लक्ष्मी ज्वेलरी एक्सपोट्र्स के निदेशक विपुल मेहता के साथ उद्योग के उन तमाम कारकों पर खास बातचीत जो भारत की हेरिटेज और पारंपरिक ज्वेलरी डिजाइन में नई जान फूंक सकते हैं। आभूषण तैयार करने में कारीगरों की भूमिका पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।

१. हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी क्षेत्र के बड़े निर्माताओं में से आप एक हैं। हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी की घरेलू बाजार मांग के बारे में आपकी क्या राय है?

भारत ही नहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी की मांग लगातार बढ़ रही है। शादी के अवसर पर भारतीय दुल्हन हेरिटेज ज्वेलरी को प्राथमिकता देती है, जो कि मां के गौरव का प्रतीक है। आधुनिक सोच के बावजूद वह चाहती है कि कल्चरल टच वाली प्रत्येक ज्वेलरी को धारण कर वह इस दिन को खास बनाए।

जहां तक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में जटिल शिल्प कौशल से तैयार भारतीय हेरिटेज ज्वेलरी की मांग का सवाल है तो दुनिया भर में इसे मान्यता मिली हुई है। इसे देखते हुए उम्मीद कर सकते हैं कि आनेवाले समय में हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी की बाजार मांग बढ़ेगी।

२. अपने हेरिटेज उत्पादों की कुछेक खूबियों के बारे में बताएं। ऐसे कौन से महत्वपूर्ण कारक हैं, जिनके आधार पर आपको लगता है कि हमारे देश की विरासत और परंपरा आभूषणों में बरकरार रहेगी?

लक्ष्मी ज्वेलरी एक्सपोट्र्स में आभूषणों की डिजाइन बनाने में हम हमेशा भारत की विरासत और संस्कृति को जीवंत रखने का प्रयासकरतेहैं। हैंडमेड ज्वेलरी बनाने के लिए हमारे यहां कई पारंपरिक तकनीकों का भी उपयोग किया जाता है।परंपरागत तकनीकों में महारत हासिल करने में सालों लगते हैं। इस कला को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि पारंपरिक ज्वेलरी बनाने के शिल्प कौशल से अगली पीढ़ी को जोड़ा जाए। देश की हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी को बनाए रखने के लिए हमें कुछ उपाय करने चाहिए, जो इस प्रकार हैं-

* शिल्प कौशल की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है कि उद्योग में युवा कलाकारों को प्रोत्साहन मिले।

* भारत की हेरिटेज ज्वेलरी के बारे में वैश्विक स्तर पर प्रचार मुहिम चलानी चाहिए। इससे आनेवाले समय में मांग बढ़ सकती है।

३. हेरिटेज ज्वेलरी निर्माण में कारीगरों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है?

कारीगर हमारी हेरिटेज ज्वेलरी फ्लैगबेयरर और लाइफलाइन हैं। उनके पास ज्वेलरी तैयार करने का ऐसा तरीका है जिसके जरिए वे आर्डिनरी (सामान्य) आभूषण को उत्कृष्ट बना सकते हैं। महंगाई की मार और मेकिंग शुल्क दरों में आई गिरावट के चलते वे अपनी वास्तविक क्षमता और उम्दा कौशल का प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।

४. आपको लगता है कि भारतीय हेरिटेज ज्वेलरी की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ेगी? यदि हां, तो कैसे?

भारतीय संस्कृति दुनिया भर की विभिन्न संस्कृतियों का एकीकरण है, जिसकी छाप यहां की ज्वेलरी डिजाइन में भी दिखती है। अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर भारत की हेरिटेज ज्वेलरी की भारी मांग है, जिसका लाभ उचित पोजीशनिंग और प्रमोशन के जरिए ही उठाया जा सकता है। अभी तक अछूते संभावित बाजारों की तलाश के जरिए भारतीय हेरिटेज ज्वेलरी के लिए अप्रत्याशित बाजार मांग बनाई जा सकती है।