अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण अव्यापार महासंघ (जीजेएफ) ने अपने पहले शैक्षिक कार्यक्रम 'लाभम‘ को शुरू करने की घोषणा की है। राजकोट में १ जून २०१४ को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में वहां आसपास के सभी रत्न एवं आभूषण के कारोबारियों को फायदा होगा। उल्लखेनीय है कि जीजऐ फ दशे भर के रत्न एवं आभषूण क्षत्रे के उद्यागे का शीर्ष सगंठन है जो कि क्षत्रे के विकास के लिए कार्य करता है। जीजऐफ का लाभम कायर्कम्र १० जनू को चन्नेर्इ में आरै २३ जून को दिल्ली में आयोजित होगा । लाभम के तहत एक दिवसीय कार्यशाला का आयाजेन किया जाएगा जो कि एक इटं रएक्टिव सशे न होगा । इस दौरान कम्पलायसें , रिस्क मनैजेमटें तथा रत्न एवं आभषूण उद्यागे से सबंधित बहे तरीन कारोबारी नीतियां जैसे मसलों पर बात होगी। इसमें भाग लेने के लिए पंजीकरण करना होगा जिसके लिए ०२२६७३८२७०७/०२२६७३८२७२७ पर फाने किया जा सकता है। इसके लिए मेल करने के लिए आईडि़ है - पदविकमो /हरण्पिदण्

जीजेएफ के अध्यक्ष हरेश सोनी ने बताया -
जेजीएफ में हमने छोटे ज्वैलरों की आवश्यकता पर फोकस किया है।इसके साथ ही इस क्षेत्र पर लागू होने वाले विभिन्न प्रकार के नियमों और विनियमों के साथ ही जटिल प्रक्रिया के बारे मेंएक कार्यक्रम तैयार किया जिसकी जानकारी एक दिन में दी जा सकती है। इससे इस क्षेत्र के कारोबारियों को फायदा होगा। हमने यह कार्यशाला देश भर के २५ शहरों में आयोजित करने का निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा - मुझे लगता है कि इस कार्यशाला में भाग लेने वालों को फायदा होगा और उनमें पेशेवर क्षमता विकसित होगी। इस कार्यशाला का विचार जीजेएफ का है ताकि आभूषण के कारोबार में लगे लोगों को विनियामक तंत्र की जानकारी मिल सके। यह छोटे निर्माताओं, कारोबारियों और ज्वैलर्स के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है ताकि वे अपना कारोबार बेहतर ढंग से चला सकें। इसमें भाग लेने वाले सभी व्यक्ति को एक लाभम रिफरेंस बुक दिया जाएगा जिसमें सभी जरूरी बातों की जानकारी दी गई है। लाभम कार्यक्र म का संचालन विशेषज्ञों द्वारा कया जाएगा। जीजेएफ ने तय किया है कि पहले चरण के दौरान इस कार्यशाला का आयोजन सभी क्षेत्र के १६ शहरों में किया जाएगा। संघ का प्रयास है कि इसमें अपना काम करने वाले ज्वैलर्स ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लें ताकि उनका कारोबार बेहतर तरीके से संचालित हो सके। इसके लिए कोर्स फी बेहद अफोर्डेबल रखी गई है। जो जीजेएफ के सदस्य हैं, उन्हें कार्यशाला में भाग लेने के लिए ७५० रुपये प्रति व्यक्ति जबकि गैर सदस्यों को १००० रुपये प्रति व्यक्ति देना होगा।

लाभम कार्यक्रम का दिन भर का कार्यक्रम निम्नानुसार रहेगा -

फाइनेंस एवं बैंकिंग, टैक्सेसन और अकाउंटिंग से संबंधित प्रमुख तथ्यः

फाइनेंसिंग के क्या तरीके हैं, वर्किंग कैपिटल क्या है, लोन लेने के क्या क्या विकल्प हैं, बैंकिंग और अन्य वित्तीय विकल्प क्या क्या हैं, इससे संबंधित क्या क्या योजनाएं हैं, आदि।

प्रत्यक्ष करः टीडीएस और टीसीएस कहां कहां लागू होता है, ट्रांसफर प्राइसिंग, असेसमेंट और अपील की क्या प्रक्रिया है, सर्च और सर्वे कैसे होता है, संपत्ति कर क्या है आदि।

अप्रत्यक्ष करःअंतरराज्यीय बिक्री पर वैल्यू एडेड टैक्स कैसे लगता है, इससे संबंधित क्या नियम है, अंतरराज्यीय बिक्री पर सेंट्रल सेल्स टैक्स कैसे लगता है, सर्विस टैक्स कैसे लगता है, एक्साइज ड्यूटी कैसे लगता है, कस्टम ड्यूटी से संबंधित क्या नियम है, औक्टराइ टैक्स क्या है, आंतरिक नियंत्रण के लिए चेकलिस्ट क्या है और बीमा को लॉस मिटिगेटिंग टूल के रूप में कैसे उपयोग कर सकते हैं।

रेगुलेटरी कम्पलायेंस फ्रेमवर्क

श्रम कानूनः कर्मचारियों के फायदे के लिए क्या क्या कानून हैं और उसका नियमन कैसे होता है, मापतौल कानून क्या है, प्रिवेंशन आफ मनी लाउंड्रिंग कानून क्या है, वस्तु एवं सेवा कर क्या है, कंपनी कानून २०१३ और प्रत्यक्ष कर संहिता के बारे में जानकारी।

आपरेशन मैनेजमेंट

सुरक्षा एवं संरक्षा से संबंधित विनियम क्या क्या हैं, सीसीटीवी और अलार्म सिस्टम कैसे काम करता है और लगाया जाता है, कर्मचारियों का प्रशिक्षण, उत्पाद के बारे में जानकारी, तकनीकी जानकारी, आतिथ्य और फ्रंट आफिस प्रबंधन आदि।

मानकीकरण एवं प्रमाणीकरण

थर्ड पार्टी प्रमाणीकरण का क्या महत्व हैः
कीमती पत्थर और हालमार्किंग, वजन के बारे में घोषणा, मेटल कैरेटेज, नैचुरल, ट्रीटेड और सिंथेटिक प्रकार के कीमती पत्थर, एक प्रबंधन तंत्र के फायदे, जीजेएफ ट्रस्टमार्क मैच्युरिटी माडलः गुणवत्ता पर फोकस, स्वास्थ्य और सुरक्षा तथा पर्यावरण। भारत में जीजेएफ एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन है जो कि देश भर में रत्न एवं आभूषण के क्षेत्र में कारोबार के संवद्र्धन में लगा हुआ है। देश भर में आभूषणों के निर्माण, थोक और खुदरा व्यापार, वितरण, प्रयोगशाला, जेमोलोजिस्ट, डिजाइनर और अन्य सेवाएं देने वाले ६००००० से भी ज्यादा व्यक्ति इससे जुड़े हुए हैं। रत्न एवं आभूषण उद्योग में ज्यादातर काम हाथ से होता है और इसमें मशीन से ज्यादा श्रमिकों की जरूरत पड़ती है। इसलिए तो इस क्षेत्र में एक कड़ से भी ज्यादा श्रमिक काम कर रहे हैं। अनुमान है कि यह उद्योग करीब ४००००० करोड़ रुपये का है। महासंघ का उद्येष्य सभी सदस्यों के बीच सहयोगिता की भावना को बढ़ाना और क्षेत्र की तरक्की है। यह कारोबार से जुड़ी नवीनतम अधिसूचना और नियमों-विनियमों की जानकारी सदस्यों को देते रहता है। यह शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर सदस्यों के लिए ज्ञान विस्तार के कार्यक्रम को भी चलाता है।