विजय एक्सपोट्र्स

रोस कट और अनकट डायमंड्स के अग्रणी एवं इन्नोवेटिव ज्वैलरी मैन्युफैक्चरर्स

मुंबई स्थित विजय एक्सपोट्र्स की निदेशक सुश्री श्वेता धनक ने द न्यू ज्वेलर हिंदी ब्यूरो के साथ एक विशेष बातचीत में हस्तनिर्मित शिल्पकारी और टेक एवं मशीन टूल्स के उपयोग के बीच संतुलन स्थापित करने के तरीके पर जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर में नई पीढ़ी को शामिल करने और उनमें इसके प्रति रुचि पैदा करना एक महत्वपूर्ण कार्य बताया।

भारत पारंपरिक रूप से हस्तनिर्मित डिजाइनों में अग्रणी रहा है। भारत को हस्तनिर्मित ज्वैलरी के मामले में दुनिया के शीर्ष पर रखने में देश के शिल्पकारों और कारीगरों का कितना प्रभाव रहता है। ?

हम एक ज्वैलरी मैन्यूफैक्चरर हैं। हमारे यहां हस्तनिर्मित ज्वैलरी का अधिकतम उत्पादन होता है औऱ हम इसे विदेशों में निर्यात भी करते हैं। हमने अपनी शिल्प कौशल की विरासत को जारी रखा है औऱ हमारे कारीगर हमारे इसकी जान हैं। आज टेक्नोलोजी तेजी से बदल रही है और उन्नत हो रही है। इसलिए इनका अधिकांश उत्पादन इस्तेमाल किया जाता है। यह सही है कि टेक्नोलोजी के आने से शिल्पकारों के कौशल पर दबाव बढ़ा है।
हस्तनिर्मित आभूषणों को तैयार करने में कारीगरों की कार्यकुशलता, बनावट गहनता और कस्टोमाइज्ड शिल्प कौशल की ही जरुरत पड़ती है। इसमें मशीनों का इस्तेमाल सही नहीं होता। भारत के ज्वैलरी सेक्टर में सही मायने में उत्कृष्ट काम हो रहा है। ज्वैलरी मैन्यूफैक्चरर्स को इससे जुड़ना चाहिए और ज्वैलरी की विरासत को जारी रखने के लिए एक साथ हाथ मिलाना चाहिए ताकि अगली पीढ़ी इसे अपने पेशे और कैरियर के रूप में ले सके।

नई टेक्नोलॉजी और मशीन टूल्स के आने से ज्वेलरी मेकिंग पर असर हो रहा है। क्या आपको लगता है कि भारत फिर से दुनिया में एक मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा? ज्वैलरी बनाने की प्रक्रिया में टेक्नोलोजी और मशीन टूल्स के क्या महत्व हैं ?

यह निश्चित रूप से दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब होगा क्योंकि यहां निर्माताओं को टेक्नोलोजी और शिल्प कौशल के बीच संतुलन करना आता है। साथ ही वे यह भी जानते हैं कि इसका ब्लेंड (मिश्रण) कैसे हो ?

कारीगरों के काम को आसान और सुचारू बनाने के लिए मशीनों का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि कम से कम श्रम का उपयोग किया जा सके। लेकिन जो काम हाथ से करना होता है वह हाथ से ही करना होता है। भारत में इसे बहुत अच्छी तरह से मिश्रित किया जाता है। विजय एक्सपोट्र्स कारीगरों के श्रम और प्रयासों को कम करने के लिए जाना जाता है ताकि उनकी रचनात्मकता और शिल्प कौशल सामने आए और उन्हें महत्व दिया जाए। उन्हें अपनी रचनात्मकता को बाहर लाने का अवसर दिया जाना चाहिए। जो काम हाथ से करना है, उसे हाथ से ही करना होगा। शिल्पकारों को श्रम कार्य नहीं करना चाहिए।

किसी भी ज्वैलरी को तैयार करने के लिए टूल्स और मशीनें महत्वपूर्ण होती हैं। जितनी अच्छी मशीन होगी, ज्वैलरी की गुणवत्ता और परिशुद्धता भी उतनी ही बेजोड़ होगी। कारीगर एडवांस्ड टेक्नोलोजी के कारण बेहतर फिनिश और रचनात्मकता ला सकते हैं। मशीनें केवल यांत्रिक कार्य कर सकती हैं। उनमें मानवीय स्पर्श का अभाव रहता है जबकि कारीगर अपनी रचनात्मकता में दिल और दिमाग दोनों डालते हैं। टेक्नोलोजी का उपयोग करके हम बड़े पैमाने पर उत्पादन और बड़े कार्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

दुनिया भर में कई ज्वैलरी कंपनियां हैं जो अपने ज्वैलरी निर्माण के कार्य को भारत में आउटसोर्स कर रही हैं। इससे भारत के ज्वैलरी सेक्टर में उत्पन्न चुनौतियों और अवसरों पर आपकी क्या राय है ?

इस क्षेत्र में अनेक चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं।

१. यहां सबसे बड़ी चुनौती जमीनी स्तर की है। भारत के कारीगरों को उनके कार्यों और प्रयासों के लिए पर्याप्त वेतन नहीं मिलते। यही कारण है कि वे अपने इस पेशे को जारी नहीं रख रहे हैं और उनकी अगली पीढ़ी भी ज्वैलरी शिल्प कौशल के अपने पैतृक पेशे को अपनाने से हिचक रही है। कारीगरों के कौशल को उन्नत करना और उन्हें अपना पेशा जारी रखना वर्तमान परिदृश्य में सबसे बड़ी चुनौती है। इन चुनौतियों को आसानी से दूर किया जा सकता है।

२. दूसरी चुनौती शीर्ष स्तर की है जो कानूनों, नियमों के विनियमन, शुल्क और कराधानों से संबंधित हैं। इनसे निर्यात कार्यों में बाधा आती है। अब चीजें थोड़ी सरल और आसान हो रही हैं। इसमें कागजी कार्रवाई और अन्य औपचारिकताओं यदि और सरल हो जाएं तो निर्यात में काफी बढ़ोतरी होगी और भारत दुनिया के शीर्ष मैन्युफैक्चरिंग हब बनने में अजेय हो जाएगा।

३. भारत में सोने की खरीद अधिक व्यवस्थित और केंद्रीकृत हो सकती है। इसके माध्यम से सोने की खरीद आसान होगी और उसकी शुद्धता को बनाए रखा जा सकता है।

४. भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली ज्वैलरी की आवश्यकता पर ध्यान देना चाहिए। भारत को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों की मांग एवं पसंद के अनुसार ज्वैलरी का निर्माण करना चाहिए। लासवागास जैसे कई अंतरराष्ट्रीय शो हैं जहां भारतीय ज्वैलरी मैन्युफैक्चरर्स अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर सकते हैं। भारत को टिफ़नी जैसे ब्रांड बनाने चाहिए।

भारत में बेहतरीन शिल्प कौशल है। हम आसानी से उस स्तर तक पहुंच सकते हैं। सोने में स्टोन पिरोना ही ज्वैलरी निर्माण नहीं है। इसमें कारीगरों की मेहनत, उनकी शिल्पकारिता औऱ रचनात्मकता शामिल रहती है। तभी हीरे औऱ सोने के सही मिश्रण तैयार होते हैं। भारत निश्चित रूप से आभूषणों के कई प्रसिद्ध ब्रांड बना सकता है। हमें भारतीय शिल्प कौशल का प्रदर्शन करना चाहिए और एक ब्रांड बनाना चाहिए जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो।

भारत में कई संस्थाएं हैं जो ज्वैलरी डिजाइन का कोर्स चला रही है। क्या आपको लगता है कि युवा ज्वैलरी डिजाइनरों को इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। ज्वैलरी डिजाइनरों को आगे बढ़ाने के संदर्भ में आप क्या सोचते हैं।

इस वक्त भारत के अनेक शहरों में जीआईए, आईजीआई, आईआईजीजे और जीएसआई जैसी संस्थाएं ज्वैलरी डिजाइनिंग के छात्रों के लिए विभिन्न कोर्सेस चला रही हैं और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मैं भी एक एनजीओ चला रहा हूं और हम महिला सशक्तीकरण पर काम कर रहे हैं। हमने सरकारी कौशल विकास कार्यक्रम के तहत आईआईजीजे के साथ समझौता किया है। महिला कारीगरों के पहले बैच में से कुछ को मैने अपनी कंपनी में नियुक्त किया है। महिला विकास और आभूषण डिजाइनिंग को प्रोत्साहित करने की दिशा में हमारा यह पहला कदम है।

प्रत्येक ज्वैलरी मैन्युफैक्चरर्स को जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर के प्रति जागरुकता निर्माण करना चाहिए और उन्हें इस सेक्टर की सुंदरता के बारे में बताना चाहिए।

ज्वैलरी शिक्षा संस्थानों को सेमिनार, कॉन्क्लेव जैसे अनेक कार्यक्रम करने चाहिए। इससे रोजगार के अवसरों को जानने और आय कमाने के बारे में लोगों को पता चलेगा। इससे व्यवहारिक अवसर मिलेगा और लोग इससे जुड़ेंगे। आज की युवा पीढ़ी हार्डवर्क की अपेक्षा स्मार्ट वर्क में विश्वास करती है। मेरा पुत्र भी जल्द ही कंपनी में शामिल होगा। युवा पीढ़ी को सही रास्ता दिखाना होगा क्योंकि वे सही लोगों के माध्यम से सही काम करने में विश्वास करते हैं। आज की युवा पीढ़ी के लिए शिक्षा बहुत जरुरी है। युवा पीढ़ी को सही मायने में अवसर देना चाहिए। इससे जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर के विभिन्न क्षेत्रों में उनकी रुचि बढ़ेगी।

कारीगरों और शिल्पकारों के बारे में आप क्या कहेंगे। कारीगरों की संख्या बढ़ाने और इंडियन जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर में कारीगरों को अवसर प्रदान करने के बारे में आपके क्या विचार हैं।

विजय एक्सपोट्र्स एक ऐसी कंपनी है जो कारीगरों और शिल्पकारों की बेहतरी की दिशा में काम करती है। हम विभिन्न सेमिनार और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं और उन्हें हम अगले स्तर के लिए प्रशिक्षित करते हैं। उनके स्वास्थ्य और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए हमने अपनी कंपनी में एक जिम शुरु किया है।

मैं खुद अपने कर्मचारियों के पानी के सेवन का ध्यान रखता हूं। क्योंकि ये वे कारीगर हैं जो किसी भी कंपनी में सच्ची कला को सामने लाते हैं। उनका सभी तरह से देखभाल होनी चाहिए। चाहे वह छोटी सी बात हो या कोई बड़ा मुद्दा, उन्हें काम के प्रति प्रोत्साहन, विश्वसनीयता और पहचान की जरुरत है क्योंकि वे भी हमारी तरह एक इंसान हैं।

ज्वैलरी के एक अग्रणी निर्माता निर्यातक होने के नाते विजय एक्सपोट्र्स और उसकी आने वाले दिनों में भारत और इंटरनेशनल मार्केट्स में विस्तार योजनाओं के बारे में हमें थोड़ा बताएं।

मैं चाहता हूं कि विजय एक्सपोट्र्स एक सबसे खुशहाल कार्य स्थल हो, तनाव मुक्त हो और काम करने के लिए व्यवस्थित जगह हो। इसी वजह से हमारे यहां काम का तनाव कम है और हमारे कर्मचारी खुशहाल हैं। आज के तेज जीवन में तनाव खराब स्वास्थ्य का असली कारण है।

विजय एक्सपोट्र्स का एक और मिशन है- एक विश्व स्तरीय फैक्टरी तैयार करना, जहां प्रत्येक कर्मचारी के कंफर्ट का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

हम स्कूल, कॉलेजों और संस्थानों के लिए एक शोकेस फैक्टड्ढी बनाना चाहते हैं, ताकि उन्हें ऐसी शानदार जगह पर आकर काम करने की प्रेरणा मिले। इससे उन्हें पता चलेगा कि ज्वैलरी की फैक्टरी काफी सिस्टमैटिक एवं व्यवस्थित होती हैं। इंटरनेशनल मार्केट में अपने विस्तार के मद्देनजर हम सोने और हीरे की ज्वैलरी में रोज कट औऱ अनकट डायमंड्स के प्रति जागरुकता पैदा करना चाहते हैं। क्योंकि वे असली हीरे हैं। हम लोगों को रोज कट और अनकट हीरे के बारे में जागरूक करना चाहते हैं कि वे सही में असली हीरे हैं। रोज कट डायमंड और असली हीरे की एक ही विशेषता है। इससे हमारी बिक्री बढ़ेगी। साथ ही हमारी सद्भावना और प्रामाणिकता बढ़ेगी।

हम सतत इन्नोवेशन में विश्वास रखते हैं क्योंकि हम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी बिक्री को बढ़ाना चाहते हैं। इसके लिए हम आसानी से स्वीकार्य और किफायती हीरे के आभूषण तैयार करना चाहते हैं। साथ ही हम भारतीय शिल्प कौशल को भी आगे रखना चाहते हैं। रोज कट डायमंड ज्वेलरी को आगे रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

हमारे वर्तमान ग्राहक ही हमारे गुडविल हैं। इसलिए हमारी पहली प्राथमिकता उनके प्रति प्रतिबद्धता और गुणवत्ता की होगी। हम तनिष्क और अन्य अग्रणी कॉर्पोरेट्स के साथ भी काम कर रहे हैं।

जीवन में सफलता पाने के लिए तीन महत्वपूर्ण कारक हैं:

१. हमारे ग्रास रूट लेवल और आधार व्यवस्थित और खुशहाल होने चाहिए। इसमें हमारी टीम और फैक्टरी शामिल हैं।

२. इन्नोवेशन, शिल्प कौशल और काम के प्रति प्रतिबद्धता का सही मिश्रण होना चाहिए। इससे कंपनी की गुडविल बनती है।

३. हमारे लिए हर ग्राहक महत्वपूर्ण है चाहे वह कॉर्पोरेट ग्राहक हो, बुटीक हो या वन पीस क्लाइंट हो। हम अपने ग्राहकों को बिना भेदभाव से समानता और महत्व देते हैं।

ज्वेलर्स को मैं एक संदेश देना चाहूंगा कि हम हाथ मिलाकर जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर के शिल्प कौशल की विरासत को नई ऊंचाई तक ले जा सकते हैं। महिला सशक्तिकरण को भी महत्व दिया जाना चाहिए। ज्वैलरी के क्षेत्र में गत १४ सालों से हूं। मैने देखा है कि यहां महिलाएं ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग की तुलना में ज्वैलरी डिजाइनिंग में काफी आगे हैं।