रेडिंग सेवाओं, एजुकेशनल प्रोग्राम्स और एचआरडी एंटवर्प इक्विपमेंट टूल्स के सेल्स को प्रमोट करने का निर्णय लिया है।

एचआरडी की भावी योजनाएं क्या हैं?

भारत में अपने भविष्य को देखते हुए एचआरडी एंटवर्प के सीईओ ने यहां नए उपक्रम शुरु करने का प्लान बनाया है। सीईओ के मुताबिक सूरत में दूसरी आफिस जल्द ही शुरु किया जाएगा जो शोरुम और डायमंड इक्विपमेंट शाप होगा और यहां डायमंड के लिए हाईटेक इंस्ट्रमेंट उपयोग किए जाएंगे। नई दिल्ली में भी डायमंड ज्वैलरी के लिए इनहाउस पायलट प्रोजेक्ट और ग्रेडिंग सेवाएं शुरु होने वाली हैं। मुंबई के लैब आफिस के प्रबंध निदेशक अलोन मूलेमान है। यहां राहुल जौहरी कमर्शियल डायरेक्टर, सिद्धार्थ परुई कमर्शियल हेड ज्वैलरी लैब तथा हेड आफ फाइनेंस श्वेता तिवारी हैं। यहां नई टीम डायमंड मैन्युफैक्चरर्स, डायमंड डीलर्स और ज्वैलर्स (रिटेल) के लिए कमर्शियल कार्य शुरु करने वाली है। इन सबसे भारत में एचआरडी एंटवर्प की स्थिति और मजबूत होगी।

कोई संदेश?

दशकों से एंटवर्प और भारत डायमंड इंडस्ट्री में ज्ञान एवं टेक्नोलोजिकल अनुभवों को विनिमय करते आए हैं। साठ के दशक में भारत वल्र्ड का अग्रणी डायमंड प्रोसेसिंग सेंटर बना और एंटवर्प रफ डायमंड का सबसे बडा सप्लायर बना। भारत आज विश्व में सबसे अधिक विकसित होने वाले देशों में आ गया है। इससे साफ जाहिर है कि भारत में उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में इजाफा हुआ है और जो डायमंड ज्वैलरी मार्केट के लिए अच्छी खबर है। एचआरडी एंटवर्प का मुंबई आफिस नए डायमंड सेंटर में है और इसका अधिकृत पता है-५०६ ५एफ ट्रेड सेंटर, बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स, बांद्रा पूर्व, मुंबई-५१, भारत।


मार्च - अप्रैल २०१४
एचआरडी एंटवर्प का प्रयोगशाला द्वारा बनाये गए हीरे का प्रमाणपत्र
एचआरडी एंटवर्प, १९७६ से ही हीरा उद्योग को सेवा प्रदान करने वाली कंपनी, एक नए प्रमाणपत्र की घोषणा कर रही है। यह है प्रयोगशाला में बनाए गए हीरे का प्रमाणपत्र। यह नई सेवा आज से शुरू हो रही है और यह एंटवर्प में उपलब्ध होगी। हीरा का नाम लेते ही एक लक्जरी प्रोडक्ट की छवि मन में उभरती है जो कि प्राकृतिक तौर पर धरती की कोख से निकले असली हीरे से जुडा है। लेकीन बाद में प्रयोगशाला में भी हीरे बनाये जाने लगे जिसे कि सिंथेटिक डायमंड के नाम से जाना जाता है। इसकी भी पहुंच हीरा एवं रत्न के बाजार में होने लगी है। हालांकि अभी इसकी पहुंच छोटे सेगमेंट में ही है लेकिन अब इसका उत्पादन बढ़ रहा है। एचआरडी एंटवर्प की प्राथमिकता सदा से ही उपभोक्ताओं का विेशास हीरा में बनाए रखने की रही है, इसलिए अब इसने प्रयोगशाला में बनाये गए हीरे का प्रमाणन कार्यक्रम शुरू किया है जो कि पूरी तरह से एचआरडी एंटवर्प की नीति के अनुकूल है। इससे उपभोक्ताओं को भरोसेमंद सूचना मिलेगी।
यह कैसे काम करता है

एचआरडी एंटवर्प हर हीरे की जांच करता है ताकि पता चल सके कि यह प्राकृ तिक है या नहीं। यदि डिस्क्लोज्ड अवस्था में कोई हीरा प्रयोगशाला में बना हुआ पाया जाता है तो एचआरडी एंटवर्प द्वारा ‘लेबोरोटरी ग्रोन' डायमंड प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। आईडीसी नियमों के तहत एचआरडी एंटवर्प द्वारा लेबोरेटरी ग्रोन डायमंड प्रमाणपत्र मानक प्रमाणपत्र से बिल्कुल अलग दिखता है। इस प्रमाणपत्र के कवर पर ही स्पष्ट तौर पर लिखा रहता है - लेबोरेटरी ग्रोन डायमंड सर्टिफिकेट। प्रयोगशाला में बनाये गए हीरे पर लेजर का निशान रहता है और इसका प्रमाणपत्र में भी उल्लेख किया जाता है। इसके साथ ही एक रिफरेंस नंबर और स्टेटमेंट भी रहता है। हर लेबोरेटरी ग्रोन सर्टिफिकेट में कुछ अनूठेसेफ्टी फीचर्स भी शामिल रहते है जैसा कि मानक प्रमाणपत्र में रहता है। उदाहरण स्वरूप- वाटरमार्क , इम्बोस्ड लोगो, फ्लोरसेंट मार्क , लाइन स्ट्रक्चर और एक माइक्रो टेस्ट आदि। एचआरडी एंटवर्प के सीईओ सर्ज कोवरेयर बताते हैं - आज देखें तो प्राकृतिक हीरे के बजाय प्रयोगशाला में बनाये गए हीरे ३० से ६० फीसदी तक सस्ते होते हैं। प्राकृतिक हीरे को तो बनने में दसियों लाख वर्ष लगते हैं। हम समझते हैं कि ग्राहकों के लिए यह जानना जरूरी है जो हीरा वह खरीद रहे हैं, उसके बारे में पूरी जानकारी रखे। एचआरडी एंटवर्प लेबोरेटरी ग्रोन डायमंड प्रमाणपत्र इस उद्देश्य को पूरा करता है क्योंकि यह पूरे विश्लेषण के बाद जारी किया जाता है। आखिर कार उपभोक्ताओं की संतुष्टी ही हमारी प्राथमिकता है।

प्रयोगशाला में बनाये गए हीरे के बारे में

प्रयोगशाला में बनाये गए हीरे कई दशक से औद्योगिक उपयोग में लाये जा रहे हैं। ग्राइंडिंग, ड्रीलिंग आदि कार्यो में तो इसका भरपूर उपयोग होता है। शुरू आत में तो ऐसे हीरे मुख्य तौर पर पाउडर के रूप में उपलब्ध थे और उसमें हीरे की तरह कोई जेम क्वॉलिटी नहीं थी। लेकिन १९८० के दशक के अंत में पहली बार जेम क्वॉलिटी के हीरे प्रयोगशाला में बने। आज प्रयोगशाला में जेम क्वॉलिटी के हीरे बनाने के दो तरीके हैं। एचपीएचटी (हाई प्रेशर हाई टेम्परेचर) तरीका और सीवीडी (केमिकल वेपर डिपोजिशन) तरीका। एचपीएचटी सिंथेसिस में एक हीरे को बनने के दौरान प्राकृ तिक वातावरण उपलब्ध कराता है। इसमें हाई प्रेशर और उच्च तापमान पर कार्बन तत्व को गुजारा जाता है ताकि उसका एटोमिक स्ट्रक्चर हीरे के समान हो जाए।

सीवीडी डायमंड सिंथेसिस तरीके में प्लाज्मा (गैस को उच्चतम तापमान पर गर्म किया जाना) बनता है और इस प्रक्रि या में कार्बन एटम एक सीड क्रि स्टल में जमा होता है। इसी तरीके में धीरे धीरे सिंथेटिक हीरा बनता है, परत दर परत।

मार्च - अप्रैल २०१४
सावनसुखा इंस्टिट्यूट आफ जेमोलोजी एंड ज्वैलरी डिजाइन
निक्की सावनसुखा
प्रिंसिपल - एसआईजी


ज्वैलरी डिजाइन और जेमोलोजी के लिए अपने आप में उत्कृष्ट संस्थान

जेम एंड ज्वैलरी वल्र्ड में अपने कॅरियर बनाने वाले विद्यार्थियों के लिए सावनसुखा ज्वैलर्स हाउस की एक बेहतरीन पहल सावनसुखा इंस्टिट्यूट आफ जेमोलोजी एंड ज्वैलरी डिजाइन (एसआईजी) एक संपूर्ण शैक्षणिक संस्थान है। यह एकमात्र इंस्टिट्यूट है जिसे आईएसओ ९०१:२००८ का प्रमाणपत्र मिला है। उच्च स्तर के मानदंडों और अनुभवी फैकल्टी तुा अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त एसआईजी जेम एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री का प्रतिष्ठित संस्थान है। वैश्विक स्तर अपनी पैठ बनाने के उहेश्य से एसआईजी सतत कुशल व्यक्तियों की तलाश में है जो ज्वैलरी इंडस्ट्री की गहनता को समझते हैं और डिजाइनिंग एवं ग्रेडिंग में ऊंचाईयों को हासिल करना चाहते हैं। एसआईजी का मिशन इन्नोवेशन एवं क्रिटटिविटी को प्रमोट करना तथा इंडस्ट्री के गुणवत्ता स्तर को अद्यतन बनाना है। सावनसुखा के संस्थापक श्री सिद्धार्थ सावनसुखा के आर्शीवाद और गाइडेंस में एसआईजी अपने सपनों को साकार करने की दिशा में अग्रसर है और भारत को विश्व जेम एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री में शीर्ष स्थान दिलाने के लिए कार्यरत है। यह इंस्टिट्यूट देश के सांस्कृतिक राजधानी कोलकाता के हृदय में कैमैक स्ट्रीट में स्थित है। कोलकाता के किसी भी कोने से विद्यार्थी इसके कैंपस तक पहुंच सकते हैं।



एसआईजी ही क्यों?

यहां के कोर्सेस इंडस्ट्री के डिमांड पर आधारित हैं। एसआईजी ने इंडस्ट्री के विभिन्न वर्तमान परिदृश्यों के मद्देनजर अपने कोर्सेस डिजाइन किया है। इसका विशेष जोर विद्यार्थियों के ज्ञान को विकसित करना है जिससे कि वे इंडस्ट्री के नए नए विकास में समाहित हो सकें।

प्रैक्टिकल पर आधारित कोर्स

एसआईजी द्वारा ऑफर किए जाने वाले कोर्सेस इंडस्ट्री में नए आए विद्यार्थियों एवं बड़े प्रोफेशनलों की जरुरत के हिसाब से हैं। इस क्षेत्र में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की महत्ता को एसआईजी भलीभांति समझता है। इसलिए इसने थियोरी एवं प्रैक्टिकल नालेज को मिलाकर अनेक मॉड्यूएलस तैयार किया है जो विद्यार्थियों के अनुकूल है।

इंटर्नशिप एसआईजी इंटर्नशिप की परीक्षा में क्वालिफाई करने वाले सभी विद्यार्थियों को इनहाउस इंटर्नशिप प्राथमिक रुप से उपलब्ध कराता है। इससे विद्यार्थियों को वर्किंग नॉलेज प्राप्त करने में सहायता होती है और इससे वे ज्वैलरी डिजाइन एवं जेमोलोजी के क्षेत्र में अपने सफल कॅरियर बना सकते हैं। विद्यार्थियों के लिए सावनसुखा ग्रुप में प्रशिक्षण लेना एक सही मंच है। यहां उन्हें शिक्षण के साथ साथ जॉब के अनुभव भी मिलते हैं। इंस्टिट्यूट में उन्हें ट्रेनिंग प्राप्त करने का अवसर मिलता है।

अलुमिनी

एसआईजी की अलुमिनी बॉडी फैसेट्स अक्सर अपने विद्यार्थियों और उनकी प्रतिभा को प्रमोट करने के लिए इवेंट्स और प्रोग्राम आयोजित करते रहता है। यह विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने और उनमें आत्मविश्वास का संचार करने का एक बढि़या मंच है जिसे पूरी दुनिया देखती है।

अनुभवी फैकल्टी

एसआईजी में स्वयं सीईओ से लेकर अनेक अनुभवी एवं मोटिवेटेड फैकल्टी की एक समर्पित टीम है। इसमें जेमोलोजिकल इंस्टिट्यूट आफ अमेरिका (जीआईए) और इंडियन डायमंड इंस्टिट्यूट (आईडीआई), सूरत तथा अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के अलुमिनी शामिल हैं। प्रोफेशनलों की यह टीम विद्यार्थियों के नवीतम टेक्नोलोजी आधारित विषयों को सतत अपग्रेड करती है और नए मॉड्यएल्स तैयार करती है जिससे कि विद्यार्थियों के कौशल एवं ज्ञान उन्नत हो सकें।

रोजगार दिलाने में सहायता

एसआईजी सिर्फ विद्यार्थियों को ट्रेनिंग ही नहीं मुहैया कराता बल्कि उन्हें इंडस्ट्री में उनके पैर जमाने में भी मदद करता है। इसके लिए एसआईजी में एक समर्पित प्रकोष्ट है जो विद्यार्थियों को उनकी प्रतिभा के अनूरुप प्लेसमेंट में सहायता करता है। एसआईजी विद्यार्थियों को उद्यमशीलता में भी गाइड करता है और सेल्फ इंप्लोयड प्रोफेशनल्स बनने के लिए प्रेरित करता है। एसआईजी के अलुमिनी के बड़े नेटवर्क होने से ज्यादा से ज्यादा कॅरियर का मौका मिलता है। ज्वैलरी इंडस्ट्री की नई चुनौतियों को भी स्वीकारने के लिए यह प्रेरित करता है। एसआईजी का अलुमिनी प्रकोष्ठ इंडस्ट्री के विभिन्न ज्वैलरी हाउसों में विद्यार्थियों के लिए इंटर्नशिप प्रोग्रामों का भी आयोजन करता है।


मार्च - अप्रैल २०१४
सॉलिटेयर जेमोलोजिकल लैबोरेटरीज
कोर्स करने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को व्यक्ति रुप से ध्यान दिया जाता है
शिरीन बंदुक वाला
निदेशक - सॉलिटेयर जेमोलोजिकल लैबोरेटरीज

सॉलिटेयर जेमोलोजिकल लैबोरेटरीज (एसजीएल) एक स्वतंत्र इंटरनेशनल जेमोलोजिकल लैबोरेटरी है जिसका हेडक्वाटर लंदन में है। इसका भारत में शीघ्र ही इंटरनेशनल लैबोरेटरीज का सबसे बड़ा नेटवर्क होगा। फिलहाल इसका कोलकाता में नया लैबोरेटरी खुला है। कंपनी वल्र्ड क्लास डायमंड एजुकेशन के लिए क्लाओडिया डोमांटे, सिनियर इंटरनेशनल फैकल्टी के दिशानिर्देश में संचालित कर रही है। कंपनी ने अपने कोर्सेस में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को मैंटेन किया है। इंटरनेशनल इंस्टिट्यूशंस से ड्यूअल ग्रेज्युएट जेमोलोजिस्ट डिप्लोमा के माध्यम से इंडस्ट्री को रिच नालेज और पैशन मिलता है।

एसजीएल का वल्र्ड क्लास डायमंड एजुकेशन पूरे भारत में उन विद्यार्थियों के लिए सुलभ है जो ज्वैलरी इंडस्ट्री के सभी सेक्टरों में सफलता के लिए कौशल और सूचना हासिल करना चाहते हैं। जयपुर, कोयंबतूर, हैदराबाद, पुणे, बंगलोर, त्रिसूर आदि में इसके क्लासेस चलते हैं। कोर्स करने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को व्यक्ति रुप से ध्यान दिया जाता है जिससे कि वे विषय को आसानी से समझ सकें। उन्हें व्यक्तिगत माइक्रोस्कोप और शिक्षण के मटेरियल्स दिए जाते हैं जिससे कि वे आसानी से अपना विकास कर सकें। एसजीएल में दो ऐसे कोर्सेस हैं जहां शुरुआती कोर्स करने वाले विद्यार्थी क्वालिफाइड डायमंड ग्रेडर डिप्लोमा का विकल्प चुन सकते हैं। यह पांच दिन का बेसिक कोर्स होता है जिसमें महत्वपूर्ण विषयो को शामिल किया गया है और डायमंड ग्रेडिंग प्रोफेशनल डिप्लोमा छह हफ्तों का इंटेसिव कोर्स है जिसमें डायमंड के सभी विषयों को सिखाया जाता है। एसजीएल से कोर्स पूरा करने वाले विद्यार्थियों के लिए ग्रेडर्स, अप्रेजर्स, क्वालिटी कंट्रोल एक्सपर्टस और ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग मैनेजरों आदि के असवर प्राप्त होते है।

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मार्च - अप्रैल २०१४