जीजेएससीआई का पीएमकेवीवाई योजना के अंतर्गत आरपीएल कार्यक्रम के

लिए आईआईजीजे और जेएजे, जयपुर के साथ त्रिकोणीय समझौता


जेम एंड ज्वैलरी स्कील काउंसिल ऑफ इंडिया (जीजेएससीआई), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेम्स एंड ज्वेलरी (आईआईजीजे), जयपुर और ज्वैलरी एसोसिएशन, जयपुर (जेएजे) ने प्रधानमंत्री कुशल विकास योजना (पीएमकेवीआई) के आरपीएल कार्यक्रम के अंतर्गत जयपुर के कारीगरों को प्रशिक्षित करने और प्रमाणित करने के लिए त्रिकोणीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते पर आईआईजीजे-जयपुर के प्रमोद अग्रवाल, जेएजे के निर्मल बर्दिया और जीजेएससीआई के अध्यक्ष प्रेमकुमार कोठारी ने दस्तखत किये। समझौता ज्ञापन के मुताबिक, आईआईजीजे-जयपुर आरपीएल प्रशिक्षण सहयोगी के रूप में कार्य करेगा, जेएजे एक मोबिलिज़ेशन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा और जीजेएससीआई परियोजना क्रियान्वयन एजेंसी (पीआईए) के रूप में कार्य करेगा। एमओयू के अनुसार, जीजेएससीआई अगले ६ महीनों में न्यूनतम १०,००० कारीगरों को प्रमाणित करने का काम करेगा।

समझौते के बाद कौशल की अनिवार्यता विषय पर एक पैनल चर्चा हुई। इस पैनल में निर्मल बर्दिया (अध्यक्ष-जेएजे), राजेश धामणी (मानद महासचिव), प्रमोद अग्रवाल (अध्यक्ष-आईआईजीजे-जयपुर), प्रेमकुमार कोठारी (अध्यक्ष जीजेएसआईआई) और धीरज कुमार (प्रिंसिपल, आईआईजीजे-जयपुर) मॉडरेटर थे।

इस अवसर पर जीजेएससीआई के चेयरमैन प्रेम कुमार कोठारी ने कहा कि जयपुर एक प्रमुख ज्वैलरी बाजारों में से एक है, यहां बड़ी संख्या में कारीगर रहते हैं जो कुशल हैं लेकिन अभी तक अप्रमाणित हैं। इस त्रि-पक्ष एमओयू के माध्यम से हम आरपीएल के जरिए कारीगरों को शिक्षित और प्रमाणित करने करने का काम करेंगे क्योंकि यह जीजेएससीआई की पहल का मुख्य उद्देश्य है और हम इसके लिए तैयार हैं।

जीजेएससीआई के सीईओ बिनीत भट्ट ने कहा कि यह गठजोड़ से हमारा उत्साहवर्धन हुआ है क्योंकि जीजेएससीआई इंडस्टड्ढी के कारीगरों के काम और जीवन के उत्थान एवं सुधार के मकसद से प्रेरित है। जयपुर, चूंकि भारत का प्रसिद्ध ज्वैलरी सेंटर है। इससे यहां अप्रमाणित प्रतिभाओं की भरमार है। हमने कारीगरों के कौशल को पहचानने और उन्हें प्रमाणित करने के उद्देश्य से इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस इवेंट को ग्राहकों का भारी प्रतिसाद मिला है जिससे हमारा मनोबल और बढ़ गया और उम्मीद है इस प्रोजेक्ट को बड़ी सफलता मिलेगी।

बिनीत भट्ट, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जेम्स एंड ज्वैलरी काउंसिल ऑफ इंडिया (जीजेएससीआई)
जेम्स एंड ज्वैलरी काउंसिल ऑफ इंडिया (जीजेएससीआई) के सीईओ बिनीत भट्ट इंडस्ट्री में २६ वर्षों के अनुभवी हैं। एमबीए (मार्केटिंग) योग्यता रखने वाले बिनीत जीआईए के जीजी और एफजेसी सर्टिफिकेट धारक भी हैं।

इंडस्ट्री में अपने कार्यकाल के दौरान बिनीत ने विभिन्न भूमिकाएं निभाई है जिसमें उनके न्यूयार्क के एक अग्रणी एक्सपोर्टर के साथ ४ साल कार्य भी शामिल है। हालांकि, जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री के प्रति उनके आकर्षण और यहां के लोगों को सशक्त बनाने के उनके जुनून के कारण ही उन्होंने जीजेएससीआई के वर्तमान कार्यभार ग्रहण किया है। बिनीत जीजेएससीआई में वर्ष २०१५ में शामिल हुए और उसके बाद उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर जीजेएससीआई का संचालन किया। उनके नेतृत्व में जीजेएससीआई के सभी प्रोग्राम इंडस्ट्री के लिए कुशल श्रम शक्ति के निर्माण करने पर आधारित रहे हैं तथा कारीगरों के जीवन स्तर को उन्नत करना लक्ष्य बनाया है।

जीजेएससीआई में अपनी भूमिका के अलावा बिनीत एक कॉर्पोरेट ट्रेनर के रुप में जाने जाते रहे हैं और मुंबई स्थित आईआईजीजे में विजिटिंग फैकल्टी हैं।

जेम एंड ज्वैलरी स्कील काउंसिल ऑफ इंडिया (जीजेएससीआई)
जेम एंड ज्वैलरी स्कील काउंसिल ऑफ इंडिया हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कौशल भारत की पहल को अगले स्तर पर ले जाने का काम करता है। हमने अब तक स्थापना के बाद से ८०,००० से अधिक से अधिक उम्मीदवारों को कुशल बनाया है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के तत्वावधान में स्थापित, जीजेएससीआई ने लगातार जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री के कुशल श्रम शक्ति को बनाने की दिशा में काम किया है।

जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में है जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग ६% योगदान करता है। इंडस्ट्री में वर्तमान में ३५ लाख लोग कार्यरत हैं और इसमें सन २०२२ तक २५ लाख और अतिरिक्त रोजगार पैदा होने की उम्मीद की जा रही है। दूसरी ओर, जागरुक कुशल कारीगरों की संख्या कम है और उनका महत्व भी कम है। इस अंतर को पाटन के लिए जीजेएससीआई ने कारीगरों के लिए एक मानकीकृत और गुणात्मक प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान कर रहा है। हालांकि कुछ मामलों में कौशल विरासत में मिला है, इस प्रशिक्षण से वे अपने कौशल के स्तर का और उन्नयन कर सकते हैं और इससे वे अपने जीवन स्तर में भी सुधार ला सकते हैं। जीजेएससीआई ने इंडस्ट्री के कारीगरों की जरुरत के लिए नेशनल अक्यूपेशन स्टैंडर्ड का निर्माण किया है जिसमें ११७ विभिन्न योग्यताओं का समावेश है। इन योग्यताओं से इंडस्ट्री के तकरीबन ८० प्रतिशत से अधिक मैनपावर की जरुरत को पूरा किया जा सकता है। इसकी ट्रेनिंग के लिए कोर्स को कई भाषाओं में तैयार किया गया है। इसमें ज्वैलरी के सभी सेगमेंट के लिए सर्टिफिकेशन शामिल हैं जिसमें डायमंड प्रोसेसिंग, कलर्ड जेमस्टोन प्रोसेसिंग, ज्वैलरी मैन्यूफैक्चरिंग, होलसेल और रिटेल सभी का समावेश है।

अपनी स्थापना के बाद से जीजेएससीआई ने कई समझौता ज्ञापन के हस्ताक्षर किए हैं जिसमें आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम (एपीएसएसडीसी), एमएसएसडीएस (महाराष्ट्र राज्य कौशल विकास सोसायटी) और नकली आभूषण मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इज्मा) और असमंत फाउंडेशन पालघर के साथ एक त्रिकोणीय पार्टी समझौते का समावेश है। इसने कई कार्यों जैसे वल्र्डस्कील्स इंडिया फाइनल्स, दिल्ली आभूषण और रत्न मेला (डीजेजीएफ), मुंबई स्वर्णकार संघ सम्मान, एएसएपी कौशल कॉन्क्लेव, एमएसडीई कौशल कॉन्क्लेव, एमकेएसएसएस के साथ संबद्धता और अधिक की तरह की गतिविधियों में भाग लिया है।

जीजेएससीआई समझता है कि हर व्यक्ति अद्वितीय है और उसके पास अद्वितीय शक्तियां होती है। इसी कारण से आरपीएल कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इसके तहत कारीगरों को अक्सर उनके पिछले अनुभवात्मक सीख की पहचान, आकलन और योग्यता पाने की दिशा में प्रतिभा पहचानता करने के लिए प्रेरित किया गया है। ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग आर्गेनाइजेशंस नॉन-फॉर्मल लर्निंग चैनल के माध्यम से अनुभवी कारीगरों को चुन सकते हैं और उनके ज्ञानशक्ति को और सशक्त बना सकते हैं।

जीजेएससीआई की नींव को जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी), ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ), सिप्ज रत्न एवं आभूषण मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एसजीजेएमए) और जयपुर ज्वैलरी एसोसिएशन (जेजेए) द्वारा समर्थित किया गया है।