आर्थिक अनिश्चितता में भी डायमंड इंडस्ट्री का २०१३ में २ से ४ प्रतिशत ग्रोथ

बैन एंड कंपनी ने ग्लोबल डायमंड इंडस्ट्री पर अपनी चौथी वार्षिक रिपोर्ट में डायमंड की मांग पर ठोस आउटलुक की भविष्यवाणी की है लेकिन साथ में सावधान और चेताया भी है कि डायमंड इंडस्ट्री में फाइनेंसिंग खासकर मिडल मार्केट में बाजार के फ्यूचर ग्रोथ में बाधा हो सकती है।

बीते वर्षों में डायमंड मार्केट के उतार-चढ़ाव के बीच साल २०१३ के दौरान वैल्यू चेन से जुड़े प्रत्येक के यहां २ से ४ प्रतिशत वृद्धि दिखाई दी और आगामी दशक में डायमंड इंडस्ट्री का आउटलुक मजबूत एवं सकरात्मक रह सकता है बशर्ते कि यहां मांग बनी रहे और कारोबारी इसके लिए सतत प्रयास करते रहे। हालांकि, माइक्रोइकोनोमिक अनिश्चितताओं और डायमंड इंडस्ट्री के सामने उत्पन्न चुनौतियों जिसमें फाइनेंसिंग भी शामिल है, डायमंड के वैल्यू चेन मिडल मार्केट के सामने सबसे बड़ी बाधा हो सकती है तथा इसका फ्यूचर ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। बैन एंड कंपनी तथा एंटवर्प वल्र्ड डायमंड सेंटर (एडब्ल्यूडीसी) द्वारा तैयार की गई ग्लोबल डायमंड इंडस्ट्री की चौथी सालाना रिपोर्ट डायमंडः टाइमलेस जेम्स इन ए चेंजिंग वल्र्ड, में कही गई है।

बैन के अनुसंधान में पाया गया कि पिछले वर्ष डायमंड इंडस्ट्री का ग्रोथ मुख्य रूप से केवल अमेरिका, चीन और भारत में केंद्रित था। अमेरिका में इस इंडस्ट्री में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद २ प्रतिशत का आर्थिक ग्रोथ हुआ जो कि मंदी के दौरान १.६ प्रतिशत नकरात्मक थी। अमेरिका वल्र्ड में डायमंड का सबसे बड़ा रिटेल मार्केट है और इसमें सुधार उल्लेखनीय रहा। भारत और चीन ने डायमंड की कटिंग एवं पॉलिशिंग के साथ साथ ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी अपना दबदबा बनाए रखा।

इस उद्योग के पुनः सुधार के बावजूद लगातार माइक्रोइकोनोमिक अनिश्चितताओं से इन बाजारों और दुनिया भर में डायमंड की मांग पर सवाल उठने लगे हैं।

‘ अर्थव्यवस्था में जारी पिछले कुछ वर्षों से उतार-चढ़ाव के कारण वैश्विक हीरा बाजार भी हिचकोले खा रहा था, लेकिन अब इसमें स्थिरता है लेकिन इस स्थिरता के बावजूद इंडस्ट्री अभी भी सामान्य नहीं हुआ है,‘ वैश्विक हीरा उद्योग की रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और बैन के एक पार्टनर ने कहा। ‘मैक्रोइकॉनॉमिक्स, अन्य कारकों के साथ - फाइनेंसिंग, विपणन चुनौतियों, अज्ञात सिंथेटिक हीरे, पर्यावरण चिंताओं, सामाजिक जागरूकता और यहां तक कि देश विशेष प्राथमिकता - लंबी अवधि में हीरा उद्योग के निरंतर विकास के लिए एक आसान और सीधा मार्ग बन सकते हैं। ‘

बैन को उम्मीद है कि २०१९ के आरंभ में वैश्विक हीरा बाजार में हीरे की कमजोर आपूर्ति और धन बढ़ने से हीरे की मांग में वृद्धि में विकसित एवं विकासशील देशों में मध्यम वर्ग की बढ़ती संख्या के कारण ५ से ८ प्रतिशत का बड़ा अंतर हो जाएगा। बैन के मालिकाना पूर्वानुमान पद्धति के अनुसार अगले दशक में रफ डायमंड का ग्रोथ ४ से ५ प्रतिशत औसत वार्षिक दर से बढ़ने की संभावना है।

  • अमेरिका - अमेरिका में डायमंड की खपत बीते कुछ वर्षों के रुझान के मुताबिक जारी रहने की उम्मीद है। इसमें आने वाले दिनों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और प्रयोज्य आय (डिस्पोजेबल इंकम) में वृद्धि के साथ लंबे समय में विकास दर के साथ जुड़ सकता है और इसमें अगले दशक के दौरान २ से ३ प्रतिशत बढ़ोतरी के आसार हैं।

  • चीन - चीन के मध्यम वर्ग का विस्तार, बढ़ती शहरी आबादी और पर्सनल वेल्थ में बढ़ोतरी के कारण यहां के हीरे के ज्वैलरी मार्केट में मजबूत ग्रोथ हो सकता है। यहां डायमंड की मांग २०२४ तक दोगुना होने की उम्मीद है।

  • भारत - भारत में अर्थव्यवस्था के रिवाइव होने और मध्यम वर्ग के बढ़ने के कारण २०२४ कर ग्रोथ २.८ गुना हो सकती है और जो देश के हीरे के ज्वैलरी मार्केट के लिए एकल अंक में सबसे बड़ी बढ़ोतरी होगी।

इसी अवधि में रफ डायमंड का आपूर्ति आउटलुक वैश्विक स्तर पर उसके उत्पादन में योजनाबद्ध तरीके से की गई कटौती के अनुरुप होगा। बैन को लगता है कि साल २०१३-२०१९ के दौरान डायमंड की वैश्विक सप्लाई बढ़ेगी और वह भी औसत ३.५- ४ प्रतिशत की दर से। और उसके बाद इसमें २०२४ तक १.५-२ प्रतिशत की गिरावट आएगी। यह गिरावट माइंस के समाप्त होने और अंडरग्राउंड माइनिंग में परिवर्तन पर आधारित होगी। रिपोर्ट के अनुमानों के अनुसार २०१९ तक १६३ मिलियन कैरेट की सप्लाई होगी जो २००५ की मंदी से पूर्व १७७ मिलियन कैरेट थी और जो २००८ में और घटकर १६३ मिलियन कैरेट तक पहुंच गया था।

इसके अलावा, हीरे की मांग एवं आपूर्ति में बढ़ती खाई को देखते हुए, इंडस्ट्री के सामने आज अनेक मुद्दे खड़े हो गए हैं जो बाजार के फ्यूचर आउटलूक और विकास को प्रभावित करेंगे। इनमें सबसे बड़ी दिक्कत है-मिडल मार्केट में फाइनेंसिग उपलब्धता घटना। मिडल मार्केट के ट्रेडर्स, कटर्स और पॉलिशर्स के साथ साथ ज्वैलरी मैन्युफैक्चरर्स भी इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

हीरा इंडस्ट्री को कर्ज की सुविधा प्रदान करने वाले अनेक पारंपरिक बैंकों ने इस इंडस्ट्री में ऋण जोखिम को देखते हुए अपने नियमों को अत्यंत सख्त कर दिया है। इंडस्ट्री की अनिश्चितताओं ने उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया है। कुछ मामलों में उन्होंने स्टोन्स फाइनेंस को भी १०० प्रतिशत से घटाकर ७० से ७५ प्रतिशत कर दिया है। नतीजतन, इंडस्ट्री को मध्यम टर्म में केवल ३ अरब डॉलर ही फाइनेंसिंग के लिए उपलब्ध है।

‘अगले एक दशक में हीरा बाजार की अनुमानित वृद्धि दर को देखते हुए अब बाजार के सभी भागीदारों के लिए समय आ गया है कि वे इस इंडस्ट्री के ग्रोथ के साथ कदम मिलाने के लिए अपने व्यवहार में परिवर्तन लाएं और अवसरों का फायदा उठाएं खासकर बैंक और डायमंड के निर्माता। शार्ट से मिडियम टर्म के दौरान मिडल मार्केट सेगमेंट में रिपोर्टिंग एवं इंवेंटरी में पारदर्शिता बढ़ानी होगी। नए और अधिक सुरक्षित उत्पादों को शुरू करना होगा तथा पारंपरिक वाणिज्यिक बैंकों और हीरे के बैंकों के बीच सहयोग बढ़ाना होगा।, ‘सुश्री लिंडे ने कहा।

रिपोर्ट में उद्योग के विकास के लिए लंबी अवधि के दृष्टिकोण को परिभाषित करने के लिए तीन अतिरिक्त प्रमुख चुनौतियों को पर जोर डाला गया है। ये चुनौतिया हैः हीरे की मांग के लिए भावनात्मक अपील को बनाए रखना क्योंकि इससे डायमंड की मांग बनी रहती है, हीरे के लिए लंबे समय तक रखना -खासकर डायमंड ज्वैलरी के निर्माताओं के लिए क्योंकि इससे लंबे समय तक सप्लाई बनी रहती है और इंडस्ट्री में सिंथेटिक हीरे की भूमिका को परिभाषित करना।

‘एंटवर्प वल्र्ड डायमंड सेंटर को वैश्विक हीरा उद्योग और उसके भविष्य के रुझान पर चौथी बार व्यापक रिपोर्ट जारी करने में अत्यंत खुशी हो रही है। इंटरनैशनल स्टेकहोल्डर्स इसका लाभ ले सकते हैं क्योंकि रिपोर्ट में उनके लिए ग्लोबल डायमंड इंडस्ट्री की वर्तमान स्थिति और उसके भावी रुझानों के विषय में विस्तार से उल्लेख है।,‘ अरी एपस्टीन, एडब्ल्यूडीली के सीईओ ने कहा।

‘अन्य वैश्विक उद्योगों के विपरीत डायमंड सेक्टर अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है और भविष्य के निर्माण पर अत्यधिक जोर दिया जा रहा है। स्टीफन फिशर, एडब्ल्यूडीसी के प्रेसीडेंट ने कहा। ‘कंज्यूमर कल्चर के अत्यंत विकसित होने के हमारी इंडस्ट्री को नई पीढ़ी के उपभोक्ताओं को समझने और उनके साथ संबंध बनाने पर अधिक जोर सुनिश्चित करना चाहिए। उनकी जरुरतों और उम्मीदों का पता होना चाहिए। हम डायमंड सेक्टर में टेक्नोलोजिकल एडवांसमेंट भी देख रहे हैं जो डायमंड के डायनामिक्स पर अधिक प्रभाव डाल सकते हैं। इंडस्ट्री टेक्नोलोजी से जुड़े लोगों के बीच भी अपनी पैठ बना सकती है और यहां उपलब्ध अवसरों का लाभ ले सकती है।‘