कीर्तिलाल कालीदास ज्वेलर्स

कीर्तिलाल के निदेशक-बिजनेस स्ट्रैटेजी सुरज शांता कुमार ने लैब ग्रोन उपभोक्ता सेगमेंट पर डीबीयर्स के हालिया प्रवेश पर अपने विचार दिए। उन्होंने हीरा सेक्टर के भविष्य के रुझानों पर भी अपना मत व्यक्त किया।

लैब ग्रोन हीरे के उपभोक्ता क्षेत्र में डीबीयर्स के प्रवेश पर आपकी राय क्या है? नेचरल डायमंड बिजनेस से लैब उगाए जाने वाले डायमंड के सेगमेंट डीबीयर्स के इस प्रवेश को आप कैसे देखते हैं?

डीबीयर्स द्रारा यह एक अच्छा उद्घृत उदाहरण है। यह आउट ऑफ बॉक्स सोच है। मुझे लगता है कि लैब उगाए गए हीरे ज्वैलरी व्यवसाय में प्रवेश करना डीबीयर्स का एक अच्छा रणनीतिक कदम है। इसका उद्देश्य नेचरल डायमंड इंडस्ट्री को भी बचाना है। डीबीयर्स पिछले १०० से अधिक वर्षों से नेचरल डायमंड का बिजनेस कर रही है और मुझे लगता है कि वे अपनी रणनीति का न्याय करने के लिए बेस्ट हैं और मैं व्यक्तिगत रूप से भी लैब में व्यापक स्तर पर उगाए जाने वाले हीरे और नेचरल हीरे के मूल्य में भिन्नता को अधिक महसूस करता हूं। उनकी इस रणनीति से नेचरल डायमंड के बिजनेस को सुरक्षा मिलेगी।

क्या आपको लगता है कि इस सेगमेंट में डीबीयर्स के आने से नेचरल डायमंड कंपनियों को लैब मे तैयार होने वाले हीरे के क्षेत्र में विस्तार एवं विविधीकरण करना जरुरी हो जाएगा। यदि हां तो कैसे?

मुझे नहीं लगता कि भविष्य में ऐसी कोई चीज़ हो।

डीबीयर्स के इस सेगमेंट में प्रवेश करने के बाद क्या उपभोक्ताओं में प्राकृतिक सिंथेटिक हीरे की मांग की ओर झुकाव बढ़ेगा, क्योंकि हम देख रहे हैं कि डीबीयर्स लैब में तैयार हीरे की ज्वैलरी औऱ उपभोक्ताओं के हित में इस फायदे पर बड़ा निवेश कर रहा है.?

नहीं, मुझे उपभोक्ताओं के खरीद पैटर्न में फिलहाल कोई तत्काल बदलाव नहीं दिख रहा है। इसमें अभी काफी लंबा समय लगेगा और मुझे लगता है कि नेचरल डायमंड हमेशा अपना वर्चस्व बनाए रखेगा और जब कभी भी उपभोक्ताओं में हीरा खरीदने की बात चलेगी तो वे नेचरल डायमंड को ही अधिक तरजीह देंगे। नेचरल और लैब में तैयार हीरों के उपभोक्ता हमेशा अलग ही रहेंगे।

क्या नेचरल डायमंड का मार्केट भी नेचरल पर्ल मार्केट के मार्केट की तरह नहीं हो जाएगा क्योंकि नेचरल पर्ल मार्केट में कल्चर्ड पल्र्स के आने से मांग में काफी कमी आई थी ?

नहीं। नेचरल पल्र्स में उपलब्धता काफी कम है। इसलिए यहां कल्चर्ड पल्र्स ने यहां अपनी पैठ बना लगी है।