केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कोयम्बतूर में जेम एवं ज्वैलरी के निर्माताओं और
निर्यातकों के लिए सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) का शुभारंभ किया

रत्न आभूषण सुविधा केंद्र जो जीजेईपीसी द्वारा का केंद्रीय वाणिज्य
और उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रायोजित प्रोजेक्ट है।

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने कोयम्बतूर में ङ्ककॉमन फैसिलिटी सेंटरङ्क (सीएफसी) रत्न आभूषण सुविधा केंद्र जो जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) का वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रायोजित प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया। इस अवसर पर बी. सबरीनाथ (अध्यक्ष, कोयम्बटूर ज्वैलरी एसोसिएशन) और बी मुथु वेंकट (अध्यक्ष, कोयंबटूर निर्माता संघ) और कई रत्न एवं आभूषण उद्योग के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कोयम्बटूर में आम सुविधा केंद्र हीरे की कटाई और चमकाने के साथ-साथ आभूषण निर्माण गतिविधियों से जुड़े श्रमिकों और छोटे निर्माताओं के तकनीकी और सामाजिक परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण होगा।

जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर में पीएम के मेक इन इंडिया विजन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए जीजेईपीसी की पहल का उद्देश्य भारत के स्थानीय कारीगरों और स्वदेशी डिजाइन और उत्पादनों को बढ़ावा देकर वैश्विक जेम एंड ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है। जीजेईपीसी ने गुजरात के विसनगर, पालनपुर, अमरेली और जूनागढ़ में सीएफसी स्थापित किया है। इसके अलावा जीजेईपीसी की २०१९-२०२० तक दिल्ली, कोलकाता, जयपुर और हैदराबाद में सीएफसी स्थापित करने की योजना है।

सुरेश प्रभु ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सभी को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कॉमन फैसिलिटी सेंटर की स्थापना का उद्देश्य जेम एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री के कारीगरों को अत्याधुनिक गहन और तकनीकी सुविधा प्रदान करना है। सीएफसी हमें ज्वेलर टू द वल्र्ड बनने के लिए आगे आने में मदद करता है, ताकि जेम एंड ज्वैलरी निर्यात की ७५ बिलियन अमरीकी डालर की हमारे महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। छोटे शहरों और गांवों में सीएफसी की स्थापना से छोटे और जरुरतमंद निर्माताओं को तकनीकी उन्नति का लाभ प्रदान में बहुत मदद मिलेगी। सीएफसी जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर के मौजूदा कारीगरों को फिर से कौशल / अप-स्किल करने का अवसर प्रदान करेगा, जिसमें अत्याधुनिक उपकरणों का व्यापक रूप से विश्व स्तर पर जेम एंड ज्वैलरी उत्पादों के निर्माण के लिए किया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि अकेले कोयम्बटूर में लगभग ६०,००० लोगों को एक समय में प्रशिक्षित किया जाएगा और १५०० से २००० ज्वैलरी युटिलिटी युनिट्स को भी इसका लाभ मिलेगा। उडुपी में भी इसी तरह का कार्यक्रम शुरू किया गया है। उडुपी जो भारत के प्रसिद्ध मंदिर शहर के रूप में जाना जाता है, जल्द ही डिजाइनिंग और प्रशिक्षण संस्थानों के लिए भी जाने जाना लगेगा। कोयंबटूर और उडुपी में इस तरह की सुविधाओं के आने से लाखों लोगों को फायदा होगा और इससे इस क्षेत्र में विकास को बल मिलेगा।

जीजेईपीसी के अध्यक्ष प्रमोद कुमार अग्रवाल ने कहा कि जीजेईपीसी का यह निरंतर प्रयास रहा है कि जेम एंड ज्वैलरी निर्यातकों को सर्वोत्तम संभव बुनियादी ढाँचा और आधुनिक सुविधाएँ प्रदान की जाएँ जो दक्षिणी क्षेत्र के मध्यम दर्जे के निर्माताओं के उत्पादन गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में सुधार दर्ज हो सके। कोयम्बटूर में कॉमन फैसिलिटी सेंटर कारीगरों और ऑपरेटरों के उत्थान और सशक्तीकरण को सक्षम बनाने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने तथा वैश्विक स्तर पर कारीगरों के कौशल को उन्नत बनाया जा सकेगा। सीएफसी तकनीकी और सामाजिक परिवर्तन लाने में सहायक होगा। सीएफसी नई प्रतिभाओं को पहचानने और युवा कारीगरों और साथ ही वैश्विक बाजारों में मौजूदा कारीगरों को आगे बढ़ाने महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह दुनिया में हमारे दस्तकारी आभूषण और डिजाइन पूंजी को भी प्रदर्शित करेगा।

जीजेईपीसी के दक्षिणी क्षेत्र के निदेशक सूर्य नारायणन ने कहा कि कोयम्बटूर निर्यात का एक मुख्य केंद्र है। सीएफसी पहल उत्पादकता बढ़ाने और बेहतर लाभ के लिए माल की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करेगी। उद्योग के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए, अगर ऐसी सुविधा छोटी इकाई धारकों को उचित दर पर उपलब्ध कराई जाती है, तो ये इकाइयां कोयंबत्तूर के लिए ज्यादा काम लाएंगी। सीएफसी कोयंबटूर और उसके आसपास की छोटी इकाइयों को आधुनिक मशीनों की पहुँच प्रदान करके आभूषणों के उत्पादन और उत्पादन में भारी वृद्धि करने में मदद करेगा।

सीएफसी के नहीं होने से इस क्षेत्र की अनेक इकाइंया छोटे पैमाने पर चल रही थीं और मुख्य रूप से जॉब वर्क कर रही थीं। उनके लिए उपकरण या मशीनरी में भारी निवेश करना मुश्किल है। छोटी मात्रा के उत्पादन के लिए अधिकतम क्षमता का उपयोग नहीं किया जा सकता। अत्याधुनिक उपकरणों की अनुपलब्धता के कारण उत्पादकता कम थी, लाभ कम थे और हीरे की गुणवत्ता कमजोर हुईं। इसके अलावा कभी-कभी समय पर काम पूरा करने और उत्पादों को समय पर डिलीवरी देने के लिए कुशल कारीगरों पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है। कुशल श्रम की अनुउपलब्धता इंडस्ट्री के लिए आज एक प्रमुख मुद्दा है।