आज के समय में हेरिटेज और हैंडमैड ज्वेलरी की अहमियत के बारे में गोल्डस्मिथ अकादमी प्रालि के प्रबंध निदेशक एस. थिरुपथी राजन के साथ खास बातचीत। ज्वेलरी सेक्टर में कारीगरों की बदहाली पर न सिर्फ उन्होंने चिंता जताई बल्कि उन्हें विषम हालात से उबारने के लिए जरूरी उपाय भी सुझाए। पेश हैं इसी बातचीत के मुख्य अंशः

१. हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी की मौजूदा बाजार मांग के बारे में आपकी क्या रहा है?

हाल के दिनों में हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी की अहमियत बढ़ी है। समाज का रुझान इस तरह के आभूषणों में बढा है, लिहाजा बाजार मांग भी बढ़ी है। उपभोक्ताओं की मांग पूरी करने के लिए हमारे पास पर्याप्त संख्या में कुशल कारीगरी नहीं है। कारीगरों को खास तरह की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि वे जटिल से जटिल आभूषणों को भी आसानी से बना सकें। कारीगरों को जरूरी प्रशिक्षण देकर ही भारत की यह परंपरा पुनर्जीवित की जा सकती है।

२. हेरिटेज ज्वेलरी बनाने में कारीगरों की भूमिका कितनी अहम है? कारीगरों की भलाई के लिए ऐसे कौन से उपाय किए जाएं जिससे न सिर्फ उनका हौसला बढ़े, बल्कि उनकी भावी पीढ़ी भी हंसी-खुशी इस पेशे को अपनाए?

सही अर्थों में कारीगर ज्वेलरी बनाने में क्यूरेटर का काम करते हैं। यहां, मदुरै में स्थानीय कारीगरी हेरिटेज ज्वेलरी बनाने में पूरी तरह सक्षम हैं। फिर भी ज्यादा से ज्यादा डिजाइन क्लीनिक्स स्थापित कर कारीगरों को जरूरी शिक्षा प्रदान करने के साथ ही एक्सपोज और ट्रेन किया जा सके ताकि हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी का मजबूत प्लेटफॉर्म तैयार हो सके। ऐसा कर हैंडमेड और हेरिटेज ज्वेलरी बनाने का पेशा आकर्षक बना सकते हैं और पेशे को अपनाने में कारीगरों की भावी पीढ़ी को कोई दिक्कत नहीं होगी।

३. क्या आपको लगता है कि अंतरराष्ट्री बाजार में भारत की हेरिटेज ज्वेलरी की मांग बढ़ सकती है। यदि ऐसा है तो क्यों?

जहां तक भारतीय हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी का सवाल है तो इसे उतनी ही अहमियत अंतरराष्ट्रीय बाजार में मिलती है जितनी की मशीन से तैयार ज्वेलरी को मिलती है। दुनिया भर में हेरिटेज ज्वेलरी को लेकर लोगों की सोच सकारात्मक हुई है। वैश्विक उपभोक्ताओं का रुझान हेरिटेज ज्वेलरी की ओर बढ़ा है, लिहाजा हेरिटेज कलेक्शन फैशन पसंद पीढ़ी के लिए काफी मायने रखते हैं।

४. भारत के जेम एंड ज्वेलरी उद्योग में कारीगरी की हालत कैसी है? इनके कल्याण और विकास के लिए आप सरकार से किस तरह के समर्थन की उम्मीद करते हैं?

जेम एंड ज्वेलरी सेक्टर में मशानीकरण के साथ ही बड़े प्रतिष्ठानों की पैठ रिटेल कारोबार में बढ़ी है, जिसके चलते कारीगरों का दायरा सीमित हो गया है। सरकार को बड़ी संख्या में डिजाइन क्लीनिक्स और फोरम बनाने चाहिए जहां कारीगरों को मौजूदा चुनौती से निपटने के लिए जरूरी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे ऐसी हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी बना सकें जिससे समाज संतुष्ट हो सके।

५. भारत में हैंडमेड ज्वेलरी बनानेवाले कारीगरों की संस्था के आप प्रमुख हैं। इस हैसियत से आप कारीगरों के लिए क्या कर रहे हैं?

गोल्ड स्मिथ अकादमी के मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर हम कारीगरों को प्रशिक्षण प्रदान कर उनके कौशल को निखारते हैं। ट्रेनिंग के बाद कुशल कारीगर ऐसी हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी बनाते हैं, जिससे दुनिया भर में इस तर के आभूषण कलेक्शन में भारत का नाम रोशन करते हैं। तुर्की जैसे देशों में हेरिटेज ज्वेलरी को वैल्यू एडिशन का जरिया माना जाता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी मान्यता मिली है। लेकिन, ऐसी सोच भारत में अभी नहीं है, जिसके लिए सरकार के साथ ही उद्योग को भी प्रयास करना चाहिए।