जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के समक्ष जेम एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री के तीन साल के मेक इन इंडिया प्लान प्रस्तुत किया
भारत में निवेश बढ़ाने के लिए जीजेईपीसी ने फ्रेमवर्क तैयार किया

हाल ही में संपन्न विेश हीरा सम्मेलन और विेश स्तर पर सम्मेलन की जोरदार सराहना के मद्देनजर भारत में जेम्स एंड ज्वैलरी के निर्यात की अपेक्स बॉडी जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल (जीजेईपीसी) ने जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर के लिए एक साल और तीन साल की कार्य योजना की रूपरेखा तैयार की है। यह ज्ञापन ‘विेश हीरा सम्मेलन‘ में किए गए प्रस्तावों के आधार और सिफारिशों पर आधारित है। गौरतलब है कि इस सम्मेलन का उद्घाटन रुस के प्रेसीडेंट माननीय व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया था। एजेंडे के अनुसार, जीजेईपीसी का पहले साल के अंदर भारत डायमंड बुर्स के लिए लंबित टर्नओवर टैक्सेशन सिस्टम लागू करवाना और भारत डायमंड बुर्स में एक स्पेशल नोटिफाइड जोन तैयार करवाना जहां आरबीआई द्वारा मान्य ओवरसीज डायमंड माइन्र्स के कच्चे डायमंड्स के कंसाइनमेंट का निर्बाध आवाजाही हो सके।

साल के मध्य में जीजेईपीसी इंडस्टड्ढी के ग्रोथ के लक्ष्य को पूरा करने के साथ साथ वैश्विक स्तर पर भारत को ग्लोबल डायमंड ट्रेडिंग हब बनाने में अपने दृढ़ता से आगे बढ़ेगा। इसमें कौशल एवं प्रतिभा का विकास तथा भारत सरकार के साथ मिलकर भारत में कच्चे हीरे और कलर्ड जेमस्टोन्स की उपलब्धता का पता लगाने और अन्वेषण तथा सर्वेक्षण का काम भी शामिल होगा। भारत सरकार एक उपयुक्त लाइसेंस ढांचे के माध्यम से वर्तमान खनन गतिविधि को वैध बनाने की पहल और नई खनन और अन्वेषण के लिए एक नियामक ढांचा विकसित कर सकती है। जीजेईपीसी के अध्यक्ष श्री विपुल शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा इंडस्ट्री की मांग विशेष अधिसूचित क्षेत्र बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखलाने से जीजेईपीसी द्वारा भारत को इंटरनेशनल डायमंड ट्रेडिंग हब के रूप में तैयार के प्लान को बल मिला है। यह मेक इन इंडिया कैंपेन के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। हमने सफलतापूर्वक जेम एंड ज्वैलरी स्कील कौंसिल ऑफ इंडिया का गठन किया है क्योंकि हमारे इंडस्ट्री में ३.४ मिलियन स्कील्ड लोग काम करते है और विशेष अधिसूचित क्षेत्र के बनने पर इसमें और इजाफा होगा। भारत सरकार के मेक इन इंडिया अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा।

जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर में मेक इन इंडिया अभियान

एक साल की कार्य योजना

  • भारतीय हीरा उद्योग के लिए कारोबार आधारित कराधान प्रणाली का कार्यान्वयन

  • भारत डायमंड बुर्स में एक विशेष अधिसूचित जोन तैयार करके भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मान्य ओवरसीज डायमंड माइनर्स के कच्चे हीरों की निर्बाध आवाजाही की सुविधा प्रदान करना।

  • आज के १०% आयात शुल्क को देखते हुए सोने और चांदी ड्राबैक रेट्स में वृद्धि

  • कट और पॉलिश्ड कलर्ड जेमस्टोन्स से आयात शुल्क को हटाना

  • देश भर में आम सुविधा केन्द्रों की की स्थापना

  • जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर में कौशल विकास गतिविधियों का विस्तार

  • मनीकंट्रोल योजना के तहत रत्न और आभूषण क्षेत्र का समावेश

  • नैचुरल डायमंड इंडस्ट्री के हित की सुरक्षा के लिए मैनमेड डायमंड के लिए अलग आईटीसी एचएस कोड बनाना

अगले ३ साल की कार्य योजना

  • सरकारी बातचीत के माध्यम से कच्चे हीरे और कलर्ड जेमस्टोन की सीधी खरीद

  • भारत में कच्चे हीरे और कलर्ड जेमस्टोन की उपलब्धता का पता लगाने के लिए अन्वेषण कार्यक्रम और सर्वेक्षण चालू करना

  • पूरे देश में कौशल विकास कार्यक्रमों में विस्तार और गति देना

  • भारत सरकार एक उपयुक्त लाइसेंस ढांचे के माध्यम से वर्तमान खनन गतिविधि वैध बनाने और एक नियामक ढांचा प्राथमिकी नई खनन और अन्वेषण विकसित करने की पहल की अगुवाई कर सकती हैं।

  • मुंबई में एक कन्वेंशन सेंटर तैयार करना

  • इटली और तुर्की जैसे आभूषण केंद्रों के साथ संबंधों को बढ़ावा देना

  • रत्न एवं आभूषण उत्पादों के लिए अन्य संभावित बाजारों तक पहुंचना
  • उपरोक्तानुसार वाइस चेयरमैन श्री पंकज पारेख और कार्यकारी निदेशक सब्यसाची रे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति और संवर्धन (डीआईपीपी) विभाग द्वारा आयोजित विज्ञान भवन, नई दिल्ली, में एक कार्यशाला में मेक इन इंडिया की कार्य योजनाओं के संदर्भ में एक प्रस्तुति पेश की। जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर के सुबह के कार्यक्र म में श्रीमती निर्मला सीतारमन, वाणिज्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वाणिज्य सचिव श्री राजीव खेर और सरकार के अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों जिन्होंने सरकार को जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर के लिए अल्प एवं मध्यम अवधि के लिए योजना पेश की थी, उपस्थित थे। इन अधिकारियों ने फिक्की, एआईजीजेएफ और अन्य इंडस्ट्री बॉडी के साथ मिलकर योजना बनाई थी। इस योजना को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी और माननीय वित्त मंत्री, श्री अरुण जेटली और भारत सरकार के अन्य मंत्रियों के सामने पेश किया गया था। माननीय प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया की पहल को सार्वजनिक निजी पहल का रुप दिया। उनके मुताबिक भारत के विनिर्माण में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।