भारत की हेरिटेज और ट्रेडिशनल ज्वेलरी डिजाइन में नई जान फूंकने से जुड़े उपायों के बारे में विजय एक्सपोट्र्सकी डायरेक्टर शेता धनक के साथ खास बातचीत। उनका कहना है कि ऐसे कई माध्यम-साधन हैं जिनसे प्रेरणा लेकर देश की हेरिटेज ज्वेलरी डिजाइन और समृद्ध बनाई जा सकती है।

१. आप देश के अहम हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी निर्माताओं में शुमार हैं। घरेलू बाजार में हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी की मौजूदा बाजार मांग के बारे में हमें बताएं?

यह बात सही है कि बीते दो दशक से भारत में हेरिटेज ज्वेलरी के प्रमुख निर्माताओं में हमारी कंपनी का नाम है। हमारी ज्वेलरी में जो शिल्प कौशल है, उस पर हमें गर्व है। जहां तक हेरिटेज डिजाइन वाली ज्वेलरी की मौजूदा बाजार मांग और रुझान का सवाल है तो इसलमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जटिलऔर कुशल शिल्प कौशल के कारण भारतीय डिजाइन प्रीमियम मूल्य की होती। चूंकि भारत सांस्कृतिक विविधता का केंद्र है, लिहाजा ज्वेलरी डिजाइन के माध्यम से परंपरा जिंदा रखा जाती है। इसमें हमारे कुशल कारीगरों की अहम भूमिका है जो नवाचार और परंपरा को ध्यान में रखते हुए आभूषणों को बनाते हैं। आम तौर पर सोने में निवेश को अच्छा माना जाता है और इसके जरिए २२ कैरेट गोल्ड से बनी हैंडमेड ज्वेलरी को प्रोत्साहन दिया जा सकता है।

२. हमें अपने हेरिटेज उत्पादों की विशेषता के बारे में कुछ बताएं। उन महत्वपूर्ण कारकों के बारे में बताएं जिनसे आपको लगता है कि आभूषणों में हमारे देश की विरासत और परंपराएं अपनी जगह कायम रखेंगी?

ज्वेलरी डिजाइन में देश की परंपरा की छाप बनी रहे, इसके लिए सबसे जरूरी है इसमें नयापन लाने की पहल, जिस पर अमल होना चाहिए। समय की मांग है कि हम भावी पीढ़ी को प्रोत्साहित करें ताकि वह हेरिटेज लेगेसी को सम्मानपूर्वक आगे बढ़ाए और इसे नई ऊंचाई तक पहुंचाने की दिशा में काम करे।

३. हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी डिजाइन तैयार करने की प्रेरणा आपको कहां से मिलती? हेरिटेज पर आधारित अपने उत्पादों के बारे में उदाहरण दें?

हमारे आभूषणों की डिजाइन में देश प्रेम और देश की संस्कृति की छाप है। विविधता में एकता वाली हमारी संस्कृति पर आधारित आभूषणों की डिजाइन तैयार करना हमारे लिए मां द्वारा पकाए गए भोजन को चखने के समान है।

४. हेरिटेज ज्वेलरी तैयार करने में कारीगरों की भूमिका कितनी अहम है?

किसी भी डिजाइन की सफलता में कारीगरों की भूमिका ७५ प्रतिशत होती है। कारीगर कुशलता, सटीकता औरनिपुणता के साथ काम करते हैं तभी मन मोहक ज्वेलरी तैयार होती है।

५. हेरिटेज ज्वेलरी में हमारी समृद्ध परंपरा और संस्कृति को जीवंत बनाए रखने के लिए ऐसे कौन से उपाय करने चाहिए ताकि कलाकारों और कारीगरों का कौशल अगली पीढ़ी अपनाए और इसे आगे?

कारीगरों की समृद्ध और विकास के लिए विभिन्न तरह के आयोजन किए जाने चाहिए। आभूषण निर्माताओं को भी ऐसे उपाय करने चाहिए ताकि कारीगरों को जरूरी शिक्षा और प्रोत्साहन मिले। उन्हें कार्य करने का बेहतर परिवेश मिलना चाहिए। साथ ही कारीगरों को यह अहसास होना चाहिए कि उनका भविष्य और उनका परिवार सुरक्षित है। इतना ही नहीं इस कला को वैश्विक बाजार मिलना चाहिए ताकि सम्मान के साथ ही अच्छा मूल्य भी मिल सके।

६. क्या आपको लगता है कि भारतीय हेरिटेज ज्वेलरी की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ेगी? यदि हां, तो कैसे?

इसका जवाब हां में है। भारत की हेरिटेज ज्वेलरी की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ाई जा सकती है। दुनिया भर में भारतीय फैले हुए हैं और वे अपनी संस्कृति से भी जुड़े हुए हैं। निर्माताओं और रिटेलर्स को अपने उत्पादों का प्रदर्शन और प्रमोशन करना चाहिए, साथ ही यह भी बताना चाहिए कि इस तरह की ज्वेलरी को कितने फायदे हैं।