हाल के दिनों में देखा गया है कि प्राकृ तिक हीरों में सिंथेटिक हीरों की बिना बताए मिलावट (अनडिस्लोज्ड मिक्सिंग) की घटना बढ रही है। भारत का वैश्विक हीरा कारोबार अग्रणी स्थान है और इस तरह की मिलावट की घटना पर रोक लगाने और अंतरराष्ट्रीय जगत में भारतीय हीरा उद्योग की प्रतिष्ठा बरकरार रखने के लिए नेचुरल डायमंड मानिटरिंग कमेटी -एनडीएमसी- का गठन किया गया है। एनडीएमसी में जीजेईपीसी, बीडीबी, जीजेएफ, जीआईए और अन्य रत्न एवं आभूषण से जुडे कारोबारी संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल किये गए हैं। बिना बताए मिलावट का मसला हल करने के लिए पिछले कुछ महीने के दौरान एक अध्ययन भी हुआ। तीन महादेशों के ८ देशों में फैले इस क्षेत्र से जुडा यह एक विशद अध्ययन है जिसे तैयार करने में करीब ४ महीने लगे। इसमें निर्माण, रीटेल, इक्विपमेंट फर्म, प्रयोगशाला, अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संस्थाएं, कानूनी फर्म, सलाहकार और इस उद्योग के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। इस अध्ययन के आधार पर एनडीएमसी ने समाधान ढूंढा है जिससे बिना बताए मिलावट की घटना पर अंकुश लगेगा और उचित व्यापार को बढावा मिलेगा।

पिछले कुछ प्रकाशनों के विपरीत, हमारे अनुसंधान से पता चला है कि इस समय जेम क्वालिटी वाले सिंथेटिक हीरे का उत्पादन ३५०,००० कैरेट से भी कम हो रहा है। यदि इसकी तुलना प्राकृ तिक जेम क्वालिटी के खरड से करें तो उसका उत्पादन १२५ मिलियन कैरेट से भी ज्यादा है। इस हिसाब से अभी बिना बताये मिलावट की मात्रा बेहद कम है। आज इस क्षेत्र में काम कर रहे सभी फर्मो, जिनमें डी बीयर्स, जीआईए और एचआरडी आदि शामिल हैं ने मिलावट को पकडने के लिए अलग अलग तरह के मशीनें बनायी हैं। कुछ ने पोर्टेबल मशीन तैयार किया है तो कुछ के पास बडे स्पेक्ट्रोस्कोपी पर आधारित मशीन हैं। ये सब मशीनें बेहद इफेक्टिव हैं और पिछले कुछ साल से ही उपयोग में आ रहा है। हालांकि इसका कोई सिस्टमेटिक उपयोग नहीं हो रहा है। इस परिदृष्य में हमने दुर्घटनावश या जान बूझ कर मिलावट की घटना पर अंकुश लगाने के लिए समाधान निकाला। हमारे समाधान में कई महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं जैसे- नियामक, वाणिज्यिक, प्रक्रि या और तकनीक।

नियामकः  इस समाधान में वैल्यू चैन में मिलावट का पता लगाने और यदि ऐसा पाया जाता है तो उसके लिए जुर्माने पर फोकस किया गया है। इसके तहत हमने दो महत्वपूर्ण समाधान प्रस्तावित किया है, पहला- सिंथेटिक हीरों को पकडने के लिए और दानेदार एचएस कोड सिस्टम हो और दूसरा- कारोबारी संस्थाओं को इस बात के लिए प्रेरित करें कि वे अपने संविधान में परिवर्तन कर इस बात का प्रावधान करे जिससे बिना बताये मिलावट की सजा बेहद सख्त हो। इन उपायों के अलावा, हमने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव दिया है ताकि खरीदारों को ज्यादा से ज्यादा संरक्षण मिल सके।

वाणिज्यिकः  इस समाधान का डिजाइन कारोबार में बेहतर जवाबदेही और विेशास सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। हमने डब्ल्यूएफडीबी के साथ काम किया, जो इस तरह के तंत्र पर पहले से ही अमल शुरू कर दिया है। इसने जो मानक बनाया है, उसका पालन दुनिया भर में हो रहा है और इससे खरीदारों को खरीदी गई वस्तु के बारे में स्पष्टता रहेगी।

प्रक्रियाः  इस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों द्वारा मिलावट की संभावना न्यून करने के लिए हमने कुछ समाधान का डिजाइन किया है। इनमें सामानों की कठोर जांच परख के साथ साथ वैसी ही केवाईसी प्रक्रि या लागू करना, जैसी कि प्रिवेंशन आफ मनी लांडरिंग रू ल्स में है। इन समाधानों के तहत तांच-परख के लिए पर्याप्त संख्या में मशीनों की तैनाती करनी होगी और सभी ट्राजेक्शन आंकडों को जमा करना होगा।

तकनीकः  एनडीएमसी ऐसी व्यवस्था करेगा ताकि हीरों की जांच और उसे अलग करने के लिए बेहद परिष्कृत तकनीक हासिल हो और वह तेजी से काम करे। इसके अलावा, बीडीबी परिसर में एक केन्द्रीकृ त जांच प्रयोगशाला पहले से ही बना ली गई है। इस प्रयोगशाला में कोई भी कारोबारी अपने पार्सल की जांच करा सकता है, चाहे वह व्यक्ति हो या समूह। शीघ्र ही इस तरह की कई प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी। इसके साथ ही एनडीएमसी तकनीक से जुडे सिम्पोजियम, सेमिनार और इंटरएक्शन से जुडे कार्यक्र मों का भी आयोजन करेगा ताकि वहां कारोबारियों को अद्यतन जानकारी मिल सके, साथ ही कम से कम कीमत में उनकी जांच हो जाए।

हम ओशस्त हैं कि इन उपायों से सभी वैल्यू चैन सहभागियों को फायदा होगा और उनके हितों की रक्षा हा सकेगी। एनडीएमसी इससे और आगे बढते हुए इन उपायों पर किस तरह से अमल हो रहा है, इस पर भी नजर रखेगा। हमने वैश्विक स्तर पर सभी करोबारी संस्थाओं और कंपनियों को इस प्रयास में शामिल किया है और एक खाका भी खींचा है कि किस तरह से सभी स्टेकहोल्डर इसे लागू करे। जीजेईपीसी की वेबसाइट पर इससे संबंधित अंतिम रिपोर्ट को देखा जा सकता है जिनमें इन सभी समाधानों का जिक्र है। इस अध्ययन में जिन्होंने भी सहयोग किया है, हम जीजेईपीसी, बीडीबी, जीजेएफ, जीआईए, जीजेएफ, एमडीएमए समेत सभी के आभारी हैं।