सोना खरीदी हमारी परंपरा है

चमक हो या न हो, सोना हमारे लिए पसंदीदा धातु ही है। गोल्ड मेटल या उसके कलर बहुत शुभ होते हैं और इनका हमारे जीवन में समृद्धि से प्रगाढ़ संबंध रहता है जैसे गेंदा का फूल जो हमारी परंपरा का अभिन्न हिस्सा हैं और गोल्ड जैसा दिखता है। फैशन ज्वैलरी की अधिकतम बिक्री गोल्ड प्लेटेड ट्रेडिशनल ज्वैलरी के रुप में होती है। क्या हम अपने महिलाओं को गोल्ड चेन, बाली, ईयर स्टड और चुड़ियों के बिना अपने रोज की जिंदगी में कल्पना कर सकते हैं। इसी तरह पुरुषों को ब्रैसलेट और पेंडेंट के बिना कल्पना कर सकते हैं? गोल्ड के लिए हमारा प्यार ही देखा जा सकता है और इसे परिभाषित नहीं किया जा सकता कि शादियों में तकरीबन ५०-६०% सोने की मांग रहती है। यह अनुमान है कि भारतीय परिवारों के पास वल्र्ड गोल्ड रिजर्व के १२-१५% गोल्ड है।

गत वर्षों में गोल्ड और डायमंड्स के जेनेरिक ज्वैलरी का ट्रेन्ड अधिक बढ़ा है। युवा पीढ़ी जहां इन सोने के पीसेस में निवेश करना चाहता है वहीं वह यह फैसला लेता है कि उसे क्या पहनना है और उससे उसका संबंध क्या है। इनमें से अधिकाश का मंत्र स्मार्ट और सार्थक खरीद है। ऑनलाइन परचेस काफी आगे बढ़ चुका है और कई विशेषज्ञ भी हैं जो आपकी खरीदारी और सेवाओं को आपकी भावनाओं से जोड़ते हैं। वे लोगों के इमोशन को भुनाना चाहते हैं, उनके लिए स्पेशल कलेक्शन तैयार करते हैं या उसके मिक्स मर्चैडाइज के साथ बेचते हैं। जेनेरिक गोल्ड ज्वैलरी पहनने मल्टिपल रास्ते हैं। उपभोक्ताओं को अतिरिक्त पीसेस खरीदने के लिए जोर दे सकते हैं। डायमंड ज्वैलरी में भी मल्टिपल फोल्ड्स में विकास हुआ है लेकिन सोने की तरह इसे भी बेचने के लिए बहुत बड़े विज्ञापन की आवश्यकता होती है।

मिया की ज्वैलरी

हाल के दिनों में गोल्ड ज्वैलरी में हो रहे बदलावों को डिजाइनर्स भी पसंद कर रहे हैं। मैन्यूफैक्चर्स अपने डिजाइनरों को गोल्ड ज्वैलरी में एक्सपेरिमेंट करने की अनुमति दे रहे हैं जो पहले कारीगरों द्वारा मुख्य रुप से डिजाइन किया गया था। नई टेक्निक्स जैसे डायरेक्ट कास्टिंग और टेक्सचरिंग सीएडी के मार्फत डिजाइनों में एक्सपेरिमेंट करने का अवसर देता है। नए ब्रांडों में दो गोल्ड टेक्निक जैसे लेजर-कट फिलिग्री के साथ अधिकांशतः देखा जाता है। गोल्ड में इसकी नई रेंज ३ ग्राम से शुरु होती है। नई पीढ़ी सोने को विभिन्न कलरों और कैरेट्स में स्वीकार करने को तैयार है। इसकी ज्वैलरी १८ कैरेट और उसके नीचे में उपलब्ध हैं।

डिजाइन ने सोने को नए कैटेगरी में डाल दिया है और इसमें अधिक से अधिक डिजाइन देखने को मिलेंगें। छोटी पीस भी डिजाइनयुक्त है और इससे परंपरा भी बनी रहती है। मंगलसूत्र में एक अच्छा पैटर्न देखने को मिला है। पहले के भारी मंगलसूत्र आज काफी हल्के हो गए हैं। कई हिंदू समुदायों में एक विवाहित महिला के लिए ज्वैलरी का पीस होना ही चाहिए। सोने के मंगलसूत्र में ट्रांसफोरमेशन हुआ है। इसमें ब्लैक या कोरल बीड्स को उसकी सुंदरता बढ़ाने के लिए जोड़ा जाता है। सोने के पतले सोने की चेन होते हैं जो गले में पहने जाते हैं। भारत के कुछ भागों में इसकी मैचिंग ईयरिंग ट्रेन्ड भी चला है। कुछ अन्य वेरिएंट भी ब्रैसलेट या बैंगल के रुप में उपलब्ध हैं।

चिंतामणिज ज्वैलरी-प्रभादेवी

गोल्ड के समकालीन ज्वैलरी में इन्नोवेशन किया जा सकता है। बड़े अंगूठे की अंगूठी को पुराने लक्ष्मी सोने के सिक्का से बनाया गया जो रोशनी के त्यौहार दीपावली से प्रेरित है। हाथ से तैयार फिलिग्री को स्टैंडिंग पोजिशन में कलर्ड ब्रायोलेट्स के साथ फ्यूज्ड किया गया है। कलर्ड स्टोन्स के अन्य आकार ट्रांगल्स और राउंड्स हैं। बड़े रिंग के बार्डर में छोटे डायमंड्स हैं। यह पारंपरिक और नए ट्विस्ट का बेजोड़ एकीकरण है। ऐसी अनेक पीसेस ओल्ड एंटिक पीसेस में इस्तेमाल की जा सकती हैं।

अर्पण राज का डिजाइन इलस्ट्रेशन

स्टैकेबल रिंग्स और बैंगल्स का ट्रेन्ड सदियों से है। ये रिंग सोने के अलग अलग शेड्स के हो सकते हैं। इसमें कुछ डायमंड्स या कलर्ड स्टोन्स के भी होते है। वे वजन में हल्का है, और कई मायनों में पहना जा सकता है और इसे बैंगल्स के लिए भी दोहराया जा सकता है।

हमारे अधिकांश ज्योतिष स्टोन्स सोने में जड़े रहते हैं। बड़े ब्रांड्स अब रिंग्स और पेंडेंट्स के चारो तरफ स्टोन्स लगाकर उसके नए लूक देने में जुटे हैं जिसके कि उसे वेयरेबल बनाया जा सके।

कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए सोना आज भी सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है। इसलिए इंवेस्टमेंट के सलाहकार भी १५-२०% सोना अपने पोर्टफोलियो में रखने की सलाह देते हैं। इस सब कारणों से सोने की चमक कभी फीकी नहीं होगी।