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हीरे की हार या जीत ? |
दुनिया की सबसे बडी उपभोक्ता अर्थव्यवस्थाओं में शुार भारत रत्न एवं आभूषण कारोबार के क्षेत्र में एक वैेिशक केंद्र है। दुनिया के ९०% से अधिक हीरों को भारत में कट और पॉलिश किया जाता है। भारत में ७०% से अधिक कारोबार हिंदी में होता है और ‘ द न्यू ज्वेलर-हिंदी ‘ ट्रेड पत्रिका उद्योग के उस प्रत्येक सदस्य को शिक्षित और सूचित करने का काम करती है, जिनके कारोबार की भाषा हिंदी है। आईआईजेएस के इस विशेष अंक में कुदरती और कृत्रिम हीरे की कहानी है, जिसकी आज सर्वत्र चर्चा है। हीरा एक ठोस कार्बन खनिज है, जो नैसर्गिक रूप से धरती के गर्भ में पाया जाता है। कुदरती हीरों के तैयार होने में उच्च दबाव और ऊंचे तापमान की आवश्यकता होती है और इसमें अरबों वर्ष लग जाते हैं, जबकि डायमंड सीड का इस्तोल करके सीवीडी (केमिकल वेपर डिपोजिशन) और एचपीएचटी (हाई प्रेशर हाई टेंपरेचर) के माध्यम से लैब में सिर्फ कुछ ही दिनों में हूबहू हीरे तैयार किए जाते हैं जिनके केमिकल और ऑप्टिकल गुण समान होते हैं और ये लागत मामले में काफी किफायती भी होते हैं। यहां यह समझना बेहद जरुरी है कि सभी कुदरती हीरे असली हैं लेकि न सभी असली हीरे कुदरती नहीं हैं। हालांकि सिंथेटिक हीरों की मौजूदगी परेशानी का विषय नहीं है, लेकिन लैब में तैयार हूबहू नैसर्गिक हीरों की तरह दिखनेवाले कृत्रिम हीरों की मिलावट समूचे उद्योग के लिए एक चुनौती बन गई है। ग्राहकों का विेशास डगमगाने लगा है। लैब में तैयार हीरों के कारोबार में डीबीयर्स ने ‘लाइट बॉक्स‘ नामक अपने ब्रांड के साथ प्रवेश करके पूरी इंडस्ट्री को चकित कर दिया है। लैब में तैयार सिंथेटिक हीरे को पर्यावरण अनुकूल और किफायती होने का तमगा दिया जा रहा है, जिसकी ओर करियर शुरूकरनेवाली युवा पीढी (मिलेनियल्स) अधिक आकर्षित हो रही हैं। इसलिए यहां ग्रेडिंग और सर्टिफिकेशन कंपनियों की भूमिका और अहम हो जाती है । उनको पहले के मुकाबले ज्यादा प्रमाणीकृत और सजग रहना होगा। इस विशेष अंक में हमने कंपनी प्रोफाइल के अलावा विभिन्न हीरा कंपनियों के साथ ग्रेडिंग और सर्टिफिकेशन संस्थाओं के साक्षात्कार को भी शामिल किया है। कौशिक संघवी, निदेशक, महावीर जेम्स डीबीयर्स द्रारा लैब ग्रोन डायमंड (एलजीडी) ब्रांड लाइट बॉक्स के बाजार में उतारने से इंडियन जे एंड ज्वैलरी इंडस्टड्ढी पूरी तरह से भ्रमित हो चला है। इंडस्ट्री के सदस्य डीबीयर्स के इस नए ब्रांड और अपने पूर्व के इस तरह के अनुभव को लेकर अपनी धारणाएं बना रहे हैं। इंडस्ट्री पर इसके प्रभाव की जोरदार चर्चा होने लगी है। इस ब्रांड के आने से पूर्व इंडस्ट्री पहले ही सिंथेटिक हीरे चाहे वह सीवीडी हो या एचपीएचटी मिश्रित या बिना बताए उसे बाजार में बेचने के खतरे का सामना कर रही थी। यहां तक कि विक्रेता भी अपनी पहचान बताने से हिचकिचाने लगे थे। ऐसे में डीबीयर्स द्वारा अधिकृत रुप से बाजार में सिंथेटिक डायमंडस लाने सिंथेटिक डायमंड बेचने वालों को समर्थन मिल गया है और वे अब अपने सिंथेटिक डायमंडस को ब्रांडित करते पारदर्शिता और इंटिग्रेटी के साथ बाजार में ला सकते हैं। इस तरह नेचरल डायमंड इंडस्ट्री को भी अपने उत्पादों को ग्राहकों के पास विेशास और भरोसे से परोसना चाहिए। निम्नलिखित कुछ बयान है जिन्हें इंडस्ट्री के लोगों ने दिए हैं। डीबीयर्स के इस साहस को माना जा सकता है कि वह दुनिया के अधिकांश नेचरल हीरे व्यापार को नियंत्रित करता है। वह एक बार फिर सिंथेटिक हीरा के साथ अपने वर्चस्व को दिखाना चाहता है। डीबीयर्स को लगता है कि सिंथेटिक डायमंडस का मार्केट आज के समय में सबसे आकर्षक और लोकप्रिय बिजनेस है। डलाइट बॉक्स ने अप्रत्यक्ष रूप से सिंथेटिक हीरे का पता लगाने में मदद की है और ऐसे ग्राहकों के लिए मंच मुहैया कराया है जो सिंथेटिक डायमंड खरीदने में रुचि रखते हैं और अपने फैशन ज्वैलरी के शौक को पूरा करना चाहते हैं।बाजार मे ब्रांड लाइट बॉक्स का प्रभाव केवल समय बताएगा। सुभाष परुई लैब में तैयार डायमंड का कोई रिसेल वैल्यू नहीं है। डायमंड ब्रोकर्स नेचरल डायमंडस के साथ सीवीडी मिश्रण करते हैं ताकि वे अधिक लाभ कमा सकें क्योंकि सीवीडी की कीमत नेचरल डायमंड की तुलना में ८०% कम है। लाइट बॉक्स के आने से नेचरल डायमंड में नकली हीरे का मिश्रण चलता रहेगा। लैब में तैयार डायमंड का उपयोग करने के बजाय सीजेड (क्यूबिक जकिोनिया) या स्वारोवस्की का उपयोग करना बेहतर है जो बहुत सस्ता है। स्वारोस्की बहुत ही बेहतर रिफ्लेशन और रंग देता है और काफी किफायती भी है। ग्राहकों के लिए सीवीडी और सीजेड का कोई रिसेल वैल्यू नहीं है। |