जेमस्टोन और फाइन ज्वैलरी की जांच एवं ग्रेडिंग करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी और स्वतंत्र प्रयोगशाला इंटरनेशनल जेमोलोजिकल इंस्टीच्यूट (आईजीआई) ने हाल ही में यंग जेमोलोजिस्ट के लिए ग्रीष्मकालीन कार्यशाला का आयोजन किया। १० से १५ वर्ष के आयु वर्ग के लिए आयोजित आधे दिन की इस कार्यशाला का आयोजन मुंबई में किया गया था। २१ मई को आयोजित इस पहले कोर्स के लिए ३० प्रतिभागियों को पंजीकृत किया गया था। आईजीआई में इस समय वीक इंड आफरिंग तो चल ही रहा है, इसके साथ ही कु छ और नियमित कार्यक्रमों को जोड़ा जा रहा है। इस नई शुरू आत के साथ ही, संस्थान जेमोलोजी के क्षेत्र में रू चि रखने वालों के लिए एक शैक्षणिक तथा मौज-मस्ती से भरपूर कार्यक्र म की शुरू आत की है ताकि रत्न और खनिज पदार्थों में रूचि रखने वालों को इस उद्योग में कैरिअर बनाने के लिए एक बेहतर वातावरण मिल सके। इस कार्यशाला में अनुभवी लोगों ने अपने विचार रखे जिससे प्रतिभागियों को विभन्न रंग और आकार के कीमती पत्थरों को देखने समझने का मौका मिला। इसके साथ ही दुनिया के ख्यात संस्थान में ग्रेडिंग और सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को भी समझा। जेमोलोजी के बुनियादी सिद्धान्तों के साथ ही प्रतिभागयिों को रत्न की उत्पत्ति और उसके मूल्य और उसके तैयार करने की विधियों को भी कार्यशाला में बताया गया। इसके पाठ्यक्र म में शामिल थेः
  • जेमस्टोन कलर रेंज एवं वेराइटी
  • १२ राशि और उससे संबंधित जेमस्टोन

आईजीआई इंडिया के प्रबंध निदेशक टेहमेस्प प्रिटर ने कहा - यंग जेमोलोजिस्ट कार्यशाला मेरे दिल के बेहद करीब है। यह तो एक अनुभव पर आधारित है कि में बालपन में किस तरह से इसे जानना चाहता। उन्होंने कहा कि जेमस्टोन एक चित्ताकर्षक विषय है और हम बच्चों को शुरू आत में ही इसकी मोहकता से परिचय करवा रहे हैं। आईजीआई के इंस्ट्रक्टरों ने विषय वस्तु को इस तरह से डिजाइन किया है कि बच्चों के मष्तिष्क के अनुरू प हो और वह इस बात के प्रति ओशस्त हैं कि इससे उन्हें फायदा होगा।

प्रिंटर ने कहा -आईजीआई को आशा है कि इस नए प्रयास से उभरते जेमोलोजिस्ट को कीमती पत्थरों के बारे में विस्तार से जानकारी लेने में आसानी होगी। इसमें कुछ ऐसी चीजें बताई जाती है जो कि पाठ्यक्र म की किताबों में शामिल नहीं होता। शुरू आती रूझानों से पता चलता है कि इसे काफी पसंद किया गया और हम उम्मीद करते हैं कि इसे सफलता मिलेगी और इस कार्यशाला को नियमित करना होगा।

इस बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के इच्छुक अभिभावक आईजीआर्इ से  indiaeducation@igiworldwide.com पर ईमेल से या फिर ०२२.२३६७१०२८ पर फोन कर सकते हैं।

इंटरनेशनल जेमोलोजिकल इंस्टीच्यूट की स्थापना १९७५ में एंटवर्प में हुई थी और यह दुनिया भर में कीमती रत्नों के प्रमाणीकरण और जांच का सबसे बड़ा संस्थान है। इसके कार्यालय एंटवर्प के अलावा न्यूयार्क , हांगकांग, भारत, बैंकाक, टोक्यो, दुबई, तेल अवीव, केवेलेस, टोरंटो, लास एंजेल्स और शंघाई में हैं। भारत में आईजीआई की तीन प्रयोगशालाएं मुंबई में तथा कोलकाता, नई दिल्ली, त्रिशूर, सूरत, चेन्नई, अहमदाबाद और हैदराबाद में एक एक प्रयोगशाला है। आईजीआई की चार देशों की प्रयोगशाला को आईएसओ ९००१:२००० प्रामणपत्र मिल चुका है। दुनियाभर में आईजीआई प्रमाणपत्र को बेहद विेशास से देखा जाता है और खरीदार जब भी इस प्रमाण पत्र को देख कर हीरा खरीदते हैं और उन्हे इस बात का भरोसा रहता है कि वह सही चीज खरीद रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े स्वतंत्र जेम सर्टिफिकेशन और एप्रेजल इंस्टीच्यूट होने के नाते आईजीआई दुनिया भर में इस उद्योग में काम करने वाले लोगों के लिए एक मानक बन चुका है।