पद्मनाभस्वामी मंदिर की ज्वेलरी
भारत की हेरिटेज ज्वेलरी का सटीक उदाहरण

पांचवीं शताब्दी में निर्मित केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर पुराने जमाने में भारत की शानदार हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी डिजाइनों का एक बेहतरीन उदाहरण है। वर्ष २०११ में मंदिर के तहखाने में २२ बिलियन से ज्यादा मूल्य का सोना मिला, जो सिक्के,ज्वेलरी, क्राउन (मुकुट) आदि के रूप में मिला है, जो सैकड़ों साल से बंद पड़ा था। त्रावणकोर के शासक राजा माथर्डं के शासनकाल के दौरान यह शहर भगवान को समर्पित था और उसी दौरान यह मंदिर राजशाही के दायरे में आया। माना जाता है कि मंदिर में भगवान विष्णु शेषनाग की शैया पर गहरी निद्रा में सोए हैं।

हालांकि अभी तक यह रहस्य कायम है कि यह बेशकीमती खजाना पद्मनाभ स्वामी मंदिर के तहखानों में सुरक्षा के लिहाज से या फिर किसी अन्य कारण से आखिर क्यों छिपा कर रखा गया? वैसे मिंदर के तहखाने से मिले आभूषणों और एंटीक वस्तुओं सहित अन्य सामग्रियों को देखने से साफ पता चलता है कि राजा मार्थंड के ऐतिहासिक शासनकाल में हमारा शिल्प कौशल कितना उत्कृष्ट था।

तहखाने से मिले खजाने में शामिल हैं एक लाख सोने के सिक्के, दुर्लभ और बहुमूल्य रत्न, इंद्रनीलम और बेल्जियम डायमंड जैसे बेशकीमती हीरे, पन्ना एवं रूबी। मंदिर के खजाने से १८ फीट लंबी चेन, पन्ना जडित ४०० हार, सोने के बर्तन, छतरी, गोल्डेन पॉट्स के साथ हीस्वर्ण निर्मित भगवान शिव की मूर्ति भी मिली है। साथ ही चार फीट ऊंची भगवान विष्णु की स्वर्ण प्रतिमा भी मिली है जिस पर बहुमूल्य पन्ना जड़े हुए हैं।

भगवान विष्णु को समर्पित इस वेदिक मंदिर का संचालन अब त्रावणकोर राजघराने द्वारा बनाए गए ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। साफ हो गया है कि पत्थरों की मजबूत मोटी दीवार और मंदिर के सुरक्षित तहखानों में यह बेशकीमती खजाना त्रावणकोर के राजाओं ने रखा था। लंबे समय तक मंदिर के तहखानों को खोलने की हिम्मत किसी ने नहीं जुटाई। प्राचीन काल के शाप से बहुतों को डर लगता था।

यह बात सही है कि पद्मनाभ स्वामी मंदिर के कई तहखाने खोले गए हैं और उनमें से बड़ा बहुमूल्य खजाना मिला है। बावजूद इसके दुनिया भर के लोग अब यह जानने के लिए बेहद उत्सुक हैं कि मंदिर के उस अंतिम दरवाजे के पीछे का रहस्य क्या है, जिसे अभी तक नहीं खोला गया है। वैसे जानकारों का कहना है कि यह बंद दरवाजा एक गुप्त मंत्र के उच्चारण से अपने आप खुल सकता है, जिसके पट वर्षों से बंद हैं।