कोयंबतूर

ज्वैलरी डिजाइनिंग और मैन्यूफैक्चरर्स में अग्रण्य नेतृत्व

कोयंबतूर ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी. सबरीनाथ ने कोयंबतूर ज्वैलरी इंडस्ट्री के मौजूदा परिदृश्य पर अपना मत व्यक्त किया और इंडस्ट्री में टेक्नोलोजिकल अपग्रेडेशन की आवश्यकता और प्रोत्साहन पर जोर दिया। उन्होंने ज्वैलरी इंडस्ट्री के कारीगरों और मैन्यूफैक्चरर्स को वर्कशॉप और सेमिनारों के जरिए शिक्षा प्रदान करने के महत्व को आज की जरुरत बताया।

भारत के सूरत, कोलकाता, राजकोट और उडुपी (टड्ढेनिंग इंस्टिट्यूट) में लगभग तीन से चार ज्वैलरी क्लस्टर हैं। जीजेईपीसी ने कोयंबतूर में एक ज्वैलरी कॉमन फेसिलिटी सेंटर शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। इसे कार्यात्मक रुप से प्रभावी बनाने के लिए हमें और अधिक जमीन की आवश्यकता है। कोयंबतूर में कुछ साल पहले तकरीबन एक लाख ज्वैलरी मैन्यूफैक्चरर्स (कारीगर) थे जो अब ४५,००० हैं।

हर साल सितंबर के महीने में हमारा कोयंबतूर ज्वैलरी शो होता था। यह अत्यंत बेहतर और पेशेवर शो था। इस शो का भारी प्रतिसाद था और हमें दो से अधिक हॉल की जरुरत थी, जो हमें नहीं मिला और हमें उसे प्रीपोन्ड करना पड़ा। ऑल इंडिया लॉरी स्ट्राइक के कारण शो को काफी दिक्कतें आईं और आखिरी मिनट में मशीनरी और टेक्नोलोजी के तकरीबन ३० भागीदार शो से हट गए। शो के लिए जुलाई का वेडिंग सीजन भी आड़े आया।

हम ज्वैलरी ट्रेड का एक प्रोफेशनल विस्तार चाहते हैं। आईआईजेएस शो में थोड़े ही ज्वैलर्स भाग लेते हैं, छोटे ज्वैलर्स इस शो के बड़े होने और मेगा इवेंट होने से घबरा कर भाग नहीं लेते। वे इसमें भाग लेने में हिचकिचाते और संकोच करते हैं। यदि शो में हमें बल्क में जॉब आर्डर मिलते हैं, तो हम उसे डिलीवर नहीं कर पाते।

हम कोयंबतूर की ज्वैलरी डिजाइनिंग और ज्वैलरी मैन्यूफैक्चरिंग सेगमेंट में सुधार करना चाहते हैं। मैं वर्तमान ४५००० कारीगरों (सुनार) की गिनती को फिर से पहले की तरह एक लाख लाना चाहता हूं। इसपर हमें आपका भी सुझाव चाहिए। कोयंबतूर को वैश्विक लीडर बनाने के लिए यहां के कारीगरों की मौजूदा कामकाजी स्थिति में सुधार करना होगा। स्प्रे इनामेलिंग, कलरिंग आदि जैसे क्षेत्रों में हमें टेक्नोलोजी अपग्रेडेशन की आवश्यकता है। हमें काफी खुशी होगी यदि ट्रेड के कारोबारियों को टेक्नोलोजी क्षेत्र में शिक्षित करने के लिए एक वर्कशॉप आयोजित की जाए।

उदाहरण के लिए, कुछ बड़े मैन्यूफैक्चरर्स को जिस तरह की उत्रत टेक्नोलोजी की जानकारी है, वह कोयंबतूर के छोटे और मध्यम स्तर के मैन्यूफैक्चरर्स को नहीं है। वे इससे अज्ञात हैं। ज्वैलरी की फिनिशिंग और कलर जिस तरह से वे करते हैं, वह हमसे नहीं हो सकता। टेक्नोलोजी मुंबई और कोलकाता में हो सकता है, लेकिन कोयंबतूर में वह नहीं है। एंटिक कलर फिनिशिंग एक दूसरा सिक्रेट है, जिससे हम अभी भी अज्ञात । कईयों का कहना है कि जूता पॉलिश का उपयोग इसे प्राचीन टिंट देने के लिए किया जाता है।

कोयंबटूर को सिरुवानी नदी के पानी के रूप में भी आशीर्वाद प्राप्त है। यहां के पानी का खास महत्व है। सिरुवानी नदी के पानी में ज्वैलरी का पीला रंग लाने के गुण हैं। केरल के कई कारीगरों का कहना है कि जब वे सिरुवानी पानी का इस्तेमाल करते हैं तो फिनिशिंग काफी फाइन और वह भी येलो के साथ होती है। ज्वैलरी का पीला रंग लाने के लिए वे कोयंबतूर से केरल तक बैरल में पानी ले जाते हैं।

हम टेक्नोलोजी पर एक सेमिनार आयोजित करना चाहते हैं। यह दिन-प्रतिदिन के टेक्नोलोजी के क्षेत्र मे आधार होगा। इससे कोयंबत्तूर में सामान्य टेक्नोलोजी का विकास संभव होगा। मैन्यूफैक्चरर्स को टेक्नलोजी और मशीनरी के क्षेत्र में शिक्षित किया जाना चाहिए। उत्पादन को सतत चलाने के लिए मशीनरी की बिक्री के बाद सेल्स सर्विसेस को अधिक महत्व देना चाहिए।